विज्ञापन
This Article is From Dec 17, 2023

प्राइवेसी "अधिकारों के उल्लंघन के लिए आड़" नहीं हो सकती: CJI डीवाई चंद्रचूड़

मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि एक निजी स्थान के रूप में घर एक गृहिणी के लिए आर्थिक गतिविधि का स्थान है, जहां उसकी सेवा के लिए पारिश्रमिक नहीं दिया जाता है.

प्राइवेसी "अधिकारों के उल्लंघन के लिए आड़" नहीं हो सकती: CJI डीवाई चंद्रचूड़
भारत में महिला और पुरुषों को मिलने वाले वेतन में अंतर पर CJI डीवाई चंद्रचूड़
बेंगलुरु:

भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने समझाया कि आखिर क्‍यों घरों के भीतर मौजूद लैंगिक असमानता को बाहर लाने के लिए कानून की आवश्‍यकता है. सीजेआई ने कहा कि प्राइवेसी "अधिकारों के उल्लंघन के लिए आड़" नहीं हो सकती है. मुख्य न्यायाधीश भारत के 19वें मुख्य न्यायाधीश ईएस वेंकटरमैया की स्मृति में नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी, बेंगलुरु में एक व्याख्यान में बोल रहे थे. जस्टिस वेंकटरमैया की बेटी, जस्टिस बीवी नागरत्ना, सुप्रीम कोर्ट की जज हैं और भारत की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनने की कतार में हैं.

कार्यक्रम के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि सार्वजनिक और निजी दोनों स्थानों पर लोगों की सुरक्षा के लिए कानून के उद्देश्य के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए. साथ ही सीजेआई ने कहा कि उन्‍होंने लैंगिक भेदभाव को सार्वजनिक और निजी स्‍थानों पर देखा है. उन्होंने कहा कि भारतीय दंड संहिता में प्रावधान है कि जब दो या दो से अधिक व्यक्ति झगड़े में पड़कर सार्वजनिक शांति भंग करते हैं, तो उन्हें अपराध माना जाता है. हालांकि, यह केवल तभी दंडनीय है, जब यह सार्वजनिक स्थान हो, अन्यथा नहीं. मुख्य न्यायाधीश ने कहा, "एक समग्र, संवैधानिक रूप से शासित समाज को इसके लिए तैयार रहना चाहिए."

उन्होंने कहा, "सार्वजनिक और निजी के इस द्वंद्व ने कई वर्षों से हमारे कानूनों की नारीवादी और आर्थिक आलोचना का आधार बनाया है. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता वास्तव में अस्तित्व में है, इसके लिए इन दोनों स्थानों पर इसका अस्तित्व होना चाहिए."

मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि एक निजी स्थान के रूप में घर एक गृहिणी के लिए आर्थिक गतिविधि का स्थान है, जहां उसकी सेवा के लिए पारिश्रमिक नहीं दिया जाता है. इसी तरह सार्वजनिक स्थानों पर, महिलाओं को आमतौर पर शारीरिक संबंध तक ही सीमित रखा जाता है और इस प्रकार दोनों पक्षों के पास अधिकार होते हैं और उनका उल्लंघन होता है. हालांकि, कानून केवल (बाद में) हस्तक्षेप करेगा, वह सार्वजनिक स्थान है, ऐसे में यह कानूनन अन्याय होगा."

उन्‍होंने कहा, "न्याय की भावना तब विकसित होती है, जब हम अपने दिमाग को उस धारणा से परे खोलने के लिए तैयार और इच्छुक होते हैं, जिसे समाज ने हमें रखना सिखाया है. यह तभी होता है, जब हमारा दिमाग खुला होता है, तभी हमें इन आधार धारणाओं से हटने की जरूरत महसूस होती है. 

इसे भी पढ़ें:- 

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Previous Article
गुरमीत राम रहीम को सुप्रीम कोर्ट से लगा बड़ा झटका, बेअदबी मामले में चलेगा केस
प्राइवेसी "अधिकारों के उल्लंघन के लिए आड़" नहीं हो सकती: CJI डीवाई चंद्रचूड़
फ़ेयरवेल के बाद अपने घर में मृत मिला केरल का अधिकारी, जिला पंचायत अध्यक्ष ने लगाया था गलत काम करने का आरोप
Next Article
फ़ेयरवेल के बाद अपने घर में मृत मिला केरल का अधिकारी, जिला पंचायत अध्यक्ष ने लगाया था गलत काम करने का आरोप
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com