पश्चिमी अफ्रीका में जानलेवा इबोला विषाणु से जूझ रहे लोगों के अंदर वैज्ञानिकों ने आशा की एक नई किरण जगा दी है। वैज्ञानिकों ने 'जेडमैप' नामक दवा से इबोला से प्रभावित बंदरों का सफलता पूर्वक इलाज किया है।
शोधकर्ता ने कहा कि अध्ययन के दौरान दवा के प्रभाव से इबोला से संक्रमित सभी 18 बंदर स्वस्थ हो गए।
कनाडा की सार्वजनिक स्वास्थ्य एजेंसी में विशेष रोगाणु विभाग के प्रमुख व अध्ययन के संयुक्त लेखक गैरी कोबिंगर ने कहा कि इबोला के खिलाफ लड़ाई में यह महत्वपूर्ण कदम है। दवा तब भी प्रभावी रही, जब विलंब से उसे मरीज को दिया गया।
'लाइव साइंस' की रिपोर्ट के मुताबिक, बंदरों पर इसके परिणाम के आधार पर इबोला से पीड़ित कई मानव मरीजों को हाल में यह दवा दी गई। शोध के दौरान इबोला से संक्रमित बंदरों को हर तीन दिन के अंतराल पर दवा दी गई।
कुछ बंदरों को संक्रमित होने के तीन या चार दिन के बाद दवा दी गई। वहीं कुछ को पांचवें दिन दी गई। इस दवा में तीन एंटीबॉडी मौजूद हैं। इस दवा से रक्तस्राव और त्वचा पर चकते जैसे इबोला के लक्षणों में सुधार आता है। यह अध्ययन पत्रिका 'नेचर' में प्रकाशित हुआ है।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं