प्रतीकात्मक चित्र
टोरंटो:
कनाडा के एक विश्वविद्यालय ने मुफ्त साप्ताहिक योग कक्षा पर रोक लगा दी है। इससे पहले विश्वविद्यालय के कर्मचारियों ने दावा किया था कि ध्यान की यह प्राचीन भारतीय पद्धति दूसरों पर संस्कृति थोपने का एक तरीका है।
इन कक्षाओं को रद्द करने का फैसला ओटावा विश्वविद्यालय के छात्र परिसंघ द्वारा किया गया है जो छात्रों की स्वतंत्र निकाय है। जेनिफर श्राफ 2008 से ओटावा विश्वविद्यालय में छात्रों के लिए नि:शुल्क साप्ताहिक सत्र चला रही हैं।
उन्होंने बताया कि वह यह जानकर स्तब्ध हो गईं कि नि:शुल्क साप्ताहिक कक्षाओं को स्थगित कर दिया है, क्योंकि कर्मचारियों का कहना है कि यह प्राचीन पद्धति दूसरों पर संस्कृति थोपने का एक तरीका है।
योग की यह कक्षा निशक्त छात्रों के केंद्र में सभी तरह की क्षमताओं वाले छात्रों के लिए होती थी। इसी केंद्र के एक कर्मचारी ने ई-मेल के जरिये कहा कि इस पद्धति का पालन करने में कई सांस्कृतिक मुद्दे हैं। योग का जिस तरह से अभ्यास हो रहा है, उसे लेकर हाल के समय में यह काफी विवादों में रहा है।
इस ई-मेल में यह भी कहा गया कि इनमें से कई संस्कृतियों ने उपनिवेशवाद एवं पश्चिमी प्रभुत्व के कारण उत्पीड़न, सांस्कृतिक नरसंहार और समूहों में पलायन को झेला है। हमें इस बात को ध्यान में रखना चाहिए तथा इस बात पर नजर रखनी चाहिए कि हम योग का अभ्यास करते समय कैसे अपने को अभिव्यक्त करते हैं।
श्राफ ने कहा, 'यह पागलपन है कि हम जिस तरह से योग सिखा रहे हैं. वह किसी को आक्रामक लग सकता है। आप देखें कि ऐतिहासिक रूप से योग कितन गैर-विवादास्पद रहा है। यह आश्चर्य की बात है कि कोई किक बॉक्सिंग या स्पिन क्लास से परेशान नहीं है।
इन कक्षाओं को रद्द करने का फैसला ओटावा विश्वविद्यालय के छात्र परिसंघ द्वारा किया गया है जो छात्रों की स्वतंत्र निकाय है। जेनिफर श्राफ 2008 से ओटावा विश्वविद्यालय में छात्रों के लिए नि:शुल्क साप्ताहिक सत्र चला रही हैं।
उन्होंने बताया कि वह यह जानकर स्तब्ध हो गईं कि नि:शुल्क साप्ताहिक कक्षाओं को स्थगित कर दिया है, क्योंकि कर्मचारियों का कहना है कि यह प्राचीन पद्धति दूसरों पर संस्कृति थोपने का एक तरीका है।
योग की यह कक्षा निशक्त छात्रों के केंद्र में सभी तरह की क्षमताओं वाले छात्रों के लिए होती थी। इसी केंद्र के एक कर्मचारी ने ई-मेल के जरिये कहा कि इस पद्धति का पालन करने में कई सांस्कृतिक मुद्दे हैं। योग का जिस तरह से अभ्यास हो रहा है, उसे लेकर हाल के समय में यह काफी विवादों में रहा है।
इस ई-मेल में यह भी कहा गया कि इनमें से कई संस्कृतियों ने उपनिवेशवाद एवं पश्चिमी प्रभुत्व के कारण उत्पीड़न, सांस्कृतिक नरसंहार और समूहों में पलायन को झेला है। हमें इस बात को ध्यान में रखना चाहिए तथा इस बात पर नजर रखनी चाहिए कि हम योग का अभ्यास करते समय कैसे अपने को अभिव्यक्त करते हैं।
श्राफ ने कहा, 'यह पागलपन है कि हम जिस तरह से योग सिखा रहे हैं. वह किसी को आक्रामक लग सकता है। आप देखें कि ऐतिहासिक रूप से योग कितन गैर-विवादास्पद रहा है। यह आश्चर्य की बात है कि कोई किक बॉक्सिंग या स्पिन क्लास से परेशान नहीं है।
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