तस्वीर का इस्तेमाल सिर्फ प्रतीकात्मक रूप में किया गया है.
नई दिल्ली:
अमेरिकी सरकार की एक नई रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन और उसके विनाशकारी प्रभावों के बारे में गंभीर चेतावनी दी गई है, जिसमें कहा गया है कि सदी के अंत तक अर्थव्यवस्था को सैकड़ों अरब डॉलर का नुकसान होगा. सीएनएन की रिपोर्ट में कहा गया कि संघीय अनिवार्य अध्ययन 'चौथा राष्ट्रीय जलवायु आकलन' दिसंबर में जारी किया जाना था, लेकिन इसे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने शुक्रवार को जारी कर दिया.नेशनल ओशिएनिक एंड एटमॉसफेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) के निदेशक (टेक्निकल सपोर्ट यूनिट) डेविड एस्टर्लिग ने कहा, "औसत वैश्विक तापमान बहुत तेजी से बढ़ रहा है और यह आधुनिक सभ्यता द्वारा अनुभव की गई किसी भी चीज की तुलना में अधिक तेजी से बढ़ रहा है, और इसका कारण मानवीय गतिविधियां हैं."
रिपोर्ट के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन के कारण सालाना सैकड़ों अरब डॉलर का नुकसान होगा. रिपोर्ट में कहा गया कि अत्यधिक गर्मी के कारण दक्षिण-पूर्व में अकेले संभवत: 2100 आधा अरब श्रमिक घंटे खो देंगे.किसानों को बेहद मुश्किल हालात का सामना करना पड़ेगा। पूरे अमेरिका में उनके फसलों की गुणवत्ता और मात्रा में उच्च तापमान, सूखा और बाढ़ के कारण गिरावट आएगी. हीट स्ट्रेस के कारण दुध उत्पादन में अगले 12 सालों में 0.60 फीसदी से 1.35 फीसदी की गिरावट आएगी. हीट स्ट्रेस के कारण साल 2010 में इस उद्योग को 1.2 अरब डॉलर की चपत लगी है.
रिपोर्ट में कहा गया कि उच्च तापमान के कारण ज्यादा लोग मरेंगे. मध्य-पश्चिम में अकेले उच्च तापमान के कारण साल 2090 तक अतिरिक्त 2,000 समयपूर्व मौतों का अनुमान लगाया गया है. अमेरिका के वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट के निदेशक डैन लाशोफ ने आईएएनएस को बताया, "इस रिपोर्ट का संदेश जोरदार, स्पष्ट और निर्विवाद है कि जलवायु परिवर्तन हो रहा है और तेजी से बढ़ रहा है." कैलिफोर्निया में लगी भयंकर आग इसका संकेत देता है कि जलवायु परिवर्तन का आगे चलकर और कितना हानिकारक असर हो सकता है, जिससे और अधिक लोग, घर और अर्थव्यवस्था प्रभावित होगा.
लाशोफ ने कहा, "हम जो अपनी आंखों से देख रहे हैं उस पर हमें विश्वास करना चाहिए, जो कि ज्यादा तीव्र जंगल की आग, समुद्री तूफान, बाढ़ और हीट वेव्स के रूप में दिख रही है. इसे ही जलवायु परिवर्तन कहते हैं और अगर हमने तेजी से कम-कार्बन वाली अर्थव्यवस्था की तरफ स्थानांतरन नहीं किया तो आगे स्थिति और खराब होगी."इस रिपोर्ट में तापमान में बढ़ोतरी का मुख्य कारण जीवाश्म ईंधन को जलाना बताया गया है. कोलंबिया यूनिवर्सिटी के अर्थ इंस्टीट्यूट के विजिटिंग वरिष्ठ शोध वैज्ञानिक रिचर्ड मॉस का कहना है, "ट्रंप प्रशासन को खुद की इस रिपोर्ट को गंभीरता से लेना चाहिए और जलवायु प्रदूषण को रोकने के साथ ही इससे होनेवाली जान की हानि और वित्तीय नुकसान को रोकने के द्विपक्षीय उपाय करने होंगे."
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
रिपोर्ट के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन के कारण सालाना सैकड़ों अरब डॉलर का नुकसान होगा. रिपोर्ट में कहा गया कि अत्यधिक गर्मी के कारण दक्षिण-पूर्व में अकेले संभवत: 2100 आधा अरब श्रमिक घंटे खो देंगे.किसानों को बेहद मुश्किल हालात का सामना करना पड़ेगा। पूरे अमेरिका में उनके फसलों की गुणवत्ता और मात्रा में उच्च तापमान, सूखा और बाढ़ के कारण गिरावट आएगी. हीट स्ट्रेस के कारण दुध उत्पादन में अगले 12 सालों में 0.60 फीसदी से 1.35 फीसदी की गिरावट आएगी. हीट स्ट्रेस के कारण साल 2010 में इस उद्योग को 1.2 अरब डॉलर की चपत लगी है.
रिपोर्ट में कहा गया कि उच्च तापमान के कारण ज्यादा लोग मरेंगे. मध्य-पश्चिम में अकेले उच्च तापमान के कारण साल 2090 तक अतिरिक्त 2,000 समयपूर्व मौतों का अनुमान लगाया गया है. अमेरिका के वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट के निदेशक डैन लाशोफ ने आईएएनएस को बताया, "इस रिपोर्ट का संदेश जोरदार, स्पष्ट और निर्विवाद है कि जलवायु परिवर्तन हो रहा है और तेजी से बढ़ रहा है." कैलिफोर्निया में लगी भयंकर आग इसका संकेत देता है कि जलवायु परिवर्तन का आगे चलकर और कितना हानिकारक असर हो सकता है, जिससे और अधिक लोग, घर और अर्थव्यवस्था प्रभावित होगा.
लाशोफ ने कहा, "हम जो अपनी आंखों से देख रहे हैं उस पर हमें विश्वास करना चाहिए, जो कि ज्यादा तीव्र जंगल की आग, समुद्री तूफान, बाढ़ और हीट वेव्स के रूप में दिख रही है. इसे ही जलवायु परिवर्तन कहते हैं और अगर हमने तेजी से कम-कार्बन वाली अर्थव्यवस्था की तरफ स्थानांतरन नहीं किया तो आगे स्थिति और खराब होगी."इस रिपोर्ट में तापमान में बढ़ोतरी का मुख्य कारण जीवाश्म ईंधन को जलाना बताया गया है. कोलंबिया यूनिवर्सिटी के अर्थ इंस्टीट्यूट के विजिटिंग वरिष्ठ शोध वैज्ञानिक रिचर्ड मॉस का कहना है, "ट्रंप प्रशासन को खुद की इस रिपोर्ट को गंभीरता से लेना चाहिए और जलवायु प्रदूषण को रोकने के साथ ही इससे होनेवाली जान की हानि और वित्तीय नुकसान को रोकने के द्विपक्षीय उपाय करने होंगे."
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