रियाद:
सऊदी अरब के शाह सलमान ने आज अपने 31 वर्षीय छोटे बेटे मोहम्मद बिन सलमान अल-सउद को युवराज नियुक्त कर दिया. इसका मतलब यह है कि मोहम्मद तेल संपदा से समृद्ध इस खाड़ी देश के अगले शाह होंगे. सरकारी संवाद समिति सऊदी प्रेस एजेंसी (एसपीए) की ओर से जारी शाही शासनादेश में कहा गया है कि शाह सलमान ने शहजादा मोहम्मद बिन नायेफ को युवराज और गृह मंत्री के पद से हटा दिया.
नए युवराज मोहम्मद बिन सलमान पहले से ही बहुत प्रभावशाली स्थिति में थे. वह रक्षा मंत्री और देश की अर्थव्यवस्था को नया आकार देने का काम कर रही आर्थिक परिषद के प्रमुख का दायित्व निभा रहे हैं. मोहम्मद बिन सलमान इससे पहले उप युवराज की भूमिका में भी थे और सऊदी की शाही व्यवस्था के जानकार पहले से ही इसकी अटकलें लगा रहे थे कि शाह सलमान के शासनकाल में ही 31 साल के मोहम्मद को देश के दूसरे सबसे महत्वपूर्ण पद पर आसीन किया जा सकता है.
नए युवराज जनवरी, 2015 में सलमान के शाह बनने से पहले बहुत ज्यादा चर्चित नहीं थे. शाह सलमान के युवराज रहने के दौरान मोहम्मद उनकी रॉयल कोर्ट के प्रभारी थे. शाह बनने के बाद सलमान ने अपने इस छोटे बेटे को एकाएक इतनी ताकत से नवाज दिया कि बहुत सारे लोग खासकर शाही परिवार में ही बहुत सारे लोग हैरान रह गए.
शाही शासनादेश में कहा गया है कि युवराज का चयन करने वाली परिषद के वरिष्ठ शाही सदस्यों में 'बहुमत' से मोम्मद बिन सलमान के पक्ष में फैसला किया. सऊदी अरब के सरकारी चैनल का कहना है कि परिषद के 34 सदस्यों में से 31 ने मोहम्मद बिन सलमान के पक्ष में वोट किया. माना जा रहा है कि हाल ही में सऊदी अरब और यूएई के नेतृत्व में कतर को अलग-थलग करने का जो फैसला किया गया उसमें मोहम्मद बिन नायेफ की भूमिका नहीं थी. वह बहुत ज्यादा सक्रिय भी नजर नहीं आ रहे थे.
मोहम्मद बिन सलमान ने पिछले कुछ महीनों में कई आधिकारिक विदेश दौरे किए. इसमें मार्च महीने का अमेरिका दौरा सबसे अहम है. मोहम्मद बिन सलमान के इस दौरे से ट्रंप की सऊदी अरब की यात्रा की बुनियाद पड़ी. राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रंप ने अपने पहले विदेश दौरे के लिए सऊदी अरब को चुना.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
नए युवराज मोहम्मद बिन सलमान पहले से ही बहुत प्रभावशाली स्थिति में थे. वह रक्षा मंत्री और देश की अर्थव्यवस्था को नया आकार देने का काम कर रही आर्थिक परिषद के प्रमुख का दायित्व निभा रहे हैं. मोहम्मद बिन सलमान इससे पहले उप युवराज की भूमिका में भी थे और सऊदी की शाही व्यवस्था के जानकार पहले से ही इसकी अटकलें लगा रहे थे कि शाह सलमान के शासनकाल में ही 31 साल के मोहम्मद को देश के दूसरे सबसे महत्वपूर्ण पद पर आसीन किया जा सकता है.
नए युवराज जनवरी, 2015 में सलमान के शाह बनने से पहले बहुत ज्यादा चर्चित नहीं थे. शाह सलमान के युवराज रहने के दौरान मोहम्मद उनकी रॉयल कोर्ट के प्रभारी थे. शाह बनने के बाद सलमान ने अपने इस छोटे बेटे को एकाएक इतनी ताकत से नवाज दिया कि बहुत सारे लोग खासकर शाही परिवार में ही बहुत सारे लोग हैरान रह गए.
शाही शासनादेश में कहा गया है कि युवराज का चयन करने वाली परिषद के वरिष्ठ शाही सदस्यों में 'बहुमत' से मोम्मद बिन सलमान के पक्ष में फैसला किया. सऊदी अरब के सरकारी चैनल का कहना है कि परिषद के 34 सदस्यों में से 31 ने मोहम्मद बिन सलमान के पक्ष में वोट किया. माना जा रहा है कि हाल ही में सऊदी अरब और यूएई के नेतृत्व में कतर को अलग-थलग करने का जो फैसला किया गया उसमें मोहम्मद बिन नायेफ की भूमिका नहीं थी. वह बहुत ज्यादा सक्रिय भी नजर नहीं आ रहे थे.
मोहम्मद बिन सलमान ने पिछले कुछ महीनों में कई आधिकारिक विदेश दौरे किए. इसमें मार्च महीने का अमेरिका दौरा सबसे अहम है. मोहम्मद बिन सलमान के इस दौरे से ट्रंप की सऊदी अरब की यात्रा की बुनियाद पड़ी. राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रंप ने अपने पहले विदेश दौरे के लिए सऊदी अरब को चुना.
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