Countries For Higher Salary: जब भी हम जेंडर पे गैप की बात करते हैं, तो अक्सर ऐसा लगता है कि महिलाएं अपने मेहनत के हिसाब से सही सम्मान नहीं पातीं. दुनिया भर के बड़े देश हों या विकसित मुल्क, ज्यादातर जगह महिलाएं पुरुषों से कम तनख्वाह पाती हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा कोई देश भी होगा, जहां महिलाएं पुरुषों से भी ज्यादा कमाती हैं? हां, ये सच है. यूरोप का एक छोटा सा देश लक्जमबर्ग (gender pay gap in world) इस मामले में सबसे अलग और खास है.
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लक्जमबर्ग का कमाल, जेंडर पे गैप में माइनस 0.7% (Women Salary Europe)
यूरोस्टैट की रिपोर्ट के मुताबिक, लक्जमबर्ग में जेंडर पे गैप -0.7% है. इसका मतलब है कि यहां महिलाएं औसतन पुरुषों से थोड़ी अधिक सैलरी पाती हैं. ये आंकड़ा अकेले यूरोप में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया (country pays women more than men) में बेहद खास माना जाता है. पचास सालों में, यहां महिलाओं ने कामकाजी दुनिया में जबरदस्त कदम बढ़ाए हैं.

नौकरी और करियर में महिलाओं की मजबूती (gender pay gap in europe)
लक्जमबर्ग में महिलाएं सिर्फ काम ही नहीं कर रही, बल्कि अपने-अपने फील्ड में लीडरशिप भी कर रही हैं. चाहे वो शिक्षा हो, हेल्थकेयर हो, बैंकिंग हो या टेक्नोलॉजी...हर जगह महिलाएं आगे बढ़ रही हैं. खास बात ये है कि इस देश की सरकार ने महिलाओं को प्रोफेशनल लाइफ में बढ़ावा देने के लिए सख्त पॉलिसी बनाई है. पैरेंटल लीव, फ्लेक्सिबल वर्किंग टाइम और पब्लिक सेक्टर में महिलाओं को खास मौका देना इसके कुछ प्रमुख उदाहरण हैं.

लक्जमबर्ग की खासियतें, छोटा देश, बड़ा दिल (which country pays woman lot)
लक्जमबर्ग एक छोटा सा, लेकिन अमीर देश है, जहां की GDP प्रति व्यक्ति बहुत ऊंची है. यह देश यूरोप के दिल में बसा है और यहां की राजधानी भी लक्जमबर्ग सिटी है. यहां की आर्थिक व्यवस्था मुख्य रूप से सेवा क्षेत्र (सर्विस सेक्टर) पर निर्भर है, जैसे कि बैंकिंग, वित्त, आईसीटी और लॉजिस्टिक्स. इस वजह से यहां नौकरी के अवसर बेहतर हैं और वेतन भी अच्छा मिलता है.

सरकार की भूमिका, महिलाएं कामयाबी की मिसाल (Gender Equality Luxembourg)
लक्जमबर्ग सरकार ने महिलाओं के लिए बहुत सी ऐसी सुविधाएं और नियम बनाए हैं, जो उन्हें काम पर बेहतर पकड़ बनाने में मदद करते हैं. उदाहरण के लिए, सैलरी की पारदर्शिता, जिससे किसी भी कर्मचारी को पता होता है कि वेतन समान होना चाहिए. इसके अलावा, महिला कर्मचारियों के लिए पैरेंटल लीव और वर्क-लाइफ बैलेंस को बढ़ावा देने वाले कदम भी शामिल हैं.
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आखिर, क्या हम सब सीख सकते हैं? (gender pay gap with women men)
लक्जमबर्ग का ये मॉडल दुनिया भर के लिए प्रेरणा का स्रोत है. अगर हर देश यहां की तरह महिलाओं को बराबर मौका और वेतन दे, तो जेंडर पे गैप जैसी समस्या भी खत्म हो सकती है. महिलाओं का सशक्तिकरण सिर्फ उनकी जिंदगी नहीं बल्कि पूरे समाज की तरक्की का रास्ता है.
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