वाशिंगटन:
भारत ने अमेरिका से यह स्पष्ट किया है कि आतंक से लड़ने का दृढ़ रुख रखने वाले देश इसका सामना करने में चयनात्मक रवैया नहीं अपना सकते और इस आफत से मिलजुलकर एक साथ निपटना होगा। विदेश मंत्री एस एम कृष्णा ने अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन के साथ 40 मिनट तक चली द्विपक्षीय बैठक में आतंकवाद के मुद्दे पर चर्चा की। कृष्णा ने पत्रकारों को बताया कि बैठक बहुत अच्छी और रचनात्मक रही और दोनों पक्षों ने आतंकवाद पर चर्चा करने के दौरान दिल्ली उच्च न्यायालय व काबुल स्थित अमेरिकी मिशन पर हाल में हुए हमलों की निंदा की। उन्होंने कहा, मैंने इस बात पर जोर दिया कि आतंक के खिलाफ लड़ने का दृढ़ निश्चय कर चुके देशों के लिए यह जरूरी है कि वे इस लड़ाई में चयनात्मक रवैया अपनाए बगैर मिलजुलकर काम करें और एक दूसरे का साथ दें। कृष्णा ने यह भी कहा, क्लिंटन हमसे सहमत हैं। भारतीय विदेश मंत्री एस एम कृष्णा ने कहा कि ऐसी सामाजिक मुलाकात उस बड़े प्रयास का हिस्सा है जो हम पाकिस्तान के साथ संबंधों को सामन्य करने के लिए गंभीरता से कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ऐसी कोशिशें द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर करने में कारगर साबित होंगी। मुझे वहां जाने की खुशी है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि केाई देश अपने पड़ोसियों को नहीं चुन सकता। इसे दोहराते हुए कृष्णा ने कहा कि पाकिस्तान के साथ संबंधों को सामान्य करना अनिवार्यता है। उन्होंने कहा, तथ्य यह है कि पाकिस्तान हमारा करीबी पड़ोसी है जिसके साथ हमारे संपर्क सभ्यता के स्तर के हैं , हमारा साझा इतिहास, पृष्ठभूमि और भाषा है इसलिए संबंधों को सामान्य करना अनिवार्य है। सीरिया और फिलस्तीन के मामले में भारत और अमेरिका की अलग-अलग राय के बारे में प्रतिक्रिया पूछने पर कृष्णा ने कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने संबोधन में कहा था यह आदेश हम नहीं दे सकते कि देश अपने यहां के हालात से कैसे निपटें। हाल ही में भारत ने रक्षा संबंधी कुछ अनुबंध अमेरिकी कंपनियों को नहीं दिए जिसके बाद प्रतीत होता है कि भारत, अमेरिका संबंधों में थोड़ा ठहराव आया है। इस बारे में पूछने पर कृष्णा ने कहा कि यह ऐसा मुद्दा नहीं है जिस पर अमेरिका का रुख उग्र हो। उन्होंने कहा कि रक्षा संबंधी ठेके गुणवत्ता के आधार पर दिए जाते हैं और विशेषज्ञों ने गहन तुलनात्मक विश्लेषण किया। उन्होंने कहा, मुझे नहीं लगता कि हम यदि किसी और को चुन लें तो कोई नाराज हो सकता है। इस क्षेत्र में अमेरिका लंबे समय से है और किसी खास मुद्दे को लेकर संबंधों को वह गलत तरीके से नहीं आंक सकता। कुछ बातों को हमें सामान्य तरीके से लेना होगा। दक्षिण और मध्य एशिया में व्यापार और पारगमन मजबूत करने के लिए पहल के तौर पर न्यू सिल्क रोड में सक्रिय भागीदारी के लिए हिलेरी ने भारत को शुभकामना दी। अधिकारी ने कहा इस्तांबूल में नवंबर के शुरू में होने वाले न्यू सिल्क रोड सम्मेलन पर मंत्रियों ने कुछ बातचीत की।
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एसएम कृष्णा, अमेरिका, बातचीत