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अरे मैं करवा दूंगा... बॉस के झूठे वादे ने कर्मचारी से छीने 26 लाख रुपए, ये कहानी प्राइवेट कर्मियों के लिए सबक

बॉस के जुबानी वादे पर भरोसा करना एक कर्मचारी को भारी पड़ गया. 26 लाख रुपये की नौकरी ठुकराने के बाद एक महीने में बदली पूरी कहानी.

अरे मैं करवा दूंगा... बॉस के झूठे वादे ने कर्मचारी से छीने 26 लाख रुपए, ये कहानी प्राइवेट कर्मियों के लिए सबक
बॉस के झूठे वादे में फंसा कर्मचारी!

Outcome School के फाउंडर अमित शेखर ने एक्स पर अपने एक छात्र की कहानी शेयर की, जो इस वक्त सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है. उनके मुताबिक, छात्र अपने नेटिव प्लेस के पास स्थित एक कंपनी में 15 लाख रुपये सालाना पैकेज पर काम कर रहा था. बेहतर करियर ग्रोथ के लिए उसने दूसरी कंपनी में इंटरव्यू दिया, जहां उसे 26 LPA का ऑफर मिल गया. नई नौकरी का ऑफर मिलने के बाद कर्मचारी ने अपनी मौजूदा कंपनी में इस्तीफा दे दिया.

बॉस का वादा और कर्मचारी का भरोसा

इस्तीफे के बाद कर्मचारी के बॉस ने उससे बातचीत की और भरोसा दिलाया कि अगर वह कंपनी में ही रुक जाता है, तो अगले महीने से उसकी सैलरी 26 LPA कर दी जाएगी. यह वादा पूरी तरह जुबानी था, लेकिन बॉस पर भरोसा करते हुए कर्मचारी ने नई कंपनी का ऑफर ठुकरा दिया. कर्मचारी का मानना था कि उसकी मौजूदा कंपनी अच्छी है और घर के पास होने की वजह से वहां रहना ज्यादा सुविधाजनक रहेगा.

एक महीने बाद बदली कहानी

लेकिन असली झटका तब लगा, जब नई कंपनी की जॉइनिंग डेट निकल जाने के बाद एक और मीटिंग हुई. इस बार बॉस ने साफ शब्दों में कहा, हम आपकी सैलरी नहीं बढ़ा रहे हैं. आपका CTC 15 LPA ही रहेगा. यानी न कोई सैलरी बढ़ोतरी, न कोई लिखित अप्रूवल और कर्मचारी के हाथ से 26 लाख रुपये सालाना पैकेज वाली नौकरी भी निकल चुकी थी.

लोगों की प्रतिक्रिया

अमित शेखर ने बताया कि उन्होंने अपने छात्र को पहले ही सलाह दी थी कि बिना लिखित ऑफर या HR की मंजूरी के किसी भी वादे पर भरोसा न करें. हालांकि, अंतिम फैसला छात्र का था. इस पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए एक यूजर ने लिखा, काउंटर ऑफर स्वीकार करने का मतलब है खुद की वैल्यू कम करना. एक बार इस्तीफा दे दिया तो आगे बढ़ जाना ही सही फैसला होता है. वहीं दूसरे यूजर ने कहा, कॉरपोरेट दुनिया में अगर बात कागज पर नहीं है, तो वह मौजूद ही नहीं है.

क्या है इस कहानी से सीख?

यह घटना एक कड़वा लेकिन जरूरी सबक देती है. कॉरपोरेट लाइफ में भरोसा जरूरी है, लेकिन डॉक्युमेंटेशन उससे भी ज्यादा जरूरी. जब तक वादा लिखित में न हो, तब तक उस पर करियर दांव पर लगाना भारी पड़ सकता है.

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