प्रतीकात्मक तस्वीर (सौजन्य - थिंकस्टॉक)
टोरंटो:
टोरंटो की एक कला वीथिका इन दिनों पोर्नोग्राफी कला की प्रदर्शनी कर रही है, जिसमें रतिक्रिया में रत महिलाओं की विभिन्न मुद्राओं वाली तस्वीरें प्रदर्शनी में लगाई गई हैं। समाचार पत्र 'टोरोंटो सन' ने जॉन बी. एयर्ड गैलरी के हवाले से कहा है, "हम कलाकारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का समर्थन करते हैं। कलाकारों के काम पर पाबंदी लगाना हमारा काम नहीं है।"
किसी चर्च की खिड़की के शीशे पर बनने वाली अल्पना जैसी रोसाली ए. माह्यूक्स की ये विवादित कलाकृति वास्तव में महिलाओं की कामोत्तेजक मुद्राओं का कोलाज है। कला वीथिका के प्रवेश द्वार पर दर्शकों के लिए चेतावनी लिखी हुई है, "प्रदर्शनी में प्रस्तुत तस्वीरें व्यस्क व्यक्तियों के लिए ही हैं।" यह सूचना प्रवेश द्वार पर प्रदर्शनी के समापन 24 जुलाई तक लगी रहेगी और यहां प्रदर्शित कलाकृतियां 30 वर्ष से कम आयु के कलाकारों की हैं।
माह्यूक्स ने अपनी कलाकृति को 'सेक्रेड सर्किल-6' शीर्षक दिया है और लिखा है कि यह पवित्र और अपवित्र के बीच के द्वंद्व को दर्शाती है। माह्यूक्स का कहना है, "यह पवित्र मंडलाकार आकृतियां विभिन्न धर्म जैसे हिंदू, बौद्ध, यहूदी और ईसाई तथा विभिन्न संस्कृतियों में जीवन, पवित्रता और ईश्वर की महिमा का प्रतीक हैं। इन ज्यामितियों की रचना करते हुए अश्लील तस्वीरों का इस्तेमाल कर आकर्षण और विकर्षण के बीच अनेकार्थी संवाद स्थापित करने से इनका वास्तविक अर्थ ही उलट जाता है।"
किसी चर्च की खिड़की के शीशे पर बनने वाली अल्पना जैसी रोसाली ए. माह्यूक्स की ये विवादित कलाकृति वास्तव में महिलाओं की कामोत्तेजक मुद्राओं का कोलाज है। कला वीथिका के प्रवेश द्वार पर दर्शकों के लिए चेतावनी लिखी हुई है, "प्रदर्शनी में प्रस्तुत तस्वीरें व्यस्क व्यक्तियों के लिए ही हैं।" यह सूचना प्रवेश द्वार पर प्रदर्शनी के समापन 24 जुलाई तक लगी रहेगी और यहां प्रदर्शित कलाकृतियां 30 वर्ष से कम आयु के कलाकारों की हैं।
माह्यूक्स ने अपनी कलाकृति को 'सेक्रेड सर्किल-6' शीर्षक दिया है और लिखा है कि यह पवित्र और अपवित्र के बीच के द्वंद्व को दर्शाती है। माह्यूक्स का कहना है, "यह पवित्र मंडलाकार आकृतियां विभिन्न धर्म जैसे हिंदू, बौद्ध, यहूदी और ईसाई तथा विभिन्न संस्कृतियों में जीवन, पवित्रता और ईश्वर की महिमा का प्रतीक हैं। इन ज्यामितियों की रचना करते हुए अश्लील तस्वीरों का इस्तेमाल कर आकर्षण और विकर्षण के बीच अनेकार्थी संवाद स्थापित करने से इनका वास्तविक अर्थ ही उलट जाता है।"
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