ईरान पर हमला करने के बाद इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा, 'यह पिछले 30 सालों से जारी एक युद्ध है.' नेतन्याहू की बात पर पहले किसी का ध्यान नहीं गया लेकिन फिर जब विदेश मामलों के जानकारों ने इसे गौर से सुना तो उन्हें समझ आया कि आखिर वह क्या कहना चाह रहे हैं. नेतन्याहू उस खतरे के बारे में बात कर रहे थे जिसे इजरायल ने तोड़कर रख दिया है. पिछले करीब 18 सालों से ईरान परमाणु ताकत से लैस होने का सपना देख रहा था. उसके वैज्ञानिक दिन-रात इस दिशा में काम कर रहे थे लेकिन आखिरकार नेतन्याहू ने उसकी कोशिशों पर पानी फेर दिया और ईरान का सपना तोड़ दिया. हालांकि नेतन्याहू आज जो काम कर रहे हैं, उसकी शुरुआत 1981 के दशक में ही हो चुकी थी.
जब इराक को बनाया निशाना
अगर आपको लगता है कि नेतन्याहू दुश्मन के परमाणु स्थल पर हमला करने वाले पहले इजरायली पीएम हैं तो आप गलत हैं. नेतन्याहू आज जिस खास 'मिशन' पर लगे हैं, उसका आगाज मेनाकेम बेगिन कर चुके थे. बेगिन ने 7 जून 1981 को ऑपरेशन ओपेरा या ऑपरेशन बेबीलोन को लॉन्च किया था. इसमें इजरायल की एयरफोर्स बगदाद 17 किलोमीटर दूर एक इराकी न्यूक्लियर रिएक्टर को तबाह कर दिया था. उस समय से ही देश 'बेगिन डॉक्ट्राइन' पर चल रहा है जिसके तहत इजरायल अपने विरोधियों को परमाणु हथियार बनाने के साधन नहीं बनाने दे सकता. बेगिन साल 1977 से 1983 तक इजरायल के पीएम थे और इस दौरान उनके पास रक्षा मंत्रालय का भी जिम्मा था.
फिर सीरिया को बनाया निशाना
साल 2007 में, इजरायल की वायु सेना ने सीरिया के न्यूक्लियर प्लांट पर बम बरसाए. उस समय अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस बात का शक था कि सीरिया, नॉर्थ कोरिया की मदद से रिएक्टर बना रहा है. साल 2018 में इजरायल ने आधिकारिक तौर पर उस हमले की पुष्टि की थी. बताया जा रहा है कि डेयर एज-जोर प्रॉविंस में यूफ्रेट्स नदी के पास मौजूद इस फैसिलिटी में काम लास्ट स्टेज पर था. कहा तो यहां तक गया कि सीरिया का यह न्यूक्लियर प्लांट परमाणु हथियारों के लिए प्लूटोनियम का उत्पादन करने में सक्षम था. उस समय एहुद ओलमर्ट देश के प्रधानमंत्री थे.
2009 से 'बीबी' का जुनून
साल 2009 में नेतन्याहू दूसरी बार इजरायल की कमान संभाली थी. तब उन्होंने ईरान को परमाणु हथियार हासिल न करने देना अपना जुनून बना लिया था. उस साल उन्होंने दो बार ये कोशिशें की, लेकिन असफल रहे. ईरान ने तो एक बार इजरायली पीएम का मजाक भी उड़ाया था. नेतन्याहू बार-बार ईरान के परमाणु कार्यक्रम के बारे में लगातार सार्वजनिक तौर पर चेतावनी दे रहे थे. साथ ही वह इसे किसी न किसी तरह से बंद करने की बार-बार धमकी भी देते आ रहे थे.
40 साल की कोशिश
शुक्रवार को ईरान पर हमले के बाद राष्ट्र के नाम संबोधन में नेतन्याहू ने अपने निर्णय फैसले को साफ करने के लिए द्वितीय विश्व युद्ध में नाजी नरसंहार की भयावहता का हवाला दिया. नेतन्याहू ने कहा, 'लगभग एक सदी पहले नाजी तानाशाह एडोल्फ हिटलर को खुश करने की नीति के कारण 60 लाख यहूदियों की मौत हो गई थी जो 'मेरे लोगों का एक तिहाई हिस्सा' थे.
उन्होंने आगे कहा, 'उस युद्ध के बाद, यहूदी लोगों और यहूदी देश ने फिर कभी ऐसा न करने की कसम खाई. खैर, आज फिर कभी ऐसा न करने का समय आ गया है. इजरायल ने दिखाया है कि हमने इतिहास से सबक सीख लिया है.' वहीं प्रधानमंत्री के एक पूर्व वरिष्ठ सहयोगी का कहना है, 'बीबी 40 साल से ,ईरान पर हमला करने की बात कर रहे हैं. ऐसा लगता है कि उनका समय आ गया है.'
तबाह हुई ईरान की न्यूक्लियर साइट
इजरायल की सेनाओं का दावा है कि उसने ईरान के नतांज न्यूक्लियर साइट को काफी नुकसान पहुंचाया है. कहा जा रहा है कि नतांज के नष्ट होने के साथ ही अब ईरान की परमाणु हथियार बनाने की क्षमता कई साल पीछे चली गई है. इजरायल ने शुक्रवार को ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों पर बड़े पैमाने पर हमले किए हैं. नतांज साइट तेहरान से करीब 225 किलोमीटर दक्षिण में है. यह देश का मेन यूरेनियम एनरिचमेंट साइट है. इसके बारे में पहली बार जानकारी तब सामने आई थी जब साल 2002 में निर्वासित ईरानी विपक्षी समूह ने इसका जिक्र किया था.
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