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डॉलर की चमक में खो गया घर का सुकून? 5 गुना सैलरी, आधी खुशी...विदेश में बसे भारतीय का छलका दर्द

विदेश में मोटी सैलरी, चमचमाता शहर और शानदार सिस्टम, लेकिन क्या यही सब कुछ है? सिंगापुर में रहने वाले एक भारतीय प्रोफेशनल की ईमानदार बातों ने सोशल मीडिया पर लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि सफलता की कीमत कहीं अकेलापन और आजादी की कमी तो नहीं.

डॉलर की चमक में खो गया घर का सुकून? 5 गुना सैलरी, आधी खुशी...विदेश में बसे भारतीय का छलका दर्द
कार नहीं, कैलेंडर से मिलते हैं दोस्त...सिंगापुर की जिंदगी पर भारतीय इंजीनियर का भावुक सच

The Hidden Cost Of Success Abroad : सोशल मीडिया पर इन दिनों सिंगापुर में रहने वाले एक भारतीय प्रोफेशनल अमन की पोस्ट खूब चर्चा में है. अमन ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर कर अपनी रोजमर्रा की जिंदगी दिखाई और बताया कि विदेश जाकर उनका जीवन कैसे बदल गया. अमन पेशे से सिंगापुर में सीनियर मशीन लर्निंग इंजीनियर हैं. उन्होंने खुलकर बताया कि सिंगापुर आने के बाद उनकी इनकम करीब पांच गुना बढ़ गई है, लेकिन इसके साथ ही उनकी खुशी भी उसी अनुपात में कम हो गई है. यह बयान उन लाखों भारतीयों से जुड़ता है, जो better salary abroad और foreign job life जैसे सपनों के साथ देश छोड़ते हैं.

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पैसा है, लेकिन अपनापन नहीं (Story Behind the Foreign Dream)

अमन के मुताबिक, सिंगापुर में साफ-सफाई, अनुशासन और सिस्टम बेहद शानदार है. हर चीज नियमों के तहत चलती है, लेकिन इसी परफेक्ट सिस्टम के बीच उन्हें जिंदगी थोड़ी 'आर्टिफिशियल' लगने लगी है. उन्होंने बताया कि उन्हें भारत की सड़क किनारे मिलने वाला खाना जैसे- छोले-कुलचे, मोमोज और लोकल स्ट्रीट फूड बहुत याद आता है. उनकी यह बात कई लोगों के दिल को छू गई.

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आजादी की कमी का एहसास (high salary low happiness)

अमन ने भारत और सिंगापुर की जिंदगी की तुलना करते हुए आजादी के फर्क पर खास बात कही. उन्होंने बताया कि भारत में उनके पास अपनी कार थी और वे जब चाहें लंबी ड्राइव पर निकल सकते थे. वहीं सिंगापुर में कार रखना आम आदमी के लिए लगभग नामुमकिन है. हालांकि, पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम बेहतरीन है, लेकिन अमन के मुताबिक इससे पर्सनल फ्रीडम की भावना कम हो जाती है. उन्होंने यह भी कहा कि यहां लोग अचानक मिलने के बजाय कैलेंडर देखकर अपॉइंटमेंट तय करते हैं, जिससे मानवीय जुड़ाव कम महसूस होता है.

'फर्स्ट वर्ल्ड' की अकेलापन वाली सच्चाई (First World Loneliness)

अमन की पोस्ट का कैप्शन खासा चर्चा में रहा. उन्होंने लिखा, 'हम वीजा, स्टैंप और डॉलर सैलरी के पीछे भागते हैं. सोचते हैं कि चांगी एयरपोर्ट उतरते ही जिंदगी फिल्म बन जाएगी, लेकिन स्क्रिप्ट बहुत जल्दी बदल जाती है. फर्स्ट वर्ल्ड कंट्री के साथ फर्स्ट वर्ल्ड लोनलीनेस भी आती है.'

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सोशल मीडिया पर लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रिया (foreign job life reality)

अमन की पोस्ट पर सोशल मीडिया यूजर्स ने जमकर प्रतिक्रिया दी. एक यूजर ने लिखा, 'पूरी तरह सहमत हूं, मैं भी यहीं हूं और बिल्कुल ऐसा ही महसूस करता हूं.' एक अन्य यूजर ने कहा, 'यहां आधी जिंदगी बिता दी, पैसे के अलावा भारत जैसी जिंदगी कहीं नहीं.' हालांकि, कुछ लोगों ने यह भी कहा कि हर किसी का अनुभव अलग होता है और विदेश में रहने के अपने फायदे हैं.

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