आंग सान सू ची (फाइल फोटो)
यंगून:
जेल की सजा पर पूरे विश्व में आलोचना हो रही है, लेकिन देश की नेता आंग सान सू ची ने कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की है. एक अधिकारी ने हालांकि इसको लेकर सू ची का बचाव किया है और कहा कि ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि वह न्यायपालिका की आलोचना नहीं करना चाहती. पत्रकारों वा लोने (32) और क्याव सो ओ (28) को गत वर्ष तब गिरफ्तार किया गया था जब वे सेना द्वारा करीब 700,000 रोहिंग्या मुस्लिमों को बाहर करने के दौरान उन पर किये गए अत्याचारों की रिपोर्टिंग कर रहे थे.
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यंगून की एक अदालत ने सोमवार को दोनों को सरकारी गोपनीयता कानून के तहत दोषी पाया और उन्हें सात-सात वर्ष की सजा सुनायी. इस पर संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ और अमेरिका ने अप्रसन्नता जतायी. सू ची स्वयं 15 वर्षों तक घर में नजरबंद रहीं. सू ची अपनी दिक्कत को रेखांकित करने के लिए स्वयं विदेशी मीडिया पर निर्भर रहीं हैं. इस मामले और फैसले पर उनकी चुप्पी की व्यापक आलोचना हुई है. रायटर के पूर्व पत्रकार आंग हा तुन ने नोबेल पुरस्कार से सम्मानित सू ची के चुप रहने का बचाव किया.
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आंग वर्तमान में उप सूचना मंत्री हैं. उन्होंने कहा, ‘‘न्यायिक प्रणाली की आलोचना करना अदालत की अवमानना के बराबर होता. मुझे नहीं लगता कि वह ऐसा करेंगी.’’ पत्रकारों के वकील फैसले के खिलाफ अपील करेंगे, जबकि देश के राष्ट्रपति कैदियों को क्षमा दे सकते हैं जो कि सू ची के नजदीकी सहयोगी हैं.
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यंगून की एक अदालत ने सोमवार को दोनों को सरकारी गोपनीयता कानून के तहत दोषी पाया और उन्हें सात-सात वर्ष की सजा सुनायी. इस पर संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ और अमेरिका ने अप्रसन्नता जतायी. सू ची स्वयं 15 वर्षों तक घर में नजरबंद रहीं. सू ची अपनी दिक्कत को रेखांकित करने के लिए स्वयं विदेशी मीडिया पर निर्भर रहीं हैं. इस मामले और फैसले पर उनकी चुप्पी की व्यापक आलोचना हुई है. रायटर के पूर्व पत्रकार आंग हा तुन ने नोबेल पुरस्कार से सम्मानित सू ची के चुप रहने का बचाव किया.
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आंग वर्तमान में उप सूचना मंत्री हैं. उन्होंने कहा, ‘‘न्यायिक प्रणाली की आलोचना करना अदालत की अवमानना के बराबर होता. मुझे नहीं लगता कि वह ऐसा करेंगी.’’ पत्रकारों के वकील फैसले के खिलाफ अपील करेंगे, जबकि देश के राष्ट्रपति कैदियों को क्षमा दे सकते हैं जो कि सू ची के नजदीकी सहयोगी हैं.
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