
देश के कई ऐसी जगह हैं, जहां स्वास्थ्य की सुविधाएं बहुत ही लचर और कमज़ोर हैं. कहीं डॉक्टर नहीं हैं तो कहीं अस्पताल की कमी. कई जगह तो ऐसे हैं कि वहां इलाज के लिए साधन नहीं. इन्हीं सभी समस्याओं को ई-क्लिनिक की मदद से दूर कर रहे हैं युवा आयुष अतुल मिश्रा. टेलीमेडिसीन की सुविधा के ज़रिए भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य की सुविधाएं पहुंचा रहे हैं.आईएमएआरसी की रिपोर्ट के अनुसार 2022 से 2027 के बीच भारतीय टेलीमेडिसिन बाजार के 30 प्रतिशत सीएजीएआर की दर से आगे बढ़ने की उम्मीद है.
भारत एक विशाल देश है, जिसमें एक बड़ी आबादी रहती है. हालांकि देश में सभी लोगों को एक जैसे संसाधन उपलब्ध नहीं है. विकसित क्षेत्रों और अपेक्षाकृत कम विकसित क्षेत्रों में रहने वाली आबादी की जीवनशैली में काफी अतंर है. संसाधनों के अभाव से दो वर्गों के बीच जीवन के सभी क्षेत्रों में विशाल अंतर है, जिसमें स्वास्थ सेवा भी शामिल है.
दुनियाभर में लोगों की बदलती जरूरतों के चलते स्वास्थ सेवा के क्षेत्र में भी लगातार बदलाव आ रहा है. परन्तु सभी लोगों को बेस्ट अस्पतालों और क्लिनिक में स्वास्थ सेवा की उपलब्ध नहीं है. इस परिदृश्य में ई-क्लिनिक प्लेटफॉर्म एक ट्रेंड के रूप में उभर रहे हैं.
आईएमएआरसी की रिपोर्ट के अनुसार 2022 से 2027 के बीच भारतीय टेलीमेडिसिन बाजार (telemedicine market) के 30 प्रतिशत सीएजीएआर की दर से आगे बढ़ने की उम्मीद है. इसके नतीजे के तौर पर स्वास्थ रक्षा की तकनीक में आए बदलाव ने मरीजों को कई तरह की सुविधाएं दी हैं. इससे मरीजों को मिलने वाले अनुभव में काफी सुधार आया है.
दूसरी ओर कोरोना काल में स्वास्थ सेवा के क्षेत्र में काफी चुनौतियां उत्पन्न हुई थीं. महामारी ने इस क्षेत्र को काफी अस्त-व्यस्त कर दिया था. इससे कोरोना के साथ दूसरी बीमारियों के मरीजों का डॉक्टरों से मिलना काफी मुश्किल हो गया था. इस सिथिति में मरीजों की मदद के लिए कई टेलीमेडिसन प्लेटफॉर्म जैसे तत्त्वं ई-क्लिनिक (Tattvan e-clinic) और ऑनलाइन परामर्श के लिए मोबाइल ऐप उभरे. तत्त्वन ई-क्लीनिक (Tattvan e-clinic) उत्तरप्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्यप्रदेश, राजस्थान और बिहार के गांवों में स्वास्थ सेवा की सेवाओं प्रदान कर इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को लाभ पहुंचा रहे हैं.
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