
साउथ कोरिया में मार्शल लॉ लगाने वाले राष्ट्रपति यून सुक येओल के महाभियोग को संवैधानिक कोर्ट ने संवैधानिक करार दिया है. यानी उन्हें पद से हटाए जाने को सही ठहराया है. शुक्रवार, 4 अप्रैल को आए इस फैसले के बाद राष्ट्रपति यून सुक येओल के कुर्सी पर फिर से बैठने का सपना टूट गया है.
संवैधानिक कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि राष्ट्रपति यून की मार्शल लॉ की घोषणा ने देश के संविधान का "उल्लंघन" किया है. कोर्ट ने कहा, "यून ने न केवल मार्शल लॉ की घोषणा की, बल्कि संविधान और कानून का उल्लंघन करने वाले कृत्यों को अंजाम दिया, जिसमें नेशनल असेंबली के अपने अधिकार के प्रयोग में बाधा डालने के लिए सैन्य और पुलिस बलों को जुटाना भी शामिल था."
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3 दिसंबर 2024: मार्शल लॉ लगाया
3 दिसंबर को, विपक्ष के साथ बजट विवाद के बाद, राष्ट्रपति यून ने टेलीविजन पर आते हुए मार्शल लॉ की घोषणा की. इसने साउथ कोरिया के निरंकुश अतीत की याद दिला दी. उन्होंने कहा कि वह "नॉर्थ कोरिया की कम्युनिस्ट ताकतों द्वारा उत्पन्न खतरों से देश की रक्षा करना चाहते हैं और लोगों की स्वतंत्रता और खुशी को लूटने वाले राज्य विरोधी तत्वों को खत्म करना चाहते हैं".
इसके बाद हथियार लिए सैनिक संसद की ओर बढ़ गए, बैरिगेड को लांघ गए, खिड़कियां तोड़ने लगे. सांसदों को राष्ट्रपति की डिक्री को पलटने से रोकने के लिए हेलीकॉप्टर से भी उतरे. इसके बाद हजारों प्रदर्शनकारी संसद के बाहर इकट्ठा हुए. सांसदों ने 4 दिसंबर की सुबह यून की घोषणा को रद्द करने के लिए 190-0 से वोट किया यानी किसी ने उनके पक्ष में वोट नहीं किया.
4 दिसंबर 2024: राष्ट्रपति पर महाभियोग लगाने की तैयारी
विपक्ष ने तुरंत 4 दिसंबर को महाभियोग पर जोर देने और इसके लिए एक आधिकारिक प्रस्ताव दायर करने की कसम खाई. विपक्ष ने राष्ट्रपति यून, उनके रक्षा और आंतरिक मंत्रियों और "मार्शल लॉ कमांडर और पुलिस चीफ जैसे प्रमुख सैन्य और पुलिस अधिकारियों" के खिलाफ "विद्रोह" की अलग-अलग शिकायतें दर्ज कीं.
14 दिसंबर 2024: यून पर महाभियोग लगाया गया
300 सांसदों में से 204 ने यून पर महाभियोग चलाने के लिए वोट किया और 85 ने प्रस्ताव के खिलाफ वोट किया. इसके बाद यून को पद से निलंबित कर दिया गया. साउथ कोरिया के संवैधानिक कोर्ट के पास इस वोट पर विचार-विमर्श करने के लिए छह महीने का समय था. प्रधान मंत्री हान डक-सू देश के कार्यवाहक राष्ट्रपति बने.
27 दिसंबर 2024: कार्यवाहक राष्ट्रपति पर महाभियोग
27 दिसंबर को, सांसदों ने यून की जांच के लिए हस्ताक्षर करने से इनकार करने पर कार्यवाहक राष्ट्रपति हान पर महाभियोग चलाया. उनकी जगह वित्त मंत्री चोई संग-मोक ने पदभार संभाला.
30 दिसंबर 2024: गिरफ्तारी वारंट जारी
पूछताछ के लिए आने में विफल रहने के बाद पुलिस ने यून के लिए गिरफ्तारी वारंट का आवेदन दिया. महाभियोग प्रक्रिया पूरी होने से पहले किसी राष्ट्रपति को जबरन हिरासत में लेने का यह साउथ कोरिया के इतिहास में पहला प्रयास था. इसके बाद यून के सैकड़ों समर्थकों ने उनके महाभियोग का विरोध करने के लिए उनके परिसर के बाहर रैली की.
3 जनवरी 2025: गिरफ्तारी का पहला प्रयास
पुलिस यून को गिरफ्तार करने के लिए कदम उठाती है लेकिन छह घंटे के तनावपूर्ण गतिरोध में यून के गार्ड उसे रोक देते हैं. सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए पुलिस को पीछे हटने पर मजबूर किया जाता है.
14 जनवरी 2025: महाभियोग पर सुनवाई शुरू
संवैधानिक कोर्ट ने यून के महाभियोग का मुकदमा शुरू किया. 25 फरवरी तक कुल 11 सुनवाइयां हुईं, जिनमें से कुछ में यून खुद शामिल हुए और अपने फैसले का बचाव किया.
15 जनवरी 2025: यून को हिरासत में लिया गया
बड़ी मशक्क्त के बाद पुलिस यून के आवास में घुसी और उन्हें हिरासत में लिया. यून का मग शॉट लिया गया है और उनकी शारीरिक जांच की गई है. उन्होंने एक आपराधिक संदिग्ध के रूप में जेल में अपनी पहली रात बिताई.
18 जनवरी 2025: यून का वारंट बढ़ाया गया
एक कोर्ट ने यून की हिरासत की अवधि बढ़ाने के लिए एक औपचारिक गिरफ्तारी वारंट जारी किया है. कोर्ट ने इस चिंता का हवाला दिया कि वह सबूत नष्ट कर सकते हैं.
8 मार्च 2025: यून को रिलीज किया गया
एक दिन पहले (यानी 7 मार्च) अदालत द्वारा प्रक्रियात्मक आधार पर उनकी गिरफ्तारी को रद्द करने के बाद निलंबित राष्ट्रपति को हिरासत से रिहा कर दिया गया.
4 अप्रैल 2025: कोर्ट का फैसला आया
राष्ट्रपति के महाभियोग को कोर्ट ने जायज ठहराया
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं