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कैसे हुआ चमत्कार? नेपाल में जलते प्लेन में कैसे जिंदा बचा पायलट

Nepal Crash: नेपाल प्लेन क्रैश में मौत को मात देने वाले पायलट की चर्चा हर तरफ हो रही है. विमान जब आग का गोला बना तो किसी का भी बचना नामुमकिन सा लग रहा था, लेकिन 37 साल का वह शख्स जिंदा बचना में कामयाब रहा.

कैसे हुआ चमत्कार? नेपाल में जलते प्लेन में कैसे जिंदा बचा पायलट
Nepal Plane Crash: नेपाल विमान हादसे में बची पायलट मनीष शाक्य की जान. (PTI)
नई दिल्ली:

नेपाल की राजधानी काठमांडू में बुधवार को हुए प्लेन क्रैश (Nepal Plane Crash) में 18 लोगों की जान चली गई. इस हादसे से पूरा नेपाल गमगीन है. त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर क्रैश होने वाले विमान में 19 लोग सवार थे, जिनमें से 18 अब इस दुनिया में नही हैं. लेकिन वो एक शख्स जिसने मौत को मात दे दी, वह आखिर है कौन, ये सवाल सभी के जहन में उठ रहा है. जब आग का गोला बने प्लेन का वीडियो सामने आया तो ये सोचना भी असंभव था कि अब कोई जिंदा बचा होगा. लेकिन इस भीषण हादसे में एक शख्स का बचना किसी चमत्कार से कम नहीं है. जिंदा बचने वाले शख्स का नाम मनीष शाक्य है. आखिर मनीष शाक्य है कौन, जानिए.

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नेपाल प्लेन क्रैश में जिंदा बचने वाला कौन?

नेपाल प्लेन हादसे में मौक को मात देकर जिंदा बचने वाले मनीष शाक्य उसी प्लेन के पायलट हैं. प्लेन में आग लगने के बाद तुरंत रेक्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया गया था. जिसके बाद आग पर काबू पा लिया गया. इसी दौरान कैप्टन मनीष शाक्य को बचा लिया गया. घायल हालत में उनको अस्पताल में भर्ती करवाया गया. अब वह खतरे से बाहर हैं. जबकि को-पायलट एस कटुवाल समेत 18 लोगों को नहीं बचाया जा सका. 37 साल के पायलट मनीष शाक्य का इलाज काठमांडू के मॉडल अस्पताल में चल रहा है. अधिकारियों ने बताया कि फिलहाल उनकी आंख और रीढ़ की हड्डी की अहम सर्जरी चल रही है और उन्हें न्यूरो-इंटेंसिव केयर यूनिट में भर्ती कराया गया है.

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कैसे जिंदा बचे पायलट मनीष शाक्य?

प्लेन क्रैश होने के बाद तुरंत ही रेक्यू टीमें मौके पर पहुंच गईं और आग पर काबू पाने की कोशिश शुरू कर दी गई. इसे रेक्स्यू टीम की मुस्तैदी के साथ ही मनीष की किस्मत भी कहेंगे कि धधकते प्लेन के मलबे से उनको बाहर निकालने में टीम कामयाब रही. हालांकि उनकी हालत गंभीर थी. वह खून से लथपथ थे और उनकी यूनिफॉर्म भी खून से भीगी हुई थी. मनीष की जान तो बच गई लेकिन हालत गंभीर थी. उनको तुरंत अस्पताल भेजा गया. हालांकि अब उनको खतरे से बाहर बताया जा रहा है. अस्पताल के डॉक्टर के मुताबिक, उनकी आंख में चोट आई है. 

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कैसे हुआ नेपाल प्लेन क्रैश?

नेपाल के त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर सौर्य एयरलाइंस का विमान पोखरा के लिए उड़ान भर रहा था. टेकऑफ के कुछ ही मिनट बाद वह अचानक नीचे गिर गया और देखते ही देखते आग के गोले में तब्दील हो गया. सौर एयरलाइंस का दुर्घटनाग्रस्त विमान इंजन टेस्टिंग के लिए पोखरा जा रहा था. नेपाल नागरिक उड्डयन प्राधिकरण के मुताबिक, इसमें सवार लोग इंजीनियर और टक्नीशियन थे. हालांकि हादसे के सही कारण का अबब तक पता नहीं चल सका है. 

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ट्रेनिंग के लिए जापान जाने वाले थे मारे गए को-पायलट

वहीं प्लेन के को-पायलट ससंत कटुवाल की भी इस हादसे में मौत हो गई है. वह फ्रांस में अपनी ट्रेनिंग पूरी करने के बाद पिछले तीन साल से पायलट के तौर पर सेवाएं दे रहे थे. उनके चाचा ध्यान बहादुर खड़का ने बताया कि संसत को आगे की ट्रेनिंग के लिए जर्मनी जाने का वीजा मिला था. लेकिन इस हादसे ने उनकी जान ले ली. 

मृतकों की पहचान को-पायलट संसत कटुवाल, सौर्या एयरलाइंस के कर्मचारी और एक यमनी नागरिक (अरेफ रेडा) के रूप में की गई. मृतकों में एयरलाइन के टेक्निशियन मनु राज शर्मा, उनकी पत्नी प्रिजा खातीवाड़ा और उनका चार साल का बेटा अधि राज शर्मा शामिल थे. प्रिज़ा ऊर्जा, जल संसाधन और सिंचाई मंत्रालय में सहायक कंप्यूटर ऑपरेटर के रूप में काम कर चुकी हैं. एयरलाइंस के बयान में कहा गया है कि प्रिज़ा और उनके बेटे की पहचान शुरू में कंपनी के कर्मचारियों के रूप में की गई थी, लेकिन बाद में पता चला कि वे यात्री थे. 

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नेपाल के पीएम ने की धैर्य रखने की अपील

नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और गृह मंत्री रमेश लेख ने इस घटना पर दुख जताते हुए इसके बारे में जानकारी जुटाने और जरूरी निर्देश देने के लिए अलग से हादसे वाली जगह का दौरा किया. पीएम ओली ने सभी से दुख की इस घड़ी में धैर्य रखने की अपील की. 

हवाई हादसों के लिए नेपाल की आलोचना

हाल के सालों में खराब हवाई सुरक्षा रिकॉर्ड के लिए नेपाल की जमकर आलोचना हो रही है. इसका कारण मानवीय भूल के अलावा मौसम में अचानक बदलाव और दुर्गम चट्टानी इलाकों में मौजूद हवाई पट्टियां भी शामिल हैं. नेपाल के नागरिक उड्डयन निकाय के मुताबित, अगस्त 1955 में पहला हादसा सामने आने के बाद से देश में हवाई दुर्घटनाओं में अब तक 914 लोग मारे जा चुके हैं. 

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