पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस (14 अगस्त) के मौके पर इमरान खान आज नवाज शरीफ सरकार के खिलाफ विशाल रैली कर रहे हैं।
उधर, पाकिस्तान में इमरान खान और मौलाना ताहिर उल कादरी की विशाल रैलियों को देखते हुए राजधानी इस्लामाबाद को सील कर दिया गया है। शहर में मोबाइल फोन सेवाओं को बंद कर दिया गया है और मुख्य सड़कों पर अवरोधक लगाए गए हैं। करीब 25,000 पुलिसकर्मियों और अर्धसैनिक बलों की चप्पे-चप्पे पर तैनाती की गई है।
कनाडा में रहने वाले मौलाना कादरी शरीफ सरकार को बेदखल करने की मांग करते हुए ‘इंकलाब मार्च’ निकालेंगे। उनका आरोप है कि यह सरकार गरीब विरोधी नीतियां चला रही है और भ्रष्टाचार में लिप्त है। दूसरी तरफ इमरान खान ने पिछले साल के आम चुनाव में धांधली का आरोप लगाते हुए ‘आजादी मार्च’ निकालने का आह्वान किया है।
नवाज शरीफ सरकार टकराव की स्थिति को खत्म करने के लिए पिछले दरवाजे से प्रयास कर रही है और साथ ही उसने यह भी चेतावनी दी है कि पाकिस्तान को ‘सोमालिया, इराक या लीबिया नहीं बनने’ दिया जाएगा।
गृहमंत्री चौधरी निसार अली खान ने कहा, जो लोग पुलिस को कमजोर कर रहे हैं, अपने ही लोगों को शहीद कर रहे हैं और अपने लोगों के सिर कलम कर रहे हैं उन्हें इस्लामाबाद शहर में खुला नहीं छोड़ा जा सकता। खान ने कहा, अगर किसी हिंसक भीड़ को एक बार राजधानी में प्रदर्शन करने की इजाजत दी जाती है तो हर कुछ महीने के बाद और अधिक हिंसक लोग इस्लामाबाद आने और सरकार पर नियंत्रण करने की धमकी देंगे। इसकी बिल्कुल भी इजाजत नहीं दी जा सकती क्योंकि हम पाकिस्तान को सोमालिया, इराक अथवा लीबिया नहीं बनने देंगे।
पाकिस्तान सरकार ने पहले ही इस्लामाबाद की पूरी सुरक्षा तीन महीने के लिए सेना के हवाले कर दिया है। खबरों के अनुसार, सेना के जवान सरकारी प्रतिष्ठानों और दूसरे संवदेनशील स्थानों की सुरक्षा करेंगे। सरकार इस्लामाबाद के कई हिस्सों में मोबाइल सेवाओं अथवा वायरलेस इंटरनेट सेवाओं को अनिश्चितकालीन समय के लिए निलंबित करने का आदेश दे चुकी है।
इसके साथ ही सरकार ने इमरान खान से संपर्क साधना शुरू कर दिया है ताकि होने वाली रैली को रद्द कराया जा सके।
दक्षिणपंथी राजनीतिक दल जमात-ए-इस्लामी द्वारा सुलह के प्रयास किए जा रहे हैं। जमात खैबर पख्तूनख्वाह प्रांत में इमरान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के साथ गठबंधन सरकार चला रही है।
विपक्ष के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में इमरान खान की चुनावों में धांधली की जांच की बड़ी मांग को स्वीकार कर लिया। इसके बाद से ही सुलह के प्रयासों ने गति पकड़ी हैं। शरीफ ने देश के नाम दिए संबोधन में नरम रुख अख्तियार करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीशों वाला एक आयोग पिछले साल के आम चुनाव में धांधली के आरोपों की जांच करेगा। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने संसद के जरिये चुनाव कानूनों में सुधार का भी ऐलान किया।
उधर, इमरान खान ने तत्काल प्रतिक्रिया देते हुए शरीफ के प्रस्ताव को काफी देर से आया करार दिया और कहा कि वह रैली निकालेंगे, हालांकि उनकी पार्टी के भीतर से और विपक्षी दलों के नेताओं की ओर से उन पर प्रस्ताव स्वीकार करने का दबाव बनाया जा रहा है।
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के एक वरिष्ठ नेता जावेद हाशमी ने इमरान के नेतृत्व में होने जा रहे प्रदर्शन से दूर रहने का फैसला किया है। वह अपने गृह नगर मुल्तान चले गए हैं। हाशमी ने कहा, जब कभी कोई मुश्किल हालात पैदा होते हैं तो मैं अपने क्षेत्र में चला आता हूं ताकि सहमति से मुश्किल को हल किया जा सके। सूत्रों के अनुसार, हाशमी ने पार्टी को आगाह किया है कि स्थिति बेकाबू हो सकती है, जिससे सेना को दखल देने का मौका मिल सकता है।
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेता सैयद खुर्शीद शाह ने भी इमरान खान से अपील की है कि वह सरकार का प्रस्ताव स्वीकार कर लें।
इस वक्त सबसे ज्यादा उम्मीद जमात-ए-इस्लामी के प्रमुख सिराजुल हक से है। हक कह चुके हैं कि वह गतिरोध खत्म करने के लिए गंभीर प्रयास कर रहे हैं।
ऐसा माना जा रहा है कि इमरान खान और कादरी ने शरीफ सरकार को काफी मुश्किल हालात में डाल दिया है और अगर कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ी तो सेना दखल दे सकती है।
रक्षा मंत्री ख्वाजा मुहम्मद आसिफ ने तख्तापलट की आशंका को खारिज करते हुए कहा है कि सरकार और सेना के बीच रिश्ते सौहार्दपूर्ण हैं।
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