देश के फौजियों को समर्पित है यह रेस्टोरेंट, यहां उन्हें मिलता है सस्ता लंच-डिनर!

दूबे कहते हैं, 'मैं और मेरा छोटा भाई सेना में जाकर देश की सेवा करना चाहते थे, लेकिन हमारा सपना पूरा नहीं हो पाया. आज हम अपने रेस्त्रां के जरिए जवानों और उनके परिजनों के लिए भोजन की व्यवस्था कर अपनी इच्छा पूरी करने की कोशिश कर रहे हैं.'

देश के फौजियों को समर्पित है यह रेस्टोरेंट, यहां उन्हें मिलता है सस्ता लंच-डिनर!

पहचान पत्र के साथ आने वाले जवानों को रेस्‍टोरेंट में भोजन में 25 प्रतिशत की छूट दी जाती है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

खास बातें

  • खुद सेना में जाना चाहते थे मनोज दूबे
  • सपने को अलग तरीके से साकार करने का रास्ता खोज निकाला है
  • अपने रेस्टोरेंट में जवानों और उनके परिवारों को रियायती भोजन मुहैया कराते
जम्मू-कश्मीर:

देश के जवान भूखे-प्यासे रहकर भी सरहदों की रक्षा करते हैं, दुश्मनों की गोलियों का सामना करते हैं, उन्हें अपने ही देश में पत्थरबाजों, घात लगाए बैठे नक्सलियों की हिंसा का भी सामना करना पड़ता है. लेकिन देश में जवानों के जज्बों को सलाम करने वालों की भी कमी नहीं है. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में ऐसे ही एक व्यक्ति हैं मनोज दूबे.

दूबे ऐसे शख्स हैं, जो खुद सेना में जाना चाहते थे, मगर उनका सपना पूरा नहीं हो पाया. लिहाजा उन्होंने अपने इस सपने को अलग तरीके से साकार करने का रास्ता खोज निकाला है. वे राजधानी रायपुर में एक रेस्त्रां चलाते हैं, जिसमें जवानों और उनके परिवार के सदस्यों को रियायती भोजन मुहैया कराया जाता है.

दूबे कहते हैं, 'मैं और मेरा छोटा भाई सेना में जाकर देश की सेवा करना चाहते थे, लेकिन हमारा सपना पूरा नहीं हो पाया. आज हम अपने रेस्त्रां के जरिए जवानों और उनके परिजनों के लिए भोजन की व्यवस्था कर अपनी इच्छा पूरी करने की कोशिश कर रहे हैं.'

नीलकंठ नामक रेस्त्रां के सामने तिरंगे में सजे एक बैनर पर लिखा है 'राष्ट्रहित सर्वप्रथम'. रेस्त्रां में बिना वर्दी, लेकिन पहचान पत्र के साथ आने वाले जवानों को भोजन में 25 प्रतिशत की छूट दी जाती है, वहीं वर्दी पहने और पहचान पत्र के साथ आने वाले जवानों को 50 प्रतिशत की छूट दी जाती है. इतना ही नहीं, देश की रक्षा के लिए शहीद हुए जवानों के माता-पिता से भोजन के लिए कोई पैसा नहीं लिया जाता.

दूबे ने बताया, 'हमें लगा कि इस इलाके में सीआरपीएफ और बीएसएफ की मूवमेंट ज्यादा है. उनके लिए भोजन की मुफ्त व्यवस्था करनी चाहिए. लेकिन साथ ही उनके आत्मसम्मान को भी ठेस न पहुंचे और उनकी यह सेवा सम्मानित तौर पर करने के इरादे से हमने डिस्काउंट पैटर्न पर इसे शुरू करने का फैसला किया.'

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)


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