Sikkim Sundari plant: उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने हिमालय के पूर्वी हिस्से में पाई जाने वाली एक बेहद दुर्लभ और खूबसूरत पौधे ‘सिक्किम सुंदरी' पर सबका ध्यान खींचा है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर की गई उनकी पोस्ट के बाद यह पौधा इंटरनेट पर चर्चा का विषय बन गया है. सिक्किम सुंदरी, जिसका वैज्ञानिक नाम Rheum nobile है, समुद्र तल से लगभग 4,000 से 4,800 मीटर की ऊंचाई पर उगती है, जहां जीवन अपने आप में एक चुनौती है.
‘ग्लासहाउस प्लांट' की पहचान
स्थानीय भाषा में ‘चुका' कहलाने वाला यह पौधा अपने पारदर्शी, ऊंचे ब्रैक्ट्स (पत्तियों) की वजह से ‘ग्लासहाउस प्लांट' के नाम से जाना जाता है. ये पत्तियां सूरज की रोशनी को अंदर रोक लेती हैं, लेकिन खतरनाक अल्ट्रावायलेट किरणों को अंदर जाने से रोकती हैं. यही वजह है कि यह पौधा हिमालय की कठोर जलवायु में भी जीवित रह पाता है और दूर से पहाड़ों पर चमकता हुआ दिखाई देता है.
I knew nothing about this extraordinary marvel: the ‘Sikkim Sundari'
— anand mahindra (@anandmahindra) December 21, 2025
Thriving at staggering altitudes of 4,000–4,800 meters, this "Glasshouse Plant" stands like a glowing tower against the mountains.
Its life is a masterclass in patience.
It is monocarpic, which means that… pic.twitter.com/keoMSmGcUl
‘दशकों का इंतज़ार'
आनंद महिंद्रा ने इस पौधे के जीवन चक्र को 'सब्र की मास्टरक्लास' बताया. उन्होंने लिखा कि यह पौधा कई सालों, कभी-कभी दशकों तक केवल पत्तियों के छोटे से गुच्छे के रूप में जीवित रहता है. फिर एक दिन यह अचानक करीब दो मीटर तक ऊंचा हो जाता है, बीज छोड़ता है और अपना जीवन पूरा कर लेता है. इस प्रक्रिया को विज्ञान में मोनोकार्पी कहा जाता है. महिंद्रा ने यह भी सवाल उठाया कि भारतीय स्कूलों की किताबों में दुनिया भर की वनस्पतियों का ज़िक्र मिलता है, लेकिन ऐसी स्थानीय जैविक धरोहरों को अक्सर नज़रअंदाज़ कर दिया गया.
औषधीय गुण और सांस्कृतिक महत्व
विशेषज्ञों और सोशल मीडिया यूजर्स ने भी इस चर्चा में हिस्सा लिया. शिक्षिका डॉ. शीतल यादव ने लिखा कि यह पौधा पाचन, सूजन, लीवर और दर्द से जुड़ी समस्याओं में औषधीय रूप से उपयोगी माना जाता है. कुछ यूजर्स ने इसकी तुलना उत्तराखंड में पाए जाने वाले ब्रह्मकमल से भी की, जो समान ऊंचाई पर उगता है और रंगों में काफी मिलता-जुलता है.
हिमालय की खूबसूरती की एक जीवित मिसाल
वनस्पति विशेषज्ञों के अनुसार, इस पौधे की भूरे-सुनहरे रंग की पारदर्शी पत्तियां और गुलाबी किनारे इसे पहाड़ों के बीच एक चमकते हुए दीपक जैसा रूप देते हैं. स्थानीय समुदाय इसके तनों का सेवन करते हैं और इसकी जड़ों का इस्तेमाल पारंपरिक चिकित्सा में किया जाता है. सिक्किम सुंदरी न केवल प्रकृति का चमत्कार है, बल्कि भारत की जैव विविधता की एक अनमोल पहचान भी है.
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