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क्या पैरालिसिस के बाद फिर से चलना संभव है? पूरी तरह पैरालाइज्ड महिला किया कुछ ऐसा जो पहले था असंभव

Paralysis Recovery: पहले पैरालिसिस लाचारी और मुश्किलों का नाम था. आज मेडिकल साइंस और टेक्नोलॉजी इतनी आगे बढ़ चुकी है कि अब यह धारणा तेजी से बदल रही है.

क्या पैरालिसिस के बाद फिर से चलना संभव है? पूरी तरह पैरालाइज्ड महिला किया कुछ ऐसा जो पहले था असंभव
मॉली सूट एक खास तरह का पहनने योग्य (wearable) सूट है.

पैरालिसिस ऐसा शब्द है जिसे सुनते ही लोगों को जीवनभर की लाचारी और मुश्किलों की तस्वीर याद आ जाती है. जब शरीर का कोई हिस्सा अचानक काम करना बंद कर देता है, तो इंसान शारीरिक ही नहीं, मानसिक रूप से भी टूट जाता है. खासकर जब कमर से नीचे का हिस्सा प्रभावित हो जाए, तो चलना-फिरना, काम करना और सामान्य जिंदगी जीना बेहद चुनौतीपूर्ण हो जाता है. लंबे समय तक डॉक्टरों की यही राय रही कि गंभीर स्पाइनल इंजरी के बाद पूरी तरह चलना लगभग असंभव है. लेकिन, आज मेडिकल साइंस और टेक्नोलॉजी इतनी आगे बढ़ चुकी है कि अब यह धारणा तेजी से बदल रही है.

हाल ही में कमर से नीचे पूरी तरह पैरालाइज्ड एक महिला ने ऐसा काम किया जो कुछ साल पहले तक असंभव माना जाता था, वह दोबारा चलने लगी. और यह चमत्कार संभव हुआ मॉली सूट नाम के एक बेहद एडवांस न्यूरो-रिहैबिलिटेशन डिवाइस की मदद से. इस खोज ने दुनिया भर में पैरालिसिस मरीजों के लिए नई उम्मीद जगा दी है.

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मॉली सूट क्या है?

यह एक खास तरह का पहनने योग्य (wearable) सूट है जो शरीर की नसों और मांसपेशियों को फिर से सक्रिय करना सीखाता है. इसमें लगे हुए एडवांस्ड सेंसर, इलेक्ट्रिकल स्टिम्युलेशन सिस्टम और स्मार्ट कंट्रोलर लगातार शरीर की हर छोटी हरकत को मॉनिटर करते हैं और उसी हिसाब से मांसपेशियों को सिग्नल भेजते हैं.

ये सिग्नल वही काम करते हैं जो एक हेल्दी व्यक्ति की रीढ़ की हड्डी करती है, अर्थात मांसपेशियों को चलने का आदेश देना.

यह पैरालिसिस में कैसे मदद करता है? | How Does it Help in Paralysis?

1. नसों को फिर से एक्टिवेट करता है

पैरालिसिस में कई बार नसें पूरी तरह टूटती नहीं हैं, बल्कि उनके बीच का कनेक्शन कमजोर हो जाता है. मॉली सूट उन कमजोर कनेक्शनों को दोबारा मजबूत करता है.

2. मांसपेशियों को ट्रेन करता है

लंबे समय तक न चलने से मांसपेशियां कमजोर पड़ जाती हैं. यह सूट इलेक्ट्रिकल स्टिम्युलेशन देकर उन मांसपेशियों को दोबारा जागृत और मजबूत बनाना शुरू करता है.

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3. ब्रेन–स्पाइन कनेक्शन को दोबारा जोड़ने में मदद

सबसे बड़ी बात यह है कि यह तकनीक रीढ़ की हड्डी के पुराने रास्तों को फिर से खोजने और जोड़ने में मदद करती है, जिन्हें पहले हमेशा के लिए खोया हुआ माना जाता था.

4. रिहैबिलिटेशन को तेज और असरदार बनाता है

मरीज को प्रतिदिन गाइडेड मूवमेंट्स करवाए जाते हैं, जैसे पैर हिलाना, खड़े होना और चलने की कोशिश. धीरे-धीरे शरीर इन पैटर्न को याद करने लगता है.

क्या हर पैरालिसिस मरीज दोबारा चल सकता है?

हर केस अलग होता है। काफी कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि चोट कितनी गंभीर है, कितना समय बीत चुका है और शरीर किस तरह प्रतिक्रिया देता है। परंतु नई तकनीकों ने यह साबित कर दिया है कि “असंभव” अब धीरे-धीरे “संभव” की ओर बढ़ रहा है। कई मरीज अब पहले से कहीं अधिक गति, संवेदना और मूवमेंट वापस पा रहे हैं.

पैरालिसिस के बाद जीवन रुकता नहीं है और अब तो इलाज की संभावनाएं भी पहले से कहीं ज्यादा बढ़ चुकी हैं. मॉली सूट जैसी एडवांस तकनीकें यह साबित कर रही हैं कि मेडिकल साइंस की मदद से रीढ़ की हड्डी को ट्रेंड किया जा सकता है और खोई हुई क्षमताओं को काफी हद तक वापस लाया जा सकता है.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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