
आज से 15-20 साल पहले बनी रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाली चीजें वॉशिंग मशीन, फैन, फ्रिज, प्रेस, की-पैड फोन, ईयरफोन, बल्ब, कंप्यूटर, प्रिंटर आदि सालों-साल चलती थी. आपके घर में ट्यूब वाला पुराना टीवी होगा, जो आजतक चल रहा होगा, लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि आज के हाई-टेक्नोलॉजी युग में बनी सभी चीजें इतनी जल्दी कैसे खराब होती जा रही हैं. इस वीडियो में इस शख्स ने इसके पीछे का असल कारण बता दिया है.
दरअसल, इस शख्स के मुताबिक आज की कॉर्पोरेट मार्केट लोगों के भरोसे के साथ खेल कर रही हैं. आज जो भी चीज खरीदों जल्द ही खराब हो जाती है, ऐसा हम सोचते हैं, लेकिन इससे पीछे की हकीकत जानने के बाद आप खुद को ठगा हुआ महसूस करेंगे. शख्स ने बताया है कि अब प्रोडक्ट की गांरटी लाइफ को कम कर दिया गया है. उन्होंने इसका भी कारण बताया है.
जल्दी-जल्दी क्यों खराब हो रहे प्रोडक्ट (Why products expired early?)
एक्स हैंडल (पहले ट्विटर) पर हर्ष गोयनका ने एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें एक शख्स ने कॉर्पोरेट के काले सच को दुनिया के सामने खोलकर रख दिया है. इनके मुताबिक, आजकल फोन, टीवी, बल्ब, प्रेस, वॉशिंग मशीन, वाहन आदि सभी इस्तेमाल की चीजों को सस्ती क्वालिटी में बनाया जा रहा है. इसके पीछे का कारण बताते हुए इस शख्स ने कहा है कि, कम लाइफ वाले प्रोडक्ट की वजह से कंपनियों को बड़ा फायदा हो रहा है, क्योंकि कंपनियां जानबूझकर प्रोडक्ट्स को कुछ इस तरह तैयार कर रही है, जिससे कि वो कम समय तक चले और लोग नया प्रोडक्ट खरीदें.
कंपनी चाहे तो उसी प्रोडक्ट को अच्छा बना सकती है, जिससे कि लोग सालों-साल तक उसका इस्तेमाल कर सके, लेकिन कंपनी ऐसा नहीं कर रही है. कंपनी जल्दी-जल्दी नया माल बनाकर लोगों में फिर से बेच दोबारा मुनाफा कमा रही हैं. शख्स का मानना है कि कंपनी किसी भी प्रोडक्ट की लाइफ पहले ही तय कर देती है और फिर वो प्रोडक्ट उनके तय किए समय तक ही टिक पाता है.
यहां देखें वीडियो
Have you realized why your grandma's toaster still works and the new toaster you bought recently has gone bad? …interesting explanation! pic.twitter.com/zT1M4NCb8w
— Harsh Goenka (@hvgoenka) April 12, 2025
कंपनी काट रही जनता की जेब (Companies cuts Customers Pocket)
इस शख्स का कहना है कि मार्केट में आने वाले सीजनल कपड़ों का दो हफ्तों में ही ट्रेंड खत्म कर दिया जाता है और फिर मार्केट में नए डिजाइन किए कपड़ों को लॉन्च किया जाता है, जिससे कि लोग उन्हें खरीदने के लिए आउटलेट्स में दौड़ें. इस तरह आज कंपनियां मोटा मुनाफा कमाने के लिए लोगों के साथ बड़ा विश्वासघात कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि यह सीक्रेट बिजनेस का सबसे बड़ा हथियार है कि प्रोडक्ट को कम लाइफ गारंटी के साथ बनाया जा रहा है.
उन्होंने बताया कि 1924 में एक बल्ब कंपनी ने जेनेवा में एक मीटिंग में चीप मटेरियल चीजें बनाने पर डिस्कस किया था. उन्होंने बताया कि हर साल 50 मिलियन डॉलर का सामान कूड़े के ढेर में जा रहा है. इसमें से 88 फीसदी लोगों ने नए प्रोडक्ट की मांग की है और 77 फीसदी लोगों ने प्रोडक्ट रिपेयर करने में पैसा गंवाया है. कहना गलत नहीं होगा कि कंपनियां लोगों को फंसाकर उनकी जेब पर डाका डाल रही है.
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