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World Environment Day: बदलता एनवायरनमेंट लंबे समय में ला सकता है स्वास्थ्य के लिए ये 5 बड़ी चुनौतियां

World Environment Day: हालिया शोध और विशेषज्ञों की राय के अनुसार, पर्यावरणीय बदलावों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो भविष्य में अनेक स्वास्थ्य समस्याएं देखने को मिल सकती हैं.

World Environment Day: बदलता एनवायरनमेंट लंबे समय में ला सकता है स्वास्थ्य के लिए ये 5 बड़ी चुनौतियां
World Environment Day 2025: बढ़ते तापमान और प्रदूषण का दिल पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.

World Environment Day: पर्यावरण का लगातार बदलता स्वरूप हमारे स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डाल सकता है. जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, जैव विविधता की हानि और बढ़ते तापमान जैसी समस्याएं आने वाले समय में स्वास्थ्य के लिए गंभीर चुनौतियां बन सकती हैं. हालिया शोध और विशेषज्ञों की राय के अनुसार, अगर इन पर्यावरणीय बदलावों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो भविष्य में अनेक स्वास्थ्य समस्याएं देखने को मिल सकती हैं. आइए जानते हैं 5 प्रमुख स्वास्थ्य चुनौतियों के बारे में जो बदलते पर्यावरण से जुड़ी हैं.

एएनवायरनमेंट में बदलाव से स्वास्थ्य के लिए बढ़ती चुनौतियां

1. बढ़ती सांस की समस्याएं

वायु प्रदूषण और ग्रीनहाउस गैसों की बढ़ती मात्रा से दमा, ब्रोंकाइटिस और सांस संबंधी बीमारियां बढ़ सकती हैं. वाहनों, फैक्ट्रियों और पराली जलाने से निकलने वाले टॉक्सिक गैसों का असर सीधे फेफड़ों पर पड़ता है. छोटे बच्चों और बुजुर्गों में क्रोनिक रेस्पिरेटरी डिजीज का खतरा बढ़ सकता है.

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2. हार्ट डिजीज का बढ़ना

बढ़ते तापमान और प्रदूषण का दिल पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. बहुत ज्यादा गर्मी ब्लड प्रेशर और हार्ट अटैक की संभावनाओं को बढ़ा सकती है. फाइन पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5) की अधिकता धमनियों को नुकसान पहुंचा सकती है.

3. संक्रामक रोगों का बढ़ता खतरा

जलवायु परिवर्तन से डेंगू, मलेरिया और जीका वायरस जैसी बीमारियों की संभावना बढ़ सकती है. तापमान में वृद्धि से मच्छर और अन्य संक्रमित जीवों की संख्या बढ़ सकती है. स्वच्छ पानी की कमी पानीजनित रोगों को जन्म दे सकती है,

4. मानसिक स्वास्थ्य पर असर

ग्लोबल वार्मिंग और प्रदूषण मानसिक स्वास्थ्य पर भी प्रभाव डालते हैं. बहुत ज्यादा गर्मी तनाव, अवसाद और अनिद्रा जैसी समस्याओं को बढ़ा सकती है. प्राकृतिक आपदाओं का बढ़ता खतरा मानसिक अस्थिरता और चिंता को जन्म दे सकता है.

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5. कुपोषण और फूड सेफ्टी की समस्या

जलवायु परिवर्तन से फसल उत्पादन में गिरावट आ सकती है, जिससे कुपोषण बढ़ सकता है. बहुत ज्यादा गर्मी और बाढ़ के कारण अन्न उत्पादन प्रभावित हो सकता है. फूड इनसिक्योरिटी से पाचन तंत्र, हड्डियों और प्रतिरोधक क्षमता पर प्रभाव पड़ सकता है.

पर्यावरणीय परिवर्तन मानव स्वास्थ्य के लिए गंभीर चुनौती बनता जा रहा है. इसे कंट्रोल करने के लिए हमें स्वच्छ ऊर्जा, हरे-भरे क्षेत्रों की रक्षा और प्रदूषण नियंत्रण जैसी पहल करनी होगी. अगर हम अभी सतर्क नहीं हुए, तो आने वाले समय में इन स्वास्थ्य समस्याओं से बचना मुश्किल हो सकता है.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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