लखनऊ:
यूपी की यादव बेल्ट के आधे दर्जन ज़िलों में अखिलेश यादव के उम्मीदवारों के खिलाफ़ मुलायम और शिवपाल के लोग बगावत में उतर आए हैं. कहीं खुले तौर पर चुनावी मैदान में है, तो कहीं परदे के पीछे से. इस वजह से अपने गढ़ में फतह अखिलेश के लिए एक बड़ी चुनौती है. इटावा में अखिलेश-रामगोपाल गुट के समाजवादी पार्टी उम्मीदवार कुलदीप गुप्ता 'संटू' हैं. इस सीट पर मुलायम के करीबी निवर्तमान विधायक रघुराज शाक्य का टिकट काटकर अखिलेश ने कुलदीप को उम्मीदवार बना दिया. मुलायम ने यहां संटू के मुकाबले खड़े लोकदल के प्रत्याशी आशीष राजपूत को मंच पर सार्वजनिक रूप से आशीर्वाद दिया. आशीष राजपूत ने कहा मैं नेताजी, उऩकी नीतियों पर चुनाव लड़ रहा हूं. जो उन्होंने सिखाया है हम लोगों को कि विरोध कीजिए, गलत काम के लिए लड़ जाइए.
अखिलेश के उम्मीदवारों के खिलाफ मुलायम-शिवपाल के लोगों की यह बगावत आधा दर्जन जिलों में साफ नजर आती है. मैनपुरी में किस्नी, भोगांव और सदर सीट पर अखिलेश ने मुलायम समर्थकों के टिकट काटे, जिसके बाद मुलायम समर्थकों ने बगावती तेवर अपना लिए. एटा में सदर, अलीगंज सीट और फिरोजाबाद में शिकोहाबाद तथा जसराना सीट, इटावा सदर और भरथना, औरैया में विधुना, डिबियापुर और औरेया सदर सीट पर भी ऐसे ही हालात हैं. कासगंज, पटियाली और अमरपुर सीट पर भी मुलायम समर्थकों के टिकट काटे जाने से अलग समीकरण बन गए हैं.
अखिलेश यादव को साइकिल चुनाव निशान मिलने के बाद इटावा में करीब 450 मुलायम-शिवपाल समर्थकों ने इस्तीफा देककर मुलायम के लोग नाम से अलग संगठन बना लिया था. कहते हैं कि इस बगावत को वहां से भी खुराक मिलती है. इटावा के पूर्व जिलाध्यक्ष सुनील यादव कहते हैं- हमलोग मानते हैं कि नेताजी बहुत व्यथित हैं और बहुत कष्ट में हैं. आने वाले समय में हम लोग मुलायम की विचारधारा से जो लोग जुड़ना चाहेंगे उन्हें जोड़ने का काम करेंगे.
यादव परिवार में पड़ी दरार अब इतनी चौड़ी हो गई है कि उसका भरना मुश्किल लगता है. पुराने समाजवादियों को यह अफसोस जरूर होगा कि जिसने पार्टी बनाई थी, ये फूट उसी की घर में पड़ी है. यहां फतह हासिल करने के लिए इसे रोकना होगा.
अखिलेश के उम्मीदवारों के खिलाफ मुलायम-शिवपाल के लोगों की यह बगावत आधा दर्जन जिलों में साफ नजर आती है. मैनपुरी में किस्नी, भोगांव और सदर सीट पर अखिलेश ने मुलायम समर्थकों के टिकट काटे, जिसके बाद मुलायम समर्थकों ने बगावती तेवर अपना लिए. एटा में सदर, अलीगंज सीट और फिरोजाबाद में शिकोहाबाद तथा जसराना सीट, इटावा सदर और भरथना, औरैया में विधुना, डिबियापुर और औरेया सदर सीट पर भी ऐसे ही हालात हैं. कासगंज, पटियाली और अमरपुर सीट पर भी मुलायम समर्थकों के टिकट काटे जाने से अलग समीकरण बन गए हैं.
अखिलेश यादव को साइकिल चुनाव निशान मिलने के बाद इटावा में करीब 450 मुलायम-शिवपाल समर्थकों ने इस्तीफा देककर मुलायम के लोग नाम से अलग संगठन बना लिया था. कहते हैं कि इस बगावत को वहां से भी खुराक मिलती है. इटावा के पूर्व जिलाध्यक्ष सुनील यादव कहते हैं- हमलोग मानते हैं कि नेताजी बहुत व्यथित हैं और बहुत कष्ट में हैं. आने वाले समय में हम लोग मुलायम की विचारधारा से जो लोग जुड़ना चाहेंगे उन्हें जोड़ने का काम करेंगे.
यादव परिवार में पड़ी दरार अब इतनी चौड़ी हो गई है कि उसका भरना मुश्किल लगता है. पुराने समाजवादियों को यह अफसोस जरूर होगा कि जिसने पार्टी बनाई थी, ये फूट उसी की घर में पड़ी है. यहां फतह हासिल करने के लिए इसे रोकना होगा.
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