पाकिस्तान के शहर लाहौर में स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (यूईटी) के प्रबंधन ने कड़े विरोध के बाद अपने उस आदेश को वापस ले लिया है जिसमें विश्वविद्यालय की कैंटीन में छात्र और छात्राओं को एक साथ बैठने से रोक दिया गया था. पाकिस्तानी मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, यूईटी ने छह सितम्बर को नोटिस जारी कर कहा कि 'सूचित किया जाता है कि कुलपति ने उचित पार्टिशन के साथ छात्र और छात्राओं के अलग-अलग बैठने का आदेश जारी किया है. यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा.'
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इस आदेश का व्यापक विरोध हुआ. सोशल मीडिया साइट पर इसके खिलाफ ट्वीट शुरू हो गए. एक यूजर ने तंज किया, "भारत के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मंगल ग्रह और चांद पर प्रोब्स और लैंडर भेज रहे हैं. जबकि, पाकिस्तान इससे कहीं अधिक जरूरी बातों (छात्र-छात्राओं के एक साथ बैठने पर पाबंदी लगाने) में व्यस्त है."
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एक यूजर ने धार्मिक शिक्षा देने वाले मदरसों की तरफ इशारा करते हुए लिखा, "दारुल उलूम ए इंजीनियरिंग लाहौर." एक अन्य यूजर ने ट्वीट किया, "त्रासद. हमारे विश्वविद्यालय इन्हीं सब बातों में लगे हुए हैं. ऐसे में हम अभी जिस हालत में हैं, इसमें भला ताज्जुब की क्या बात?" एक अन्य यूजर ने लिखा, "नए पाकिस्तान में भी छात्र-छात्राओं की शिक्षा पर नहीं बल्कि लड़के और लड़कियों को अलग-अलग बैठाने पर ध्यान दिया जा रहा है."
इस विरोध के बाद छात्र-छात्राओं पर कैंटीन में साथ बैठने पर प्रतिबंध लगाने वाले आदेश को वापस ले लिया गया. विश्वविद्यालय प्रबंधन ने एक नया बयान जारी कर कहा कि छात्र-छात्राओं के एक साथ कैंटीन में बैठने पर प्रतिबंध लगाने वाला आदेश तत्काल प्रभाव से वापस लिया जा रहा है. बयान में यह भी कहा गया कि प्रतिबंध लगाने वाला आदेश कुलपति की जानकारी के बिना जारी कर दिया गया था. मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि पंजाब प्रांत के राज्यपाल ने इस मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति बनाई है.
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