टोक्यो/नई दिल्ली:
भारत के साथ असैन्य परमाणु वार्ता फिर से शुरू करने के लिए जापान शनिवार को राजी हो गया। फुकुशिमा त्रासदी के बाद दोनों देशों के बीच परमाणु वार्ता अवरुद्ध हो गई थी। दोनों देशों ने दुर्लभ प्राकृतिक संसाधन भंडारों के संयुक्त विकास को गति देने पर भी सहमति जताई है। जापानी विदेश मंत्री कोइचिरो गेम्बा के साथ पांचवें दौर की रणनीतिक बातचीत समाप्त करने के बाद कृष्णा ने कहा कि जल्द ही भारत-जापान-अमेरिका के बीच त्रिपक्षीय वार्ता होगी। कृष्णा और गेम्बा ने कई मुद्दों पर चर्चा की, जिनमें समुद्री लूट व आतंकवाद से संयुक्त मुकाबला, जलवायु परिवर्तन सम्बंधी बातचीत में सहयोग और पूर्वी एशिया का ढांचा विकसित करने जैसे मुद्दे शामिल थे। एक घंटे से अधिक समय तक चली इस बातचीत ने जापानी प्रधानमंत्री योशिहिको नोडा की दिसम्बर में प्रस्तावित भारत यात्रा की जमीन तैयार कर दी है। जापान ने भारत के साथ असैन्य परमाणु वार्ता फिर से शुरू करने पर अपनी रजामंदी का संकेत दिया है। यह वार्ता 11 मार्च को घटी फुकुशिमा विकिरण आपदा के बाद से अवरुद्ध पड़ी हुई है। कृष्णा ने टोक्यो में गेम्बा के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा, "मैंने विदेश मंत्री गेम्बा के साथ दोनों देशों के बीच असैन्य परमाणु सहयोग की वस्तुस्थिति के बारे में भी चर्चा की। जैसा कि आप जानते हैं इस मुद्दे पर हमारे बीच तीन दौर की बातचीत हो चुकी है।" कृष्णा ने कहा, "आज की इस चर्चा के बाद मैं इस मुद्दे को लेकर आशावान हूं।" जिजी प्रेस ने गेम्बा के हवाले से कहा है कि दोनों देश असैन्य परमाणु सहयोग समझौते पर बातचीत को आगे बढ़ाएंगे, साथ ही परमाणु निशस्त्रीकरण और परमाणु अप्रसार पर भी विचार करेंगे। गेम्बा ने कहा, "हम कार्यकारी स्तर पर बातचीत फिर से शुरू करने पर राजी हुए हैं, ताकि हम निश्चततौर पर इसे आगे तक ले जा सकें।" जापान में भारत के साथ परमाणु बातचीत एक संवेदनशील राजनीतिक विषय रहा है। जापान दुनिया का एक मात्र ऐसा देश है, जिसने 66 वर्ष पहले परमाणु हथियारों का दंश झेला था। उसके बाद फुकुशिमा त्रासदी ने जापान को अधिक चौकन्ना बना दिया और उसने भारत के साथ परमाणु वार्ता को ठंडे बस्ते में डाल दिया। एक अन्य प्रमुख घटनाक्रम के तहत दोनों देशों ने अपने उच्च प्रौद्योगिकी सहयोग को बढ़ाने व दुर्लभ प्राकृतिक संसाधनों के विकास में सहयोग करने का भी निर्णय लिया है। जापान ने इस वर्ष अपनी विदेशी उपयोगकर्ता सूची से सात भारतीय कम्पनियों का नाम हटा दिया है। इसमें इंडियन रेयर अर्थ लिमिटेड भी शामिल है। कृष्णा ने कहा, "हम अब भारतीय और जापानी कम्पनियों के बीच दुर्लभ प्राकृतिक संसाधन क्षेत्र में अधिक सहयोग करने को उत्सुक हैं।" गेम्बा ने कहा, "दोनों देश भारत में दुर्लभ प्राकृतिक संसाधनों के संयुक्त विकास के साथ आगे बढ़ेंगे।" टोक्यो दुर्लभ प्राकृतिक संसाधनों की आपूर्ति में कदम रखना चाहता है क्योंकि 90 प्रतिशत से अधिक वैश्विक आपूर्ति पर चीन का नियंत्रण है। 11 मार्च के भूकम्प और सुनामी के मद्देनजर जापान के प्रति सहानुभूति जाहिर करते हुए कृष्णा ने कहा कि भारत, जापान की हर तरह से मदद करने को तैयार है। कृष्णा ने कहा, "हमने भारत-जापान-अमेरिका के बीच त्रिपक्षीय संवाद के बारे में भी चर्चा की। हम इसे बहुत जल्द आयोजित करने पर सहमत हुए हैं। इस त्रिपक्षीय संवाद में तीनों देशों से सम्बंधित अंतरराष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा होगी।"
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