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This Article is From Mar 22, 2011

'बाहरी देश नहीं कर सकते सत्ता परिवर्तन का फैसला'

नई दिल्ली: लीबिया पर पश्चिमी देशों द्वारा किए जा रहे हवाई हमले का विरोध करते हुए भारत ने मंगलवार को कहा कि बाहरी ताकतें एक तीसरे देश में सत्ता परिवर्तन का फैसला नहीं कर सकतीं। संसद में विपक्ष के सदस्यों ने सर्वसम्मति से लीबिया पर हो रहे हमले की निंदा के लिए सरकार से एक प्रस्ताव लाने की मांग की। केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने लीबिया के शासक मुअम्मार गद्दाफी के खिलाफ जनांदोलन को वहां का 'आंतरिक मामला' करार दिया। लोकसभा के नेता मुखर्जी ने कहा, "लीबिया के आंतरिक मामले में बाहरी ताकतों को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।" अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन के हवाई हमलों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, "एक, दो या तीन देश किसी एक तीसरे देश की खास शासन प्रणाली को बदलने का निर्णय नहीं ले सकते।" इसके पहले सांसदों ने लीबिया पर पश्चिमी देशों के हमले पर निंदा प्रस्ताव लाने पर जोर दिया। समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने लोकसभा में सबसे पहले यह मामला उठाया और कहा, "लीबिया पर हमले के गम्भीर विषय पर सरकार को सोचना चाहिए। वहां निर्दोष लोगों की हत्या की जा रही है। इसी सदन ने पहले भी ऐसे मुद्दों पर निंदा प्रस्ताव पारित किया है इसलिए हम चाहते हैं कि मामले की गम्भीरता को देखते हुए सरकार को लीबिया पर हमले के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित करना चाहिए।" भाजपा के यशवंत सिन्हा ने कहा, "हम तानाशाही के खिलाफ हैं लेकिन साथ ही लीबिया पर हो रहे हमले से भी हम चिंतित है। किसी देश के आंतरिक मामलों में सैन्य हस्तक्षेप किए जाने का हम विरोध करते हैं। हमारी पार्टी इस विषय पर निंदा प्रस्ताव लाने की मांग करती है।" मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के नेता वासुदेव आचार्या ने कहा, "जब इराक पर अमेरिकी हमला हुआ था तब इसी सदन में चर्चा हुई थी। इस बार लीबिया पर बर्बर हमला हुआ है। कई निर्दोष लोगों की जानें जा रही हैं। हमें सदन में निंदा प्रस्ताव लाकर अमेरिकी हमले की निंदा करनी चाहिए।" भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के गुरुदास दासगुप्ता ने कहा कि लीबिया पर हमले की कड़ी निंदा की जानी चाहिए। उन्होंने कहा, "हम गद्दाफी के खिलाफ हैं लेकिन यह अधिकार अमेरिका को किसने दे दिया कि वह किसी देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करे और हमला करे।" जनता दल (युनाइटेड)  के अध्यक्ष शरद यादव ने कहा, "लीबिया पर हमला सोचने वाला विषय है। इसकी कड़ी निंदा किए जाने की आवश्यकता है। इस सम्बंध में कड़ा संदेश दिया जाना चाहिए।"

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ताकत, सत्ता परिवर्तन, फैसला