यह ख़बर 31 जुलाई, 2012 को प्रकाशित हुई थी

छोटा भीम और ओलिंपिक लोगो राखियों की मांग बढी़

खास बातें

  • बिहार में इस वर्ष रक्षाबंधन के मौके पर भाइयों की कलाइयों पर छोटा भीम, मिकी माउस, मिस्टर बीन के साथ-साथ ओलिंपिक का पांच छल्लों वाला लोगो भी सजने वाला है। भाई-बहन के रिश्ते के पवित्र त्योहार रक्षाबंधन पर बाजार में कार्टून किरदारों वाली राखियां बच्चों की पहल
पटना:

बिहार में इस वर्ष रक्षाबंधन के मौके पर भाइयों की कलाइयों पर छोटा भीम, मिकी माउस, मिस्टर बीन के साथ-साथ ओलिंपिक का पांच छल्लों वाला लोगो भी सजने वाला है। भाई-बहन के रिश्ते के पवित्र त्योहार रक्षाबंधन पर बाजार में कार्टून किरदारों वाली राखियां बच्चों की पहली पसंद बनी हुई हैं।  

पटना के मुख्य बाजारों से लेकर गली-मुहल्लों तक में राखियों की अस्थायी दुकानें खुल गई हैं, जिन्हें आकर्षक रूप से सजाया गया है। लेकिन इन तमाम राखियों का मुख्य स्रोत पटना का मच्छरहट्टा बाजार है। इस वर्ष राखियों के मूल्यों में 15 से 20 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।

राखी के थोक कारोबारी रमेश कुमार कहते कि कुछ वर्ष पहले तक पटनिया राखी का खूब प्रचलन था लेकिन अब दिल्ली, मुम्बई, कोलकता और सूरत की राखियां बाजार में आ गई हैं। उन्होंने बताया कि बच्चों की पसंद वाली टेडीवियर राखियां 25 से 150 रुपये दर्जन तक में यहां बिक रही हैं तो रेशम की डोरी वाली राखियां 60 से 300 रुपये तक में उपलब्ध हैं।

वैसे इन पारम्परिक राखियों के अलावा अब बाजार में सोने-चांदी की राखियां भी बिक रही हैं। उन्होंने बताया कि बच्चों के लिए बाजार में मिकी माउस, छोटा भीम, स्पाइडर मैन, मिस्टर बीन आदि राखियां हैं, जो कम उम्र के भाई-बहनों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं। कम उम्र के भाई-बहनों के लिए छोटा भीम वाली राखी पहली पसंद बनी हुई है। वह कहते हैं कि इस वर्ष लंदन में जारी ओलिंपिक की पहचान पांच छल्लों वाले लोगो की राखी भी बहनों और भाइयों के लिए पसंदीदा बनी हुई है।  

एक सर्राफा कारोबारी मनोज कुमार के मुताबिक बाजार में सोने और चांदी की राखियां भी उपलब्ध हैं। इन राखियों का लोग दोहरा इस्तेमाल करते हैं। इस तरह की राखियां रक्षाबंधन के दिन राखी का तो अन्य दिनों में ब्रेसलेट की तरह इस्तेमाल होंगी। उन्होंने बताया कि ऐसी राखियों की कीमत उनके वजन के अनुसार निर्धारित होती है।

इधर, कुछ व्यापारियों का मानना है कि इस रक्षाबंधन पर महंगाई की मार पड़ी है। व्यापारी मानते हैं कि त्योहार के कई दिन पहले से राखियों की दुकानें सज जाती थीं लेकिन इस वर्ष रक्षाबंधन के तीन-चार दिन बचे हैं और बाजार में ग्राहक नहीं हैं।  

पटना के एक अन्य दुकानदार कहते हैं कि अन्य शहरों की राखियां 15 दिन पूर्व ही पहुंच गई थीं लेकिन ग्राहकों की कमी देखी जा रही है। थोक बाजार के राखी विक्रेता शंकर शर्मा कहते हैं कि इस बाजार में मुख्य रूप से कोलकाता से बुटीक जरदोजी वर्क की राखियां, अहमदाबाद और राजकोट से डोरी की राखियां, दिल्ली से स्पंज और फैंसी राखियां मंगाई जाती हैं। अलग-अलग किस्म की राखियां 10 से 500 रुपये तक कीमत में उपलब्ध हैं।

इधर, त्योहार को देखते हुए मिठाई की दुकानों की तैयारियां भी अंतिम चरण में है, वैसे मिठाई दुकानदारों में भी रक्षाबंधन को लेकर विशेष उत्साह नहीं है। पटना के चर्चित माता दी स्वीट्स के मालिक रामाशंकर बताते हैं कि मिठाई की किस्में तो अवश्य बढ़ा दी गई हैं, लेकिन पहले की तरह अधिक मात्रा में मिठाईयां तैयार नहीं कराई जा रही हैं। उन्होंने बताया कि काजू बाइट, पिस्ता बाइट, मेवा बाइट, काजू स्ट्राबेरी को खासतौर पर रक्षाबंधन को देखते हुए तैयार किया जा रहा है। रक्षा बंधन के दिन भाई और बहन का एक-दूसरे को मिठाई खिलाने का चलन है।

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उल्लेखनीय है कि रक्षाबंधन सावन महीने के अंतिम दिन यानी पूर्णिमा को मनाया जाता है।