बच्चों के मामले में रैपिड एंटीजन टेस्ट पर नहीं कर सकते भरोसा
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक दुनियाभर में शोधकर्ता वैक्सीन बनाने में तेज़ी लाने पर का कर रहे हैं और कोविड 19 और बाकी सभी बीमारियों के लिए एक ही एंटीबॉडी से इलाज के तरीके ढूंढ रहे हैं. लेकिन कोरोना को लेकर बच्चों के बारे में हो रही स्टडी क्या कहती हैं? विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का कहना है कि रैपिड एंटीजन टेस्ट बच्चों के मामले में सटीकता के पैमाने पर खरे नहीं उतरते.
बच्चों में कोरोनावायरस का पता लगाने के लिए रैपिड एंटीजन टेस्ट पर परीक्षण करने वाले शोधर्ताओं ने इस टेस्ट पर की गई 17 स्टडीज़ के अनुसार कहा है कि बच्चों में रैपिड एंटीजन परीक्षण के नतीजे WHO,अमेरिका और ब्रिटेन के रैपिड एंटीजन टेस्ट डिवाइस के नियामकों के पैमाने पर खरे नहीं उतरते.
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इन ट्रायल्स में मई 2021 तक 6,300 बच्चों और किशोरों को शामिल किया गया. इनमें रैपिड एंटीजन टेस्ट की सुविधा देने वाले 6 ब्रांड्स को शामिल किया गया. एक को छोड़कर बाकी सभी स्टडीज़ में प्रशिक्षित कर्मचारियों ने टेस्ट किए. इन सभी को आरटीपीसीआर टेस्ट से मलाया गया. एंटीजन टेस्ट 36% संक्रमित बच्चों में वायरस का पता लगाने में विफल रहा. लक्षण वाले 28% बच्चों में भी एंटीजन टेस्ट वायरस का पता नहीं लगा पाया. जबकि बिना लक्षण वाले 44% बच्चों में एंटीजन टेस्ट से संक्रमण का पता नहीं चल पाया. केवल 1% मामले में एंटीजन टेस्ट ने गलती से ऐसे बच्चे में वायरस डायगनोज़ किया जो संक्रमित ही नहीं था.
केवल यूरोप में ही 500 तरह के एंटीजन टेस्ट मौजूद हैं. लेकिन इस रिसर्च के शोधकर्ताओं का कहना है कि, "असल जीवन की परिस्थितियों में एंटीजन टेस्ट का प्रदर्शन अभी नहीं पता है. लेकिन नई जानकारियां स्कूलों में बड़े पैमाने पर इसके प्रयोग की प्रभावशीलता को शक के घेरे में ला देती हैं.
मां के दूध से COVID-19 फैलने की संभावना न के बराबर
एक नई स्टडी में पहले हुई छोटी स्टडीज़ की बात पुख्ता हुई है कि मां के दूध से बच्चों में कोरोनावायरस का संक्रमण फैलने का डर नहीं होता है.
मार्च 2020 से सितंबर 2020 के बीच की गई स्टडी में शोधकर्ताओं ने बच्चों को दूध पिलाने वाली 110 महिलाओं के दूध के नमूने लिए. इनमें से 65 कोविड19 से संक्रमित थीं. 36 महिलाओं में लक्षण थे लेकिन इनका टेस्ट नहीं हुआ था और 9 महिलाएं ऐसी थीं जिनका कोविड19 टेस्ट रिजल्ट नेगेटिव था.
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पिडियाट्रिक रिसर्च (Pediatric Research) में प्रकाशित हुई एक रिपोर्ट बताती है कि टेस्ट के बाद कोविड पॉज़िटिव पाईं गईं 7 महिलाओं में (6%) में और बिना टेस्ट वाली एक महिला के दूध में कोरोनावायरस का गैरसंक्रामक जेनेटिक मटीरियल (RNA) मिला. लेकिन किसी के भी दूध के नमूने में एक्टिव वायरस होने का सबूत नहीं मिला.
UCLA में डेविड गेफेन स्कूल ऑफ मेडिसिन से जुड़े इस रिसर्च के लीडर डॉ पॉल क्रोगस्टाड( Dr. Paul Krogstad) मां के दूध में RNA मिलने के बाद भी संक्रामक वायरस क्यों नहीं मिला इसका अब तक कोई जवाब नहीं मिला है. वह कहते हैं, " मां के दूध में संक्रमण
अमेरिका के सेंटर फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के अनुसार कोविड19 संक्रमण वाली मां को बच्चे को बॉटल या अपनी छाती से दूध पिलाने से पहले अपनी हाथ धो लेने चाहिए या कम से कम 60% एल्कोहल वाले हैंड सेनिटाइज़र का प्रयोग करना चाहिए. CDC बच्चे से 6 फीट (1.8 meters) से कम दूरी पर होने पर मास्क पहनने की भी सलाह देता है.