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भारत के इस इलाके में दूल्हे को कुएं में फेंक देते हैं ससुराल वाले, वजह चौंका देगी!

गोवा के 'साओ जोआओ' त्योहार में दूल्हे को कुएं या तालाब में फेंकने की अनोखी परंपरा निभाई जाती है. यह रस्म उर्वरता, खुशहाली और नए परिवार में स्वागत का प्रतीक मानी जाती है. जानिए इसकी मान्यता, महत्व और लोगों की राय.

भारत के इस इलाके में दूल्हे को कुएं में फेंक देते हैं ससुराल वाले, वजह चौंका देगी!
यहां शादी के बाद दूल्हे को कुएं में फेंक देते हैं घरवाले!
Pic credit- AI (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Weird Wedding rituals of India: गोवा अपनी खूबसूरती के साथ-साथ अपनी अनोखी परंपराओं के लिए भी मशहूर है. इन्हीं में से एक है 'साओ जोआओ' (Sao Joao) त्योहार,  एक ऐसा आयोजन जिसमें नए दूल्हे को कुएं या तालाब में धक्का देकर पानी में फेंका जाता है. पहली बार में सुनने पर यह परंपरा अजीब लग सकती है, लेकिन इसके पीछे बेहद रोचक सांस्कृतिक और धार्मिक मान्यताएं जुड़ी हुई हैं.

क्या है 'साओ जोआओ' त्योहार?

यह त्योहार हर साल उत्तर गोवा में मनाया जाता है. यह मुख्यतः एक पानी से जुड़ी धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा है, जो संत जॉन द बैपटिस्ट की स्मृति में मनाई जाती है. इस त्योहार में लोग पानी में कूदते हैं, नाचते-गाते हैं और प्रकृति के आशीर्वाद का जश्न मनाते हैं.

दूल्हे को पानी में क्यों फेंका जाता है?

शादी के बाद दूल्हे को कुएं या तालाब में फेंकने का एक गहरा प्रतीकात्मक अर्थ है- 

1. खुशहाली और उर्वरता का प्रतीक

मान्यता है कि पानी में डुबकी लेने से नए दूल्हे के जीवन में समृद्धि, उपज, नए परिवार में खुशियां,
और आने वाली पीढ़ियों का आशीर्वाद मिलता है. यह एक तरह से नए रिश्तों की शुरुआत का शुभ संकेत माना जाता है.

2. दूल्हे की परीक्षा

यह परंपरा रिश्तेदारों खासकर लड़की वालों के लिए एक मौका होती है कि वे दूल्हे के स्वभाव, ऊर्जा, मजाकिया अंदाज और परिवार में घुलने-मिलने की क्षमता को समझ सकें.

3. समुदाय में स्वागत का तरीका

पानी में कूदना गोवा की संस्कृति में 'स्वागत' का प्रतीक है. इससे माना जाता है कि दूल्हा नए परिवार और नए समुदाय को खुले दिल से स्वीकार कर रहा है.

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यह परंपरा कहां-कहां निभाई जाती है?

यह रस्म मुख्य रूप से उत्तर गोवा के गांवों में मनाई जाती है, जैसे- अंज़ुना, असगांव, मापुसा क्षेत्र के कई गांव और कालनगुट के आसपास के इलाके में. इन इलाकों में यह त्योहार बेहद धूमधाम से मनाया जाता है.

लोग इस रस्म के बारे में क्या कहते हैं?

दूल्हे वाले इस रस्म को 'मस्ती भरा स्वागत' मानते हैं. वे कहते हैं कि इससे शादी का माहौल और भी खुशहाल हो जाता है. लड़की वालों का परिवार इसे 'नए रिश्तों में अपनापन बढ़ाने' का तरीका बताते हैं. हंसी-मजाक और पानी में कूदने से रिश्तों में झिझक दूर होती है. वहीं, स्थानीय लोग मानते हैं कि यह त्योहार उनकी परंपरा और सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा है, जिसमें पानी, प्रकृति, परिवार और समुदाय सब एक साथ जुड़ते हैं.

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