
इंसानों को पर्यावरण खतरे का सिग्नल बार-बार दे रहा और अगर वक्त रहते संभला नहीं गया तो बहुत देर हो जाएगी. वैज्ञानिक नेटवर्क वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन (WWA) ने बुधवार, 11 जून को एक रिपोर्ट में कहा कि मई की लू (हीटवेब) के दौरान ग्रीनलैंड की बर्फ की चादर पिछले औसत की तुलना में 17 गुना तेजी से पिघली, जिसने आइसलैंड को भी प्रभावित किया है.
साइंस मैग्जीन नेचर में 2022 की एक स्टडी के अनुसार, आर्कटिक क्षेत्र ग्लोबल वार्मिंग की अग्रिम पंक्ति (सबसे पहले प्रभाव आएगा) में है, जो 1979 के बाद से ग्रह के बाकी हिस्सों की तुलना में चार गुना तेजी से गर्म हो रहा है.
WWA की रिपोर्ट के लेखकों में से एक, इंपीरियल कॉलेज लंदन में जलवायु विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर, फ्राइडेरिक ओटो ने रिपोर्टरों से कहा, "प्रारंभिक विश्लेषण से, ग्रीनलैंड की बर्फ की चादर के पिघलने की दर 17 गुना ज्यादा है... इसका मतलब है कि समुद्र के स्तर में वृद्धि में ग्रीनलैंड की बर्फ की चादर का योगदान इस गर्मी की लहर के बिना जितना होता, उससे कहीं अधिक है." उन्होंने कहा, "जलवायु परिवर्तन के बिना यह असंभव होता."
आइसलैंड में भी स्थिति खराब
आइसलैंड में, 15 मई को तापमान 26 डिग्री सेल्सियस (79 फारेनहाइट) से अधिक हो गया. इस उपनगरीय द्वीप पर साल के इस समय ऐसा इतिहास में आज के पहले कभी नहीं देखा गया. WWA ने कहा, "आइसलैंड में इस मई में तापमान रिकॉर्ड तोड़ है, जो 1991-2020 के औसत मई के दैनिक अधिकतम तापमान से 13 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म है."
यह क्यों खतरनाक है?
WWA ने कहा कि पूर्वी ग्रीनलैंड में, हीटवेव के दौरान सबसे गर्म दिन पूर्व-औद्योगिक जलवायु की तुलना में लगभग 3.9 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म था. ओटो ने कहा, "हालांकि दुनिया भर के अधिकांश लोगों के अनुभव से 20 डिग्री सेल्सियस के आसपास की गर्मी एक चरम घटना की तरह नहीं लग सकती है, लेकिन यह दुनिया के इस हिस्से के लिए वास्तव में एक बड़ी बात है." उन्होंने कहा, "यह पूरी दुनिया को बड़े पैमाने पर प्रभावित करता है."
WWA के अनुसार, इस मई में आइसलैंड और ग्रीनलैंड में देखी गई रिकॉर्ड ऊंचाई हर 100 साल में दोबारा हो सकती है. ग्रीनलैंड के स्वदेशी समुदायों के लिए, गर्म तापमान और पिघलती बर्फ बर्फ पर शिकार करने की उनकी क्षमता को प्रभावित करती है, जिससे उनकी आजीविका और जीवन के पारंपरिक तरीके के लिए खतरा पैदा हो जाता है. ये बदलाव दोनों देशों के बुनियादी ढांचे को भी प्रभावित करते हैं.
WWA ने कहा, "ग्रीनलैंड और आइसलैंड में, बुनियादी ढांचे का निर्माण ठंड के मौसम के लिए किया जाता है, जिसका अर्थ है कि गर्मी के दौरान बर्फ पिघलने से बाढ़ आ सकती है और सड़कों और बुनियादी ढांचे को नुकसान हो सकता है."
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