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13 साल में शादी, 14 में मां बनी… अफगानिस्तान से भागी लड़की कैसे बनी बॉडीबिल्डिंग चैंपियन

अफगानिस्तान में जब लड़कियों की आज़ादी छीन ली जाती है, तब रोया करीमी जैसी महिलाएं दुनिया को दिखा रही हैं कि हौसले किसी सरहद के मोहताज नहीं होते.

13 साल में शादी, 14 में मां बनी… अफगानिस्तान से भागी लड़की कैसे बनी बॉडीबिल्डिंग चैंपियन
अफगानिस्तान से भागकर बॉडीबिल्डिंग चैंपियन बनी ये महिला

स्टेज पर चमकती रोशनी के बीच जब रोया करीमी अपने मजबूत, तराशे हुए शरीर के साथ खड़ी होती हैं, तो वह सिर्फ मसल्स नहीं दिखातीं, बल्कि संघर्ष, दर्द और हिम्मत की कहानी बयां करती हैं. आज 30 साल की रोया करीमी अफगानिस्तान में जन्मी थीं, जहां लड़कियों को छठी कक्षा के बाद पढ़ने की इजाजत नहीं, नौकरी पर पाबंदी और सार्वजनिक जगहों पर निकलने तक की आज़ादी नहीं है.

रोया बताती हैं कि बचपन से ही उन्होंने महसूस किया कि अफगान समाज में लड़कियों के कोई अधिकार नहीं होते. उन्होंने महज 13 साल की उम्र में स्कूल खत्म किया, और अगले ही साल उन्हें जबरन शादी के लिए मजबूर कर दिया गया.

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14 साल की उम्र में बनीं मां

शादी के एक साल के भीतर ही रोया मां बन गईं. उनका बेटा एरफान आज 17 साल का है. कम उम्र, एक पति, नवजात बच्चा और समाज की कठोर बंदिशें, यह सब किसी भी किशोरी को तोड़ सकता था. हालांकि उस समय तालिबान सत्ता में नहीं था, लेकिन समाज में उनके बनाए नियमों की सोच गहराई से जमी हुई थी. रोया कहती हैं, हम पैदा आज़ाद होते हैं, लेकिन जब कोई आपकी आज़ादी छीन लेता है, तो उसका दर्द मैं जानती हूं.

मां की मदद से अफगानिस्तान से फरार

रोया की जिंदगी में सबसे बड़ा मोड़ तब आया जब उनकी मां महताब अमीरी ने उनकी मदद की. मां ने उनकी अफगानिस्तान से भागने की योजना बनाई. रोया अपने बेटे के साथ पहले ईरान, फिर तुर्की, ग्रीस और आखिरकार नॉर्वे पहुंचीं, जहां उन्हें शरण मिली. रोया बताती हैं, वह वक्त बहुत डरावना था, लेकिन मेरे पास कोई और रास्ता नहीं था. मेरा बेटा ही मेरी पूरी दुनिया था.

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नॉर्वे में नई जिंदगी, नई पहचान

नॉर्वे में शुरुआती साल बेहद मुश्किल थे. नई भाषा, नई संस्कृति और पुराने जख्मों का बोझ, लेकिन रोया ने हार नहीं मानी. उन्होंने नर्सिंग की पढ़ाई पूरी की और अपनी मां की तरह हेल्थ सेक्टर में करियर बनाया. यहीं से उनकी जिंदगी में जिम और वर्कआउट की एंट्री हुई.

जिम बना थेरेपी, बॉडीबिल्डिंग बनी पहचान

रोया बताती हैं कि जिम जाना उनके लिए सिर्फ फिटनेस नहीं बल्कि मेंटल हीलिंग था. नींद न आना, ट्रॉमा और डर, वर्कआउट ने उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत बनाया. उन्होंने कहा, अफगानिस्तान में महिलाओं के लिए जिम या बॉडीबिल्डिंग की कोई सोच नहीं थी, लेकिन नॉर्वे में यह सामान्य था. यहीं उनकी मुलाकात अनुभवी बॉडीबिल्डर कमाल जलालुद्दीन से हुई, जो बाद में उनके पति बने और उनके फैसलों में मजबूती से साथ खड़े रहे.

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धमकियां, नफरत और फिर भी आगे बढ़ती रोया

जब रोया ने प्रोफेशनल बॉडीबिल्डिंग को अपनाया, तो उन्हें ऑनलाइन धमकियां, गालियां और मौत की धमकी तक मिली. उनके सोशल मीडिया अकाउंट भी हैक किए गए. रोया कहती हैं, उन्हें महिलाएं बोलती हुई पसंद नहीं। पढ़ी-लिखी और मजबूत महिलाएं उन्हें डराती हैं. उन्होंने अपने आलोचकों की तुलना तालिबान से की, जो 2021 में दोबारा सत्ता में आने के बाद महिलाओं पर सख्त कानून लागू कर चुके हैं

इंटरनेशनल चैंपियन और अफगान महिलाओं की आवाज़

पिछले तीन सालों में रोया करीमी ने नॉर्वे, यूरोप और दुबई में कई बॉडीबिल्डिंग प्रतियोगिताएं जीती हैं. अब उनका लक्ष्य अगले साल वर्ल्ड चैंपियनशिप में हिस्सा लेना है. रोया कहती हैं, यह मेरा शरीर है। अफगान महिलाओं को भी अपने फैसले लेने का हक मिलना चाहिए. रोया करीमी आज सिर्फ एक बॉडीबिल्डर नहीं, बल्कि उन लाखों अफगान लड़कियों की आवाज़ हैं जिनकी आज़ादी छीन ली गई है. रोया कहती हैं, उन्हें आगे बढ़ने दीजिए, उन्हें चमकने दीजिए.

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