काठमांडू:
नेपाल के पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र शाह ने पिछले एक दशक से बिजली के बिल का भुगतान नहीं किया है और अब यह राशि जुर्माने के साथ 70,000 डॉलर हो चुकी है।
सरकारी कंपनी 'नेपाल बिजली प्राधिकरण' ने कहा कि नेपाल के आखिरी राजा ने नागार्जुन महल के बिजली के बिल का भुगतान 10 साल और छह महीने से नहीं किया है। बिल राशि अब हर्जाना मिलाकर करीब 70 लाख रुपये (70 हजार डॉलर) हो चुकी है।
साल 2008 में नारायण हिति राज महल से निकलने के बाद से ज्ञानेंद्र शाह काठमांडू से 10 किलोमीटर उत्तर में स्थित नागार्जुन महल में रह रहे हैं। नागार्जुन महल में जाने के बाद से वह इस संपत्ति के बिजली बिल का भुगतान नहीं कर रहे हैं।
प्राधिकरण के सहायक निदेशक मुकुंद मन चित्रकार के अनुसार नागार्जुन महल के कर्मचारियों ने बकाया बिजली बिल को लेकर भेजी गई किसी भी चिट्ठी को स्वीकार करने से मना कर दिया।
कर्मचारियों के पत्र लेने से इंकार करने के बाद बिजली प्राधिकरण ने काठमांडू में पूर्व नरेश के एक और आवास निर्मल निवास का दरवाजा खटखटाया। ज्ञानेंद्र के निजी सचिव सागर राज तिमिलसेना ने प्राधिकरण के अधिकारियों से कहा कि यह देनदारी प्रधानमंत्री कार्यालय के तहत आती है। साल 2008 तक सभी महलों के सभी बिलों का भुगतान प्रधानमंत्री कार्यालय करता था।
बिजली अधिनियम के अनुसार दो महीने तक बिल का भुगतान नहीं करने पर संबंधित उपभोक्ता का कनेक्शन काट दिया जाता है और अगर छह महीने तक बिल का भुगतान नहीं होता तो फिर तीन पीढ़ियों तक संपत्ति की बिक्री पर रोक लग जाती है।
पूर्व नरेश के खिलाफ ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
सरकारी कंपनी 'नेपाल बिजली प्राधिकरण' ने कहा कि नेपाल के आखिरी राजा ने नागार्जुन महल के बिजली के बिल का भुगतान 10 साल और छह महीने से नहीं किया है। बिल राशि अब हर्जाना मिलाकर करीब 70 लाख रुपये (70 हजार डॉलर) हो चुकी है।
साल 2008 में नारायण हिति राज महल से निकलने के बाद से ज्ञानेंद्र शाह काठमांडू से 10 किलोमीटर उत्तर में स्थित नागार्जुन महल में रह रहे हैं। नागार्जुन महल में जाने के बाद से वह इस संपत्ति के बिजली बिल का भुगतान नहीं कर रहे हैं।
प्राधिकरण के सहायक निदेशक मुकुंद मन चित्रकार के अनुसार नागार्जुन महल के कर्मचारियों ने बकाया बिजली बिल को लेकर भेजी गई किसी भी चिट्ठी को स्वीकार करने से मना कर दिया।
कर्मचारियों के पत्र लेने से इंकार करने के बाद बिजली प्राधिकरण ने काठमांडू में पूर्व नरेश के एक और आवास निर्मल निवास का दरवाजा खटखटाया। ज्ञानेंद्र के निजी सचिव सागर राज तिमिलसेना ने प्राधिकरण के अधिकारियों से कहा कि यह देनदारी प्रधानमंत्री कार्यालय के तहत आती है। साल 2008 तक सभी महलों के सभी बिलों का भुगतान प्रधानमंत्री कार्यालय करता था।
बिजली अधिनियम के अनुसार दो महीने तक बिल का भुगतान नहीं करने पर संबंधित उपभोक्ता का कनेक्शन काट दिया जाता है और अगर छह महीने तक बिल का भुगतान नहीं होता तो फिर तीन पीढ़ियों तक संपत्ति की बिक्री पर रोक लग जाती है।
पूर्व नरेश के खिलाफ ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
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