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कनाडा, थाईलैंड, लाओस... भारत में ही नहीं दुनिया के कई देशों में स्थापित है श्रीराम की भव्य प्रतिमा

कनाडा में श्री राम की 51 फुट ऊंची मूर्ति की स्थापना, पश्चिम में भी सनातन धर्म का एक विशाल प्रतीक है. अयोध्या से लेकर ओंटारियो तक, श्री राम का नाम सीमाओं से भी परे गूंज रहा है. यह दुनिया भर में आस्था और पहचान का प्रतीक है.

कनाडा, थाईलैंड, लाओस... भारत में ही नहीं दुनिया के कई देशों में स्थापित है श्रीराम की भव्य प्रतिमा
  • पीएम मोदी ने गोवा में भगवान श्रीराम की विश्व की सबसे ऊंची 77 फुट ऊंची कांस्य प्रतिमा का अनावरण किया
  • कनाडा के ओंटारियो के मिसिसॉगा में भगवान राम की 51 फुट ऊंची फाइबरग्लास और स्टील फ्रेम वाली प्रतिमा स्थापित है
  • थाईलैंड-लाओस में रामायण महाकाव्य का सांस्कृतिक प्रभाव है, वहां मंदिरों में चित्रों के जरिए इसे दिखाया गया है
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नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को गोवा में भगवान श्रीराम की 77 फुट ऊंची कांस्य प्रतिमा का अनावरण किया. भगवान राम की ये विश्व में सबसे ऊंची प्रतिमा है. भारत के अलावा दुनिया के कई अन्य देशों में भी श्रीराम की बड़ी-बड़ी प्रतिमा लगाई गई हैं. उत्तरी अमेरिका के ओंटारियो के मिसिसॉगा में हिंदू हेरिटेज सेंटर में भी भगवान राम की 51 फीट ऊंची प्रतिमा लगाई गई है. इसके अलावा कनाडा, थाईलैंड और लाओस में भी श्रीराम की भव्य प्रतिमा और मंदिर बनाए गए हैं.

ओंटारियो के मिसिसॉगा में भगवान राम की प्रतिमा फाइबरग्लास से बनी है और इसका फ्रेम स्टील का है. यह ग्रेटर टोरंटो क्षेत्र में एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक स्थल के रूप में स्थापित है.

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प्यू रिसर्च सेंटर (Pew Research Centre) की 2012 की एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में लगभग 1 अरब से ज्यादा हिंदू हैं. कनाडा में हिंदू धर्म तीसरा सबसे बड़ा धर्म है. 2021 की जनगणना के अनुसार देश की कुल आबादी का लगभग 2.3% हिंदू हैं. ऐसे में कनाडा में हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक, भगवान राम की 51 फुट की मूर्ति लगाई जाने से इसको और विस्तार मिला है.
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कनाडा में श्री राम की 51 फुट ऊंची मूर्ति की स्थापना, पश्चिम में भी सनातन धर्म का एक विशाल प्रतीक है. अयोध्या से लेकर ओंटारियो तक, श्री राम का नाम सीमाओं से भी परे गूंज रहा है. यह दुनिया भर में आस्था और पहचान का प्रतीक है.

थाईलैंड और लाओस में रामायण का महत्वपूर्ण सांस्कृतिक प्रभाव

वहीं रामायण महाकाव्य का दक्षिण पूर्व एशिया में भी महत्वपूर्ण सांस्कृतिक प्रभाव है. लाओस में राष्ट्रीय महाकाव्य को फ्रा लाक फ्रा राम (Phra Lak Phra Ram) कहा जाता है, जो रामायण का एक रूपांतर है, और वहां के मंदिरों में इसके महत्व को तस्वीरों के साथ दर्शाए जाते हैं.

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