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दुनिया में मचेगी तबाही! ग्लोबल वार्मिंग को अब 1.5C से नीचे रखना असंभव- यह नई रिपोर्ट डराती है

ग्लोबल वार्मिंग में 1.5 डिग्री सेल्सियस, औद्योगिकीकरण से पहले के स्तर की तुलना में पृथ्वी के औसत तापमान में 1.5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि को सीमित करने का जलवायु लक्ष्य है. वैज्ञानिकों का मानना है कि अब यह लक्ष्य पाना असंभव हो गया है.

दुनिया में मचेगी तबाही! ग्लोबल वार्मिंग को अब 1.5C से नीचे रखना असंभव- यह नई रिपोर्ट डराती है
  • ग्लोबल वार्मिंग पर नई रिपोर्ट के अनुसार जीवाश्म ईंधन से CO2 उत्सर्जन 2025 में रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने वाला है
  • वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि 1.5 डिग्री सेल्सियस की वार्मिंग सीमा अब रोक पाना असंभव हो गया है
  • रिपोर्ट में बताया गया है कि अभी तक नवीकरणीय ऊर्जा नई बढ़ती मांग को पूरा करने में सक्षम नहीं है
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हम इंसान अपनी धरती और उसके पर्यावरण को बचाने के लिए जो कुछ भी कर रहे हैं, वो नाकाफी साबित हुआ है. जब पूरी दुनिया ब्राजील के बेलेम में धरती को बचाने के लिए COP30 जलवायु शिखर सम्मेलन करने के लिए बैठी है, ग्लोबल वार्मिंग पर आई एक रिपोर्ट डराती है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि वैश्विक स्तर पर जीवाश्म ईंधन से होने वाला उत्सर्जन 2025 में एक नई ऊंचाई पर पहुंचने के लिए तैयार है. इसमें यह भी चेतावनी दी गई है कि अब ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस की उस लाल रेखा से नीचे रोकना अब अनिवार्य रूप से "असंभव" हो गया है.

नोट- ग्लोबल वार्मिंग में 1.5 डिग्री सेल्सियस, औद्योगिकीकरण से पहले के स्तर की तुलना में पृथ्वी के औसत तापमान में 1.5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि को सीमित करने का जलवायु लक्ष्य है. यह पेरिस समझौते का एक मुख्य लक्ष्य है, क्योंकि इस सीमा को पार करने से सूखे, हीटवेव और बाढ़ जैसी चरम मौसम की घटनाओं का खतरा काफी बढ़ जाता है.

नई रिपोर्ट में क्या पता चला है?

एनुअल ग्लोबल कार्बन बजट रिपोर्ट इंसानों के द्वारा हाइड्रोकार्बन जलाने, सीमेंट उत्पादन करने और भूमि उपयोग - जैसे वनों की कटाई - से होने वाले CO2 के उत्सर्जन को देखती है और इन आंकड़ों को 2015 के पेरिस समझौते में तय किए गए वार्मिंग सीमा (1.5 डिग्री सेल्सियस) को जोड़ती है.

एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने पाया कि जीवाश्म ईंधन से CO2 उत्सर्जन एक साल पहले की तुलना में 2025 में 1.1 प्रतिशत अधिक होगा, दुनिया भर में आई नई नवीकरणीय प्रौद्योगिकी अभी तक बढ़ती ऊर्जा मांग की भरपाई के लिए पर्याप्त नहीं है. तेल, गैस और कोयले से उत्सर्जन बढ़ने के साथ, कुल आंकड़ा 38.1 बिलियन टन CO2 के रिकॉर्ड तक पहुंचने वाला है.

COP30 जलवायु वार्ता के दौरान जारी की गई नई स्टडी में पूर्व-औद्योगिक स्तरों से वार्मिंग को 1.5C तक सीमित करने के लिए 170 बिलियन टन CO2 के बाकि बचे भत्ते (अलाउंस) की गणना की गई. रिसर्च का नेतृत्व करने वाले ब्रिटेन के एक्सेटर यूनिवर्सिटी के पियरे फ्रीडलिंगस्टीन ने कहा, "यह 1.5C तक सीमित करने के लिए बजट समाप्त होने से पहले मौजूदा दर पर चार साल के उत्सर्जन के बराबर है, इसलिए यह (1.5C के लाल रेखा से पहले रुकना) अनिवार्य रूप से असंभव है."

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