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PoK में पाकिस्तान के खिलाफ बगावत… बैकफुट पर शहबाज-मुनीर, कब्जे वाले कश्मीर में चल क्या रहा?

पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में लोगों की विरोध-प्रदर्शन अब इंटरनेशनल होने वाला है. लंदन में JAAC कार्यकर्ताओं ने 02 अक्टूबर यानी आज लंदन में पाकिस्तान उच्चायोग के सामने विरोध प्रदर्शन की घोषणा की है.

PoK में पाकिस्तान के खिलाफ बगावत… बैकफुट पर शहबाज-मुनीर, कब्जे वाले कश्मीर में चल क्या रहा?
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर ने बगावत कर दी है
  • पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में JAAC के नेतृत्व में व्यापक विरोध-प्रदर्शन जारी हैं
  • विभिन्न शहरों में पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी की जिससे कम से कम दस नागरिकों की मौत और कई घायल हुए हैं
  • पाकिस्तान सरकार ने JAAC नेताओं को बातचीत के लिए आमंत्रित किया है लेकिन प्रदर्शन बंद न करने पर चेतावनी भी दी है
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पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में लोगों की विरोध-प्रदर्शन रुकता नहीं दिख रहा है. पाकिस्तान के प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ और आर्मी चीफ आसिम मुनीर की सेना ने भले गोली चलाकर कम से कम 10 प्रदर्शनकारियों की हत्या कर दी है, लेकिन अपने हक की आवाज उठाते लोगों ने पीछे हटने से इनकार कर दिया है. अब इस्लामाबाद में बैठी सरकार और स्थानीय सरकार इस तरह बैकफुट पर आ गई है कि वो लोगों से बैठकर बात करने की अपील कर रही है. लेकिन ज्वाइंट अवामी एक्शन कमेटी (JAAC) के केंद्रीय नेता शौकत नवाज मीर के आह्वान पर PoK के सभी शहरों और कस्बों के कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने मुजफ्फराबाद की ओर एक लंबा मार्च शुरू किया.

चलिए आपको बताते हैं कि अभी पूरे कब्जे वाले कश्मीर में चल क्या रहा है? इससे पहले संक्षेप में बताते हैं कि यहां के लोग विरोध-प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं.

विरोध प्रदर्शन क्यों हो रहा?

प्रदर्शनकारियों की 38 मांगें हैं. इसमें पीओके असेंबली में पाकिस्तान में रह रहे कश्मीरी शरणार्थियों के लिए आरक्षित 12 सीटों को खत्म करना भी शामिल है. आंदोलनकारी पाकिस्तानी ISI समर्थित मुस्लिम कॉन्फ्रेंस को आतंकी संगठन घोषित करने की भी मांग कर रहे हैं. JAAC के नेता शौकत नवाज मीर ने कहा कि हमें पिछले 70 साल से अधिक समय से मौलिक अधिकारों से वंचित किया जा रहा है. ये आंदोलन उसी के लिए है. अब या तो हमारी मांगों को पूरा किया जाए या फिर लोगों के गुस्से का सामना करें. 

अभी कब्जे वाले कश्मीर में चल क्या रहा है?

कोटली- यहां पूरी तरफ बंदी देखी जा रही है. कोटली में आने और जाने वाले सभी प्रमुख रास्तो को लोगों ने ब्लॉक कर दिया है और JAAC के कार्यकर्ता धरना-प्रदर्शन आयोजित कर रहे हैं. 

धीरकोट- रावलकोट और बाग से लगभग 2,000 JAAC  कार्यकर्ताओं का एक काफिला मुजफ्फराबाद की ओर बढ़ा. हालांकि, धीरकोट पहुंचने पर पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी की. कथित तौर पर, संघर्षों में चार नागरिक मारे गए और नागरिकों और स्थानीय पुलिस कर्मियों सहित लगभग सोलह व्यक्ति घायल हो गए.

मुजफ्फराबाद- धीरकोट में हुई मौतों के विरोध में लाल चौक पर लगभग 2,000 लोगों ने धरना-प्रदर्शन का आयोजन किया था. बाद में अन्य स्थानों से आने वाले काफिलों का इंतजार करने के लिए विरोध प्रदर्शन को मुजफ्फराबाद बाईपास पर ट्रांसफर कर दिया गया. रिपोर्ट में हवाई फायरिंग और आंसू गैस के गोले छोड़े जाने की सूचना मिली है. दो नागरिकों के मारे जाने की खबर है.

दादियाल- चकस्वारी और इस्लामगढ़ से मुजफ्फराबाद की ओर मार्च कर रहे JAAC कार्यकर्ताओं के एक काफिले पर पुलिस द्वारा गोलीबारी की गई. इसमें दो व्यक्तियों की मौत हो गई और लगभग दस अन्य घायल हो गए.

अब बातचीत का रास्ता खोज रही सरकार

पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की सरकार के मुख्य सचिव ने एक नोटिस जारी कर JAAC नेताओं को बातचीत के लिए आमंत्रित किया है. हालांकि सरकार ने JAAC नेतृत्व को विरोध प्रदर्शन बंद नहीं करने पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी भी दी.

वहीं डॉन की रिपोर्ट के अनुसार कब्जे वाले कश्मीर (PoK) के प्रधान मंत्री चौधरी अनवारुल हक ने कहा है, ''बातचीत को वहीं से शुरू करने का अनुरोध है जहां वह टूट गई थी… जब भी आपको उचित लगे, जहां भी JAAC बात करना चाहे, राज्य सरकार बातचीत के लिए तैयार है. मेरे मंत्री मुजफ्फराबाद, रावलकोट और मीरपुर में तैयार हैं."

इतना ही नहीं कब्जे वाले कश्मीर का यह आंदोलन इंटरनेशनल होता भी दिख रहा है. लंदन में JAAC कार्यकर्ताओं ने 02 अक्टूबर यानी आज लंदन में पाकिस्तान उच्चायोग के सामने विरोध प्रदर्शन की घोषणा की है.

प्रोपेगेंडा फैलाने में लगी पाकिस्तान सरकार

पाकिस्तान सरकार के समर्थक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म यहां के लोगों के साथ समझौते की दिशा में आगे बढ़ने के बजाय इन विरोध प्रदर्शनों को बाहरी देश की एजेंसियों की करतूत के रूप में चित्रित कर रहे हैं. खैर यह तो पाकिस्तान सरकार और आर्मी की पुरानी आदत है कि वह हर आंतरिक उथल-पुथल के लिए बाहरी ताकतों को जिम्मेदार ठहराता रहा है. जैसे तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के विद्रोह को बार-बार पाकिस्तान सरकार "भारत प्रायोजित" करार देती रही है, जबकि बलूचिस्तान में सशस्त्र विद्रोह को "फितना-अल-हिंदुस्तान" के तहत लेबल किया गया है. 

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