व्हाइट हाउस (फाइल फोटो)
वाशिंगटन:
व्हाइट हाउस ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से मुलाकात के बाद कहा कि पेरिस में ऐतिहासिक जलवायु परिवर्तन समझौता संभव नहीं होता अगर भारत कुछ महत्वपूर्ण प्रतिबद्धताएं व्यक्त करने में नेतृत्व नहीं दिखाता।
व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जोश अर्नेस्ट ने संवाददाताओं से कहा, 'हमने कई बार कहा है कि इस प्रक्रिया में भारत की भूमिका महत्वपूर्ण थी और अगर भारतीय तेज कदम नहीं उठाते और कुछ महत्वपूर्ण प्रतिबद्धताओं में नेतृत्व नहीं दर्शाते तो पिछले साल दिसंबर में पेरिस में हुए समझौते पर हम शायद वास्तव में पहुंच नहीं पाते।'
उन्होंने ओबामा और मोदी की मुलाकात पर पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए यह बात कही। बातचीत में दोनों नेताओं ने इस साल के अंत तक पेरिस समझौते में शामिल होने की प्रतिबद्धता को पूरा करने की बात दोहराई।
अर्नेस्ट ने कहा, 'जलवायु परिवर्तन और कार्बन प्रदूषण से लड़ने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय समझौते पर पहुंचने में भारत ने जो अग्रणी भूमिका निभाई है, उसके बारे में व्यापक बातचीत हुई।' उन्होंने कहा कि पिछले साल पेरिस में मोदी की भूमिका, वह जो न केवल अपने देश के लिए बल्कि पूरी धरती के लिए सही सोचते हैं, उसे करने का राजनीतिक जोखिम लेने की दृढ़ता का प्रमाण है।
अर्नेस्ट ने कहा, 'और इसके लिए उन्हें बहुत श्रेय जाता है।' उन्होंने कहा, 'मैं यह भी कहूंगा कि प्रधानमंत्री मोदी इस बात को समझते हैं कि यहां महत्वपूर्ण आर्थिक अवसर है। राष्ट्रपति ओबामा भी निश्चित रूप से इसे मानते हैं।'
अर्नेस्ट ने कहा कि सौर क्षेत्र और पवन ऊर्जा के क्षेत्र में भारत में भी अमेरिकी कारोबारियों के लिए महत्वपूर्ण अवसर हैं। अमेरिका के लिए और परमाणु ऊर्जा प्रौद्योगिकी विकसित करने के लिहाज से दुनियाभर के देशों के साथ काम करने के लिए भी अवसर हैं। उन्होंने कहा, 'और दोनों नेताओं के बीच भारत में बुनियादी संरचना में निवेश के बारे में बातचीत हुई और हम इस बात को देखकर खुश हुए कि भारत ने इस बात की घोषणा की कि वह भारत में छह वेस्टिंगहाउस परमाणु रिएक्टर बनाना चाहता है। यह परियोजना अमेरिका में और भारत में दसियों हजार अच्छे वेतन वाले रोजगारों का सृजन करेगी।'
अर्नेस्ट ने कहा, 'अत: यह इस बात का अच्छा उदाहरण है कि जलवायु परिवर्तन से लड़ने और अक्षय ऊर्जा के बारे में अच्छे फैसले अमेरिका में और दुनिया के देशों में महत्वपूर्ण तथा सकारात्मक आर्थिक प्रभाव डाल सकते हैं।' एक अन्य प्रश्न के उत्तर में अर्नेस्ट ने पीएम मोदी के इस बयान का उल्लेख किया कि भारत अमेरिका द्वारा निर्धारित उद्देश्य को साझा करता है जो पेरिस समझौते को इस साल प्रभाव में आते देखने का है और भारत ने इस साल करार में शामिल होने के उद्देश्य की, साक्षा लक्ष्य की दिशा में अपने हिस्से का काम करने की प्रतिबद्धता जताई है।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जोश अर्नेस्ट ने संवाददाताओं से कहा, 'हमने कई बार कहा है कि इस प्रक्रिया में भारत की भूमिका महत्वपूर्ण थी और अगर भारतीय तेज कदम नहीं उठाते और कुछ महत्वपूर्ण प्रतिबद्धताओं में नेतृत्व नहीं दर्शाते तो पिछले साल दिसंबर में पेरिस में हुए समझौते पर हम शायद वास्तव में पहुंच नहीं पाते।'
उन्होंने ओबामा और मोदी की मुलाकात पर पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए यह बात कही। बातचीत में दोनों नेताओं ने इस साल के अंत तक पेरिस समझौते में शामिल होने की प्रतिबद्धता को पूरा करने की बात दोहराई।
अर्नेस्ट ने कहा, 'जलवायु परिवर्तन और कार्बन प्रदूषण से लड़ने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय समझौते पर पहुंचने में भारत ने जो अग्रणी भूमिका निभाई है, उसके बारे में व्यापक बातचीत हुई।' उन्होंने कहा कि पिछले साल पेरिस में मोदी की भूमिका, वह जो न केवल अपने देश के लिए बल्कि पूरी धरती के लिए सही सोचते हैं, उसे करने का राजनीतिक जोखिम लेने की दृढ़ता का प्रमाण है।
अर्नेस्ट ने कहा, 'और इसके लिए उन्हें बहुत श्रेय जाता है।' उन्होंने कहा, 'मैं यह भी कहूंगा कि प्रधानमंत्री मोदी इस बात को समझते हैं कि यहां महत्वपूर्ण आर्थिक अवसर है। राष्ट्रपति ओबामा भी निश्चित रूप से इसे मानते हैं।'
अर्नेस्ट ने कहा कि सौर क्षेत्र और पवन ऊर्जा के क्षेत्र में भारत में भी अमेरिकी कारोबारियों के लिए महत्वपूर्ण अवसर हैं। अमेरिका के लिए और परमाणु ऊर्जा प्रौद्योगिकी विकसित करने के लिहाज से दुनियाभर के देशों के साथ काम करने के लिए भी अवसर हैं। उन्होंने कहा, 'और दोनों नेताओं के बीच भारत में बुनियादी संरचना में निवेश के बारे में बातचीत हुई और हम इस बात को देखकर खुश हुए कि भारत ने इस बात की घोषणा की कि वह भारत में छह वेस्टिंगहाउस परमाणु रिएक्टर बनाना चाहता है। यह परियोजना अमेरिका में और भारत में दसियों हजार अच्छे वेतन वाले रोजगारों का सृजन करेगी।'
अर्नेस्ट ने कहा, 'अत: यह इस बात का अच्छा उदाहरण है कि जलवायु परिवर्तन से लड़ने और अक्षय ऊर्जा के बारे में अच्छे फैसले अमेरिका में और दुनिया के देशों में महत्वपूर्ण तथा सकारात्मक आर्थिक प्रभाव डाल सकते हैं।' एक अन्य प्रश्न के उत्तर में अर्नेस्ट ने पीएम मोदी के इस बयान का उल्लेख किया कि भारत अमेरिका द्वारा निर्धारित उद्देश्य को साझा करता है जो पेरिस समझौते को इस साल प्रभाव में आते देखने का है और भारत ने इस साल करार में शामिल होने के उद्देश्य की, साक्षा लक्ष्य की दिशा में अपने हिस्से का काम करने की प्रतिबद्धता जताई है।
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