
The World Record Heat Waves: दुनियाभर में जलवायु परिवर्तन के खतरनाक संकेत अब और भी स्पष्ट हो गए हैं. विश्व मौसम विज्ञान संगठन (World Meteorological Organisation- WMO) की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2024 ने अब तक के सभी गर्म सालों को पीछे छोड़ दिया है और यह इतिहास में सबसे गर्म साल बन गया है. 2024 में वैश्विक औसत तापमान प्री-इंडस्ट्रियल (1850-1900) स्तर से लगभग 1.55°C अधिक दर्ज किया गया, जो कि पहली बार है जब यह आंकड़ा 1.5°C से ऊपर गया है.
NASA ने भी लगा दी मुहर (top 10 countries recorded with hottest temperatures)
इससे पहले, साल 2023 को सबसे गर्म वर्ष माना गया था, जब तापमान 1.45°C ज्यादा था. Copernicus Earth Observation Programme के मुताबिक, 22 जुलाई 2024 को औसत वैश्विक तापमान 17.16°C दर्ज हुआ, जो अब तक का सबसे ऊंचा दैनिक औसत है. NASA ने भी इस पर मुहर लगाते हुए कहा कि, 'धरती पहले कभी इतनी तेजी से गर्म नहीं हुई.'

इन देशों ने किया खतरनाक हीटवेव का सामना (top 10 heat waves global)
दक्षिण एशिया (जो पहले से ही गर्मी के लिए जाना जाता है) ने 2024 में अभूतपूर्व गर्मी का अनुभव किया. पाकिस्तान के शहीद बेनजीराबाद डिवीजन (Shaheed Benazirabad) में तापमान 50°C तक पहुंचा, जबकि भारत के जयपुर में 44°C दर्ज किया गया. म्यांमार (48.2°C), कंबोडिया (42.8°C), वियतनाम (44.2°C – 2023) और जापान (41.1°C – 2020) जैसे एशियाई देशों ने भी खतरनाक हीटवेव का सामना किया.
जलवायु वैज्ञानिकों ने जताई चिंता (WMO climate report)
सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि दक्षिणी ध्रुव यानी अंटार्कटिका, जो धरती का सबसे ठंडा महाद्वीप माना जाता है, वहां भी 2020 में 'एस्पेरांज़ा बेस' पर गर्मियों में तापमान 18°C से ऊपर चला गया. यह परिवर्तन जलवायु असंतुलन की स्पष्ट निशानी है. WMO ने यह भी बताया कि, पिछले 6 वर्षों में दुनियाभर के कई देशों ने अपने राष्ट्रीय तापमान रिकॉर्ड तोड़े हैं. हालांकि, अब तक का सबसे ऊंचा तापमान 56.7°C अमेरिका के 'डेथ वैली', कैलिफ़ोर्निया में 1913 में दर्ज किया गया था. जलवायु वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर जल्द ही कार्बन उत्सर्जन पर नियंत्रण नहीं पाया गया, तो ये हीटवेव और भी गंभीर और जानलेवा होती जाएंगी.
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