Ayodhya Case : जमीन के मालिकाना हक पर सुप्रीम कोर्ट सुनाएगा फैसला

Ayodhya Case: अयोध्या में सारी बहस और तथ्यों के बीच आज सिर्फ इस बात का जवाब मिलेगा कि विवादित जमीन पर मालिकाना हक किसका है. अदालत में फैसला सिर्फ इसी बात का होना है.

Ayodhya Case : जमीन के मालिकाना हक पर सुप्रीम कोर्ट सुनाएगा फैसला

Ayodhya News: सुप्रीम कोर्ट आज सुनाएगा फैसला

नई दिल्ली: Ayodhya Case: अयोध्या में सारी बहस और तथ्यों के बीच आज सिर्फ इस बात का जवाब मिलेगा कि विवादित जमीन पर मालिकाना हक किसका है. अदालत में फैसला सिर्फ इसी बात का होना है. कोर्ट में बहस के दौरान दलीलें भी इसी बात को लेकर दोनों पक्षों की ओर से दी गई हैं. संविधान सभा का आज का फैसला सिर्फ इसी बात पर टिका हुआ है और इस सवाल का जवाब आते ही इस 100 साल से ज्यादा पुराने इस विवाद से जुड़े सभी सवालों के जवाब मिल जाएंगे. हालांकि यह फैसला इस मामले पर अंतिम फैसला नहीं होगा, इसके बाद रिव्यू पिटीशन दाखिल की जा सकेगी. रिव्यू पिटीशन यानी कि पुनर्विचार याचिका उसी बेंच के पास आती है जो बेंच फैसला सुनाती है. जस्टिस रंजन गोगोई की इस बेंच में उनके अलावा जस्टिस शरद अरविंद बोबडे, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एस अब्दुल नजीर शामिल हैं. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई 17 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं. यदि 17 नवंबर के पहले पुनर्विचार याचिका आती है तो इसे चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की बेंच ही सुनेगी. लेकिन यदि यह पिटीशन इसके बाद आई तो अगले चीफ जस्टिस तय करेंगे कि रिव्यू पिटीशन पर सुनवाई के लिए मौजूदा पीठ में जस्टिस गोगोई की जगह पांचवा जज कौन होगा. सुप्रीम कोर्ट यह भी तय करेगा कि रिव्यू पिटीशन पर सुनवाई की जाए या नहीं की जाए.

Ayodhya Verdict : अब तक की बड़ी बातें

  1. सवा सौ साल पहले बाबरी मस्जिद के दरवाज़े के पास बैरागियों ने राम चबूतरा बनाया. साल1885 में महंत रघुबर दास की चबूतरे पर मंदिर बनाने की मांग, अदालत से ख़ारिज. साल 1949 में प्रदेश सरकार ने राम चबूतरे पर मंदिर बनाने की कोशिश की, कोशिश नाकाम. साल1949 में ही 22-23 दिसंबर को ये संपत्ति कुर्क, वहां रिसीवर बिठा दिया गया.  

  2. साल 1950 में 16 जनवरी को गोपाल दास विशारद कोर्ट गए, सिर्फ़ पुजारी को पूजा की इजाज़त. साल 1959 में निर्मोही अखाड़े ने अदालत में अपना दावा पेश किया.  साल1961 में सुन्नी सेन्ट्रल वक़्फ़ बोर्ड अदालत पहुंचा, मस्जिद का दावा पेश किया.  साल 1986 में 1 फ़रवरी को फ़ैज़ाबाद ज़िला जज ने ताला खुलवाया, सबको पूजा की इजाज़त दी. 

  3. साल 1986 में कोर्ट के इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी बनाने का फ़ैसला.  1989 में वीएचपी के देवकीनंजन अग्रवाल ने रामलला की तरफ़ से मंदिर का केस किया. साल 1989 के नवंबर में मस्जिद से थोड़ी दूर पर राम मंदिर का शिलान्यास.  साल 1990 में 25 सितंबर से सोमनाथ से अयोध्या तक की रथ यात्रा, 23 अक्टूबर को लालकृष्ण आडवाणी गिरफ़्तार.  इसके नतीजे में गुजरात, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और आंध्रप्रदेश में दंगे भड़के.

  4. साल 1990 में कुछ कार सेवकों ने मस्जिद की गुंबद तोड़ी, भगवा फहराया, दंगे फिर भड़के. साल 1991 के जून महीने में लोकसभा चुनाव हुए और यूपी में बीजेपी की सरकार बनी. साल 1992 के नवंबर में कल्याण सिंह का अदालत में मस्जिद की हिफ़ाज़त का हलफ़नामा दिया.  साल 1992 के 6 दिसंबर को लाखों कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद गिरा दी.  साल 2003 में हाई कोर्ट ने विवादित स्थल की खुदाई कराई ताकि दावों का सच पता लगे.

  5. साल  2010 में 30 सितंबर को इलाहाबाद कोर्ट के लखनऊ खंडपीठ से विवादित ज़मीन का बंटवारा रामलला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड को बराबर ज़मीन देना का फ़ैसला. इलाहाबाद कोर्ट के लखनऊ खंडपीठ के फ़ैसले के ख़िलाफ़ सभी पक्ष सुप्रीम कोर्ट गए. 

  6. साल 2019 के 8 मार्च को कोर्ट ने इस मामले में तीन सदस्यीय मध्यस्थता समिति बनाई.  मध्यस्थता समिति में अध्यक्ष जस्टिस ख़लीफ़ुल्ला, श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू शामिल.  मध्यस्थता समिति ने अपनी अंतिम रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में जमा कर अपनी असमर्थता जताई. 

  7. कई पक्षों ने मध्यस्थता समिति से दोबारा बातचीत करने का आग्रह किया सुप्रीम कोर्ट से पक्षकारों को आपस में समझौता और मध्यस्थता समिति से बातचीत का विकल्प दिया. भारत के मुख्य न्यायाधीश ने पहले 18 अक्टूबर तक सुनवाई पूरी करने की उम्मीद जताई थी. इसके बाद प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि अब 17 अक्टूबर तक ही सभी पक्ष अपनी बहस पूरी करें. सुप्रीम कोर्ट आज विवादित जमीन के मालिकाना हक पर सुनाएगा फैसला