नई दिल्ली:
कोई भी शहरी परिवार जिसके पास कार, एयर कंडीशनर और इंटरनेट कनेक्शन के साथ लैपटॉप व कंप्यूटर जैसी कोई भी सुविधा है उसे गरीब नहीं माना जाना चाहिए। योजना आयोग द्वारा नियुक्त एक विशेषज्ञ समूह ने कहा है कि इस तरह के परिवार स्वत: गरीबों की सूची से बाहर हो जाने चाहिए।
प्रसिद्ध अर्थशास्त्री एसआर हाशिम की अगुवाई वाले विशेषज्ञ समूह को शहरी गरीबों की पहचान के तौर तरीकों के बारे में दिए अपने सुझाव में यह बात कही है। विशेषज्ञ समूह ने यह भी कहा है कि एक तरीका यह भी हो सकता है कि ऐसे परिवार जिनके पास रेफ्रिजरेटर, दोपहिया, लैंडलाइन फोन या वॉशिंग मशीन इन चार में से कोई भी तीन चीजें है तो उसे भी गरीब नहीं माना जाना चाहिए।
समूह ने सुझाव दिया है कि सरकार को शहरी गरीबों की पहचान के लिए तीन स्तरीय मानदंड अपनाने चाहिए। पहला मानदंड जिसके आधार पर शहरी परिवार अपने आप ही गरीबों की सूची से बाहर हो जाएंगे, दूसरा अपने आप ही शामिल मानें जाएंगे और तीसरा एक सामाजिक स्कोर सूचकांक का सुझाव दिया गया है।
योजना आयोग ने विशेषज्ञ समूह का गठन 13 मई, 2010 को किया था। समूह को शहरों में गरीबी रेखा से नीचे रह रहे परिवारों की पहचान का तरीका सुझाना था।
समिति के अनुसार ऐसे परिवार जिनके पास उल्लेख वाली संपत्तियों हैं उन्हें अपने आप ही गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले परिवारों की श्रेणी से अलग कर दिया जाना चाहिए। ऐसे परिवार जिनके पास घर नहीं है और समाज और जीविका से वंचित है उन्हें अपनेआप ही गरीबी की श्रेणी में मान लिया जाना चाहिए।
समिति ने इन श्रेणियों की पहचान के लिए कई तरह के सुझाव अपनी रिपोर्ट में दिए हैं।
प्रसिद्ध अर्थशास्त्री एसआर हाशिम की अगुवाई वाले विशेषज्ञ समूह को शहरी गरीबों की पहचान के तौर तरीकों के बारे में दिए अपने सुझाव में यह बात कही है। विशेषज्ञ समूह ने यह भी कहा है कि एक तरीका यह भी हो सकता है कि ऐसे परिवार जिनके पास रेफ्रिजरेटर, दोपहिया, लैंडलाइन फोन या वॉशिंग मशीन इन चार में से कोई भी तीन चीजें है तो उसे भी गरीब नहीं माना जाना चाहिए।
समूह ने सुझाव दिया है कि सरकार को शहरी गरीबों की पहचान के लिए तीन स्तरीय मानदंड अपनाने चाहिए। पहला मानदंड जिसके आधार पर शहरी परिवार अपने आप ही गरीबों की सूची से बाहर हो जाएंगे, दूसरा अपने आप ही शामिल मानें जाएंगे और तीसरा एक सामाजिक स्कोर सूचकांक का सुझाव दिया गया है।
योजना आयोग ने विशेषज्ञ समूह का गठन 13 मई, 2010 को किया था। समूह को शहरों में गरीबी रेखा से नीचे रह रहे परिवारों की पहचान का तरीका सुझाना था।
समिति के अनुसार ऐसे परिवार जिनके पास उल्लेख वाली संपत्तियों हैं उन्हें अपने आप ही गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले परिवारों की श्रेणी से अलग कर दिया जाना चाहिए। ऐसे परिवार जिनके पास घर नहीं है और समाज और जीविका से वंचित है उन्हें अपनेआप ही गरीबी की श्रेणी में मान लिया जाना चाहिए।
समिति ने इन श्रेणियों की पहचान के लिए कई तरह के सुझाव अपनी रिपोर्ट में दिए हैं।