
- साउथ कोरिया के नए राष्ट्रपति ली जे-म्युंग नॉर्थ कोरिया और चीन के साथ संबंध सुधारने की नीति अपना रहे हैं.
- पूर्व राष्ट्रपति यूं सुक येओल के मुकाबले ली जे-म्युंग की सरकार नॉर्थ कोरिया को मुख्य दुश्मन नहीं मानती है.
- रूस और नॉर्थ कोरिया के सैन्य सहयोग को देखते हुए साउथ कोरिया अपनी सुरक्षा और विदेश नीति में बदलाव कर रहा है.
South Korea- North Korea Relation: जो कल तक एक दूसरे के कट्टर दुश्मन थे, उनके बीच आज अमन का आस जगी है. जो कल तक एक-दूसरे को अपने अस्तित्व के लिए ही खतरा मानते थे, आज वो रिश्तों को सुधारने की कोशिश में लगे हैं. हम बात कर रहे हैं साउथ कोरिया और नॉर्थ कोरिया की. जब से साउथ कोरिया में नए राष्ट्रपति ली जे-म्युंग ने सत्ता संभाली है, बयार बदले से नजर आ रहे हैं. इन दो कोरियाई देशों के बीच संबंधों को हैंडल करने वाले साउथ कोरिया के एकीकरण मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि साउथ कोरिया की सरकार किम जोंग के नेतृत्व वाले नॉर्थ कोरिया के साथ संबंध सुधारने के लिए अलग-अलग योजनाओं पर विचार कर रही है.
सवाल है कि आखिर साउथ कोरिया के नए राष्ट्रपति ली जे-म्युंग नॉर्थ कोरिया और चीन के साथ संबंधों को अच्छा करने पर जोर क्यों दे रहे हैं जबकि दोनों उसके अस्तित्व के लिए खतरा माने जाते रहे हैं. क्या उनकी यह नीति उन्हें अमेरिका और ट्रंप से दूर ले जाएगी. चलिए खोजने की कोशिश करते हैं.
नए राष्ट्रपति के आने के साथ बदलने लगा माहौल
जून की शुरुआत में साउथ कोरिया को आखिरकार 6 महीने की राजनीतिक उथल-पुथल के बाद एक नया राष्ट्रपति मिला. मार्शल लॉ और दो-दो पूर्व राष्ट्रपति पर चले महाभियोग ने जिस देश को राजनीतिक संकट में झोंक दिया था, उसे अब नए राष्ट्रपति ली जे-म्युंग लीड कर रहे हैं. ली जे-म्युंग खुद को विदेश नीति के मोर्चे पर "व्यावहारिक" (प्रैगमेटिक) कहते हैं. उनका कहना है कि वह विचारधारा के बजाय साउथ कोरिया के राष्ट्रीय हित से प्रेरित हैं, और उन्होंने पद संभालते ही चीन और नॉर्थ कोरिया के साथ संबंध सुधारने की अपनी इच्छा के बारे में बात की है. अबतक के लगभग 50 दिन के शासन में उन्होंने इस दिशा में कदम भी बढ़ाया है.
दरअसल पूर्व राष्ट्रपति यूं सुक येओल के शासन में इन दोनों देशों के साथ साउथ कोरिया के संबंधों में तनाव बढ़ गया था. यून ने नॉर्थ कोरिया के प्रति टकरावपूर्ण रुख अपनाया और चीन के साथ प्रतिद्वंद्विता में खुले तौर पर अमेरिका का पक्ष लिया. लेकिन अब जिस तरह से नए राष्ट्रपति ली जे-म्युंग देश का स्टैंड बदल रहे हैं, उनका यह दृष्टिकोण उनकी सरकार को ट्रंप प्रशासन के साथ टकराव में ला सकता है.
वक्त के साथ कैसे बदला रिश्ता
साउथ कोरिया ने 1995 के रक्षा श्वेत पत्र में पहली बार नॉर्थ कोरिया को अपना मुख्य दुश्मन बताया था. लेकिन जब 2004 में दोनों कोरियाई देश के बीच सुलह का माहौल बना तो दुश्मन की जगह नॉर्थ कोरिया को "प्रत्यक्ष सैन्य खतरे" से बदल दिया गया.
साउथ कोरिया के पूर्व उदारवादी राष्ट्रपति मून जे-इन की सरकार ने 2018 और 2020 में अपने श्वेत पत्र में नॉर्थ कोरिया के लिए इस लेबलिंग को हटा दिया था. लेकिन फिर यूं सुक येओल आई और उसने 2022 के रक्षा श्वेत पत्र में छह वर्षों में पहली बार नॉर्थ कोरिया को "दुश्मन" के रूप में लिखा.
2023 के अंत तक हालात और बिगड़े. नॉर्थ कोरियाई नेता किम जोंग-उन ने दोनों देशों के बीच के संबंधों को "एक-दूसरे के प्रति शत्रुतापूर्ण दो देश" के रूप में परिभाषित किया, जिसमें साउथ कोरिया के साथ सुलह और एकीकरण की तलाश न करने की कसम खाई गई थी. उन्होंने साउथ कोरिया को अपने देश का "प्राथमिक शत्रु" भी कहा था.
कट्टर दुश्मनों के बीच बढ़ते प्रोपेगैंड वॉर के हिस्से के रूप में, नॉर्थ कोरिया पिछले साल से साउथ कोरिया से लगे सीमावर्ती क्षेत्रों में एक डरावनी फिल्मों का साउंडट्रैक बजाता था. नॉर्थ कोरिया ने इसके साथ-साथ साउथ कोरिया की ओर उड़ाकर कचरे से भरे गुब्बारों की बौछार भी की थी. जवाब में साउथ कोरिया अपना लाउडस्पीकर लगाकर नॉर्थ कोरिया की तरफ न सिर्फ के-पॉप गाने बजा रहा था बल्कि तेज-तेज न्यूज रिपोर्ट भी सुनाता था. लेकिन अब साउथ कोरिया में नए राष्ट्रपति ली जे-म्युंग चीजों को बदलना चाह रहे हैं. नए राष्ट्रपति ने "विश्वास बहाल करने" के लिए अपनी सेना को आदेश दिया कि वो अपने तरफ से लाउडस्पीकर को बंद कर दे. जवाब में नॉर्थ कोरिया ने बॉर्डर पर अजीब और परेशान करने वाली आवाजों को ब्रॉडकास्ट करना बंद कर दिया है.
नॉर्थ कोरिया के साथ संबंध क्यों सुधारना चाहते हैं नए राष्ट्रपति
साउथ कोरिया के नए राष्ट्रपति ली जे-म्युंग को एक अनोखी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है जो पहले इतनी बड़ी चुनौती नहीं थी: रूस और नॉर्थ कोरिया के बीच बढ़ता सैन्य सहयोग. रूस अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों को तोड़कर नॉर्थ कोरिया से हथियार खरीद रहा है और नॉर्थ कोरियाई सैनिकों और मजदूरों को जंग के बीच काम पर रख रहा है. यह सहयोग सियोल के लिए एक बढ़ता सुरक्षा खतरा बन गया है.
रूस के साथ इस याराना से नॉर्थ कोरिया को वित्तीय लाभ मिल रहा, उसे रूस की तकनीकी सहायता मिल रही. यह याराना इन दो कोरियाई देशों के बीच सैन्य संतुलन को गंभीर रूप से बदलने की क्षमता रखता है- नॉर्थ कोरिया के पक्ष में.
एक सच्चाई यह भी है कि साउथ कोरिया ने कुल मिलाकर अपना सैन्य मोर्चा नॉर्थ की अपेक्षा मजबूत बरकरार रखा है. लेकिन साउथ कोरिया को भी पता है कि अमेरिका में एक ऐसा राष्ट्रपति कुर्सी पर बैठा है जो ‘अमेरिका फर्स्ट' के बैनर की तले उस समय तक उसकी सैन्य मदद करने नहीं आएगा जबतक कि उसे अपना फायदा नहीं दिखे.
मौजूदा राष्ट्रपति ली और पूर्व राष्ट्रपति यूं ने रूस-नॉर्थ कोरिया सैन्य सहयोग के खतरे से निपटने के लिए बहुत अलग तरीकों का इस्तेमाल किया है. एक तरफ यूं ने यूक्रेन के लिए उस समय तक समर्थन बढ़ाने की कसम खाई थी जब तक कि रूस नॉर्थ कोरियाई सैनिकों का उपयोग बंद नहीं कर देता. उन्होंने नॉर्थ कोरिया से यूरोप के लिए उत्पन्न खतरे की चेतावनी देते हुए नाटो के साथ देश के संबंधों पर भी जोर दिया था. इसके विपरीत, मौजूदा राष्ट्रपति ली रूस के साथ संबंधों को बेहतर बनाने के लिए व्यापार का उपयोग करने और नॉर्थ के प्रति अपने शांतिपूर्ण इरादों को दिखाने के लिए एकतरफा कार्रवाई को तैयार हैं.
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