पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने साल 1984 में ऑपरेशन ब्लूस्टार के ठीक बाद अपनी ब्रिटिश समकक्ष मारग्रेट थैचर को एक निजी खत भेजा था, जिसमें स्वर्ण मंदिर से आतंकवादियों को खत्म करने के लिए सेना भेजने के फैसले को जायज ठहराने की कोशिश की गई थी।
यह पत्र 14 जून, 1984 का है। ऑपरेशन ब्लूस्टार में ब्रिटेन की भूमिका को लेकर यहां की सरकार की ओर से कराई जा रही जांच में पहली बार यह पत्र सामने आया है। ऑपरेशन ब्लू स्टार में एक हजार से अधिक लोग मारे गए थे।
ऑपरेशन ब्लूस्टार के ठीक बाद लिखे इस पत्र में इंदिरा ने कहा, 'किसी पूजास्थल पर सैन्य कार्रवाई करना आसान नहीं था.. लेकिन आतंकवादियों ने इस स्थान को अपने गतिविधियों के गढ़ के रूप में तब्दील कर दिया था।' उन्होंने लिखा था, 'हम नहीं जानते थे कि वहां हथियार लिए जा रहे हैं। कार्रवाई के आखिरी सप्ताह के बाद हमें अहसास हुआ कि ये हथियार कितने अत्याधुनिक थे। हमारे पास सेना की टुकड़ी को भेजने के सिवाय कोई दूसरा चारा नहीं था। सैनिकों ने न्यूनतम बल का उपयोग करते हुए पूरे संयम का परिचय दिया।'
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सैन्य कार्रवाई के संदर्भ में थैचर से अफसोस भी जाहिर किया था। उन्होंने कहा, 'सिख समुदाय में बहुत सारे लोग इस भयावह घटना से हिल गए हैं। मरहम लगाने और सुलह में समय लगेगा, लेकिन हम इसमें लगे रहेंगे।'
यह पत्र उन पांच अतिरिक्त दस्तावेजों में से एक है, जिन्हें ब्रिटेन के कैबिनेट सचिव जेरेमी हेवुड की जांच रिपोर्ट के साथ जारी किया गया है। इनमें से एक नोट 23 फरवरी, 1984 का है जिसमें बताया गया कि एक ब्रिटिश सैन्य विशेषज्ञ ने किस तरह से अपने आठ दिन के भारत दौरे पर स्वर्ण मंदिर से चरमपंथियों को खत्म करने की योजना का खाका खींचने में मदद की।
ऑपरेशन ब्लूस्टार में ब्रिटेन की भूमिका होने का खुलासा होने के बाद ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने कैबिनेट सचिव को जांच का आदेश दिया था।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं