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This Article is From Oct 27, 2011

'भारत-यूएस परमाणु समझौता लगभग टूट चुका था'

वाशिंगटन: अमेरिका की पूर्व विदेश मंत्री कोंडोलिजा राइस ने देश के तत्कालीन राष्ट्रपति जार्ज डब्ल्यू बुश से कहा था भारत-अमेरिका परमाणु समझौता लगभग टूट चुका है। कोंडोलिजा ने लिखा है, मैं राष्ट्रपति से मिली और कहा कि यह नहीं हो सकता। मैंने कहा, डॉ सिंह के बस का नहीं है। उन्होंने कहा, बहुत बुरा है और आगे कुछ नहीं कहा। उस रात बाद में निक (तत्कालीन उप विदेश मंत्री निकोलस बर्न्‍स) ने मुझसे वहीं बात दोहराई जो मुझे पहले से पता थी कि समझौता नहीं हो पाएगा। कोंडोलिजा ने अपनी आगामी पुस्तक में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और बुश की ओर से 18 जुलाई 2005 को समझौते का मसौदा जारी करने के लिए दिए गए संयुक्त बयान से पहले उस दिलचस्प घटनाक्रम के बारे में विस्तार से बताया है जिसने संप्रग एक सरकार को जुलाई 2008 में गिरने की कगार पर पहुंचा दिया था। कोंडोलिजा जब उस दिन सुबह उठी जिस दिन बुश और डॉ सिंह की बैठक होनी थी तो वह थोड़ी तनाव में थी लेकिन उन्होंने यह प्रतिबद्धता जताई कि वह ऐसा होने नहीं देंगी। उन्होंने फैसला किया कि वह प्रधानमंत्री से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात करेंगी और समझौते के लिए दबाव बनाएंगी। उन्होंने लिखा है, मैं इसे असफल होने देने के लिए तैयार नहीं थी। मैंने कहा कि प्रधानमंत्री से मेरी मुलाकात का इंतजाम किया जाए। बुश के साथ मुलाकात 10 बजे तय थी। आठ बजे नाश्ते पर मुलाकात कैसी रहेगी? उन्होंने लिखा है, मैंने उत्तर दिया, विदेश मंत्री को फोन लगाइए। नटवर सिंह ने फोन उठाया। मेरा दिल तेजी से धड़क रहा था, हो सकता है कि यह प्रयास मेरी ओर से की गई महत्वपूर्ण पहल साबित हो। नटवर, प्रधानमंत्री मुझसे क्यों मिलना नहीं चाहते? कोंडोलिजा ने लिखा है, नटवर सिंह ने कहा कि वह आपको न नहीं कहना चाहते। मैंने अपना पूरा प्रयास किया है। मैंने उनसे कहा कि अमेरिका चाहता है कि भारत तीस वर्ष के इस बोझ को उतार फेंके। आपको यह कहना चाहिए। कोंडोलिजा ने लिखा है, मैं हार मानने को तैयार नहीं थी। मैंने कहा, उनसे फिर से पूछो। कुछ देर बाद नटवर सिंह ने यह बताने के लिए फोन किया कि प्रधानमंत्री अपने होटल में सुबह आठ बजे आपका इंतजार करेंगे। कोंडोलिजा डॉ सिंह से मुलाकात के लिए विलर्ड होटल पहुंची जहां प्रधानमंत्री रुके हुए थे। लेकिन वहां जाने से पहले उन्होंने बुश को फोन किया और बताया कि वह अंतिम प्रयास करने के लिए डॉ सिंह से मिलने जा रही हैं। उस कमरे में नटवर सिंह भी मौजूद थे। उन्होंने लिखा है, प्रधानमंत्री जी, यह समझौता पूरे जीवन भर का है। आप और राष्ट्रपति बुश अमेरिका और भारत के संबंध को वास्तव में नए स्तर पर पहुंचाने वाले हैं। मुझे पता है कि यह आपके लिए काफी मुश्किल है लेकिन यह राष्ट्रपति के लिए भी बहुत मुश्किल है। मैं यहां पर यह कहने के लिए आयी हूं कि आप अपने अधिकारियों से कहें कि वे इसे पूरा करें। हमें इस कार्य को आपकी राष्ट्रपति से मुलाकात से पहले ही पूरा कर लेना चाहिए।   कोंडोलिजा ने लिखा है, मृदुभाषी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपने अधिकारियों को इस पर फिर से कोशिश करने का इशारा किया। वहां से मैं सीधे राष्ट्रपति के पास गई ताकि उन्हें यह अच्छा समाचार दे सकूं। जब भारतीय पहुंचे तो हमारे और उनके अधिकारी रूजवेल्ट रूम में बैठे और समझौते के प्रयास शुरू किए। वहीं राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री सिंह, नटवर सिंह और मैंने दूसरे स्थान पर बैठकर अन्य चीजों पर अपना ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने लिखा है, अंतत: हमें वार्ताकारों में शामिल होने का संदेश मिला। नटवर सिंह और मैं कमरे में पहुंचे और निक बर्न्‍स और उनके भारतीय समकक्ष ने मुस्कराते हुए कहा, हम इसे पूरा करने में सफल हुए हैं। इसके तत्काल बाद बुश और प्रधानमंत्री सिंह ने मसौदा समझौता मीडिया को जारी कर दिया।

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