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This Article is From Jun 19, 2020

दोनों पैर गंवाने के बाद 40 साल से घर में बंद है ये शख्स, फ्री में पढ़ाकर ऐसे बदली बच्चों की किस्मत

'कहते हैं न जब इरादे मजबूत हो तो तकदीर भी बदली जा सकती है'. जी हां आज की कहानी कुछ ऐसे ही मजबूत इरादे वाले राजीव पोद्दार की है... जिन्होंने सिर्फ 9 साल की उम्र में 'पैरालिसिस' की वजह से अपने दोनों पैर खो दिए..

दोनों पैर गंवाने के बाद 40 साल से घर में बंद है ये शख्स, फ्री में पढ़ाकर ऐसे बदली बच्चों की किस्मत
दोनों पैर गंवाने के बाद 40 साल से घर में बंद है ये शख्स, फिर ऐसे बदली बच्चों की किस्मत...

'कहते हैं न जब इरादे मजबूत हो तो तकदीर भी बदली जा सकती है'. जी हां आज की कहानी कुछ ऐसे ही मजबूत इरादे वाले राजीव पोद्दार की है... जिन्होंने सिर्फ 9 साल की उम्र में 'पैरालिसिस' की वजह से अपने दोनों पैर खो दिए.. इस घटना ने राजीव की पूरी जिंदगी बदलकर एक व्हीलचेयर तक सीमित कर दी. सिर्फ इतना ही नहीं राजीव एक जगह 30 मिनट से ज्यादा बैठ भी नहीं सकते हैं.  'पैरालिसिस' की वजह से उन्हें अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी क्योंकि उनके माता- पिता उस काबिल नहीं थे कि उन्हें स्कूल ले जाए और ले आए. और इसी के साथ शुरू हुआ राजीव की जिंदगी का '40 साल क्वारंटाइन'. जिंदगी में एक के बाद आ रही चुनौतियों के बावजूद भी राजीव ने कभ हार नहीं मानी और उन्होंने फैसला लिया कि वह अपने जैसे दूसरे लोगों की सहायता करेंगे.'ह्यूमन ऑफ बॉम्बे' को दिए इंटरव्यू में राजीव ने अपनी जिंदगी की अबतक की यात्रा को लेकर खुलकर बात की. आपको बता दें कि 'ह्यूमन ऑफ बॉम्बे' ने अपने फेसबुक पेज से राजीव पोद्दार की पूरी कहानी शेयर की है.

राजीव ने ह्यूमन ऑफ बॉम्बे' से खास बातचीत में बताया कि मैं स्कूल नहीं जा सका और न ही मैं अपने दोस्तों मिला पाता था. सिर्फ कुछ दोस्त ऐसे थे जो मुझसे मिलने आते थे. लेकिन मेरे परिवार ने मेरी वजह से बहुत संघर्ष किया है और आज जो कुछ भी हूं और उनकी वजह से ही हूं. मुझे पता था कि मेरे इलाज में काफी खर्चा है. और इसकी वजह से मेरे परिवार को पैसे की कमी हो सकती है. इसलिए 14 साल की उम्र में मैंने खुद से कहां... यहीं जिंदगी तुम्हें मिली है. अब मुझे यह फैसला लेना है कि मैं इसे और बदत्तर बना दूं या कुछ ऐसा कर जाउं जिससे यह खास बन जाए.

राजीव ने बताया कि वह सिर्फ एक ही काम कर पाते थे कि वह अपने दोनों हाथों के सहारे खूब किताब पढ़ते थे.  उन्होंने कहा कि मैं अपने दोस्तों से किताबे मांग कर पढ़ता था. कभी-कभी मैं यह सोचकर बेहद दुखी हो जाता था कि मेरे दोस्त पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी करेंगे. लंबे समय से मैं अंदर से काफी दुखी रहता था कि मैं जिंदगी में कुछ नहीं कर पाउंगा. लेकिन जब मैं अपने घर में आता था तो मुझे अपने जीवन का उद्देश्य मिल जाता था. 

मैं सिर्फ 23 साल का था और मैंने कई तरह की किताबे पढ़ी थी. मेरे आसपास के लोग मेरी बौद्धिक क्षमता के रूप में जानते थे और फिर क्या था मेरे पड़ोसी और आसपास के लोगों ने अपने बच्चों के लिए मुझे ट्यूशन पढ़ाने के लिए अप्रोच किया. मैं उन बच्चों को मैथ्स पढ़ाता था.

आपको सच बताउं मैंने पहले कभी बच्चों को गणित नहीं पढ़ाया था लेकिन मुझे मैथ्स पढ़ाने में मजा आता था. मैंने इसे मजेदार बनाने के लिए मैथ्स को बड़े ही मजाकिया तरीके से पढ़ाना शुरु किया और बच्चों को मेरा तरीका काफी पसंद आने लगा. कई बच्चें तो ऐसे हैं जिन्होंने अपने ट्यूशन के टीचर को आने से रोक दिया और मुझे कहा आप मुझे ट्यूशन पढ़ा दीजिए. मैं काफी खुश हो गया..और इसी का नतीजा था कि धीर-धीर राजीव कोलकाता के जाने माने टीचर बन गए. उनका 10 छात्रों का बैच बढ़कर 100 छात्रों में बदल गया.सबसे हैरान कर देने वाली बात यह थी कि उन्होंने अपने स्टूडेंस से कबी पैसे नहीं लिये बल्कि उनके कमाई का जरिया ट्रेडिंग स्टॉक से था. राजीव इसी के माध्यम से पैसे कमाया करते थे.

राजीव के लिए बच्चों को पढ़ाना एक जुनून जा बन गया. और इसी का नतीजा है कि उन्होंने ज्यादा से ज्यादा छात्रों को शिक्षा दे सके इसके लिए उन्होंने 'नॉलेज कैप्सूल' की स्थापना की. राजीव कहते हैं कि मेरे छात्रों ने मुझपर अपना विश्वास बनाए रखा और उनके इसी विश्वास की वजह से आज भी मैं पढ़ाने को लेकर इतना ही जुनूनी हूं. मेरा मानना है कि हर बच्चे के लिए शिक्षा अहम और सबसे खास होती है क्योंकि यह आपके आगे की जिंदगी को किस दिशा में ले जाएगी वह शिक्षा से निर्धारित होती है.

राजीव ने 'ह्यूमन ऑफ बॉम्बे से खास बातचीत में बताया कि दुर्भाग्यवश पिछले कुछ सालों से स्वास्थ्य संबंधी समस्या के कारण बैचों में बच्चे कम हो गए हैं. लेकिन इससे पढ़ाने को लेकर मेरा उत्साह कम नहीं हुआ है. साथ ही राजवी ने बताया कि "अब मैं YouTube पर 'हेलिकॉप्टर मनी', 'Jio', और यहां तक कि 'कोविद -19' जैसे विषयों पर भी वीडियो बनाकर शेयर करता हूं. 

राजीव ने कहा- कोरोनावायरस महामारी के दौरान मैंने सुना कि लोगों को अपने घरों में बंद रहने में काफी मुश्किल हो रही है. लेकिन मैं लोगों को बताना चाहता हूं कि मैं 40 साल से अपने घर के चार दिवारी में क्वारंटाइन हूं.. लेकिन जी रहा हूं इसलिए आप भी अपने घर पर रहें और सुरक्षित रहें.

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