
- अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप व रूसी राष्ट्रपति पुतिन 15 अगस्त को अलास्का में रूस-यूक्रेन युद्ध मुद्दे पर मिलेंगे.
- ट्रंप ने कुछ क्षेत्रों की जमीन की अदला-बदली की संभावना का संकेत दिया है, हालांकि ज्यादा जानकारी नहीं दी.
- ट्रंप और पुतिन की पिछली मुलाकात 2019 में जापान के G20 सम्मेलन में हुई थी, तब से कई बार फोन पर बातचीत हुई है.
तीन साल से ज्यादा समय से हो रहे रूस-यूक्रेन युद्ध समाप्त करने के उद्देश्य से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और व्लादिमीर पुतिन एक बार फिर मिलने वाले हैं. इसके लिए जगह और तारीख तय हो गई है. रिपोर्ट के अनुसार, दोनों नेता अगले शुक्रवार को अलास्का में मिलेंगे और बातचीत करेंगे. शुक्रवार को ट्रंप ने सोशल मीडिया ट्रुथ पर इस बात की घोषणा की, वहीं क्रेमलिन ने भी बात में इसकी पुष्टि की. दोनों पक्षों ने हाल ही में एक शिखर सम्मेलन होने के संकेत दिए थे. रूस ने अलास्का में होने वाले शिखर सम्मेलन की पुष्टि करते हुए इसे तार्किक बताया.
जमीन की अदला-बदली से बनेगी बात?
ट्रंप ने पुतिन और जेलेंस्की के बारे में बात करते हुए कहा था कि रूस और यूक्रेन, दोनों की बेहतरी के लिए कुछ क्षेत्रों की अदला-बदली होगी, हालांकि इस बारे में उन्होंने और ज्यादा जानकारी नहीं दी. शुक्रवार को व्हाइट हाउस में ट्रंप ने कहा है कि वो युद्ध में हो रही हत्याओं को रोकने के लिए जो कुछ भी कर सकते हैं, वो करेंगे.
ट्रंप, राष्ट्रपति बनने के बाद से दोनों देशों के बीच युद्ध शांत कराने की कोशिश में हैं. हालांकि उन्होंने ये दावा किया था कि वो 24 घंटे में युद्ध समाप्त करा सकते हैं, लेकिन कई दौर की शांति वार्ता, फोन कॉल पर बात और राजनयिक यात्राओं के बावजूद दोनों देशों के बीच समझौता नहीं हो पाया है.
अलास्का को ही क्यों चुना गया?
ट्रंप और पुतिन के बीच होने वाली ये मीटिंग अलास्का में होगी. वही अलास्का, जिसे रूस ने 1867 में अमेरिका को बेच दिया था. इस राज्य का पश्चिमी किनारा रूस के सबसे पूर्वी हिस्से से बहुत दूर नहीं है. क्रेमलिन के सहयोगी यूरी उशाकोव ने एक बयान में कहा, 'अलास्का और आर्कटिक वो जगह भी हैं जहां हमारे देशों के आर्थिक हित मिलते हैं और बड़े पैमाने पर, पारस्परिक रूप से एक फायदेमंद प्रोजेक्ट्स की संभावनाएं हैं.
उन्होंने आगे कहा, 'लेकिन, निश्चित रूप से, राष्ट्रपति खुद निस्संदेह यूक्रेनी संकट के दीर्घकालिक शांतिपूर्ण समाधान के विकल्पों पर चर्चा पर ध्यान केंद्रित करेंगे.' उशाकोव ने ये भी उम्मीद जताई कि अगली बार दोनों राष्ट्रपति रूसी क्षेत्र में मिलेंगे. उन्होंने कहा, 'अमेरिकी राष्ट्रपति को एक निमंत्रण पहले ही भेजा जा चुका है.'
क्या जेलेंस्की भी सम्मेलन में शामिल होंगे?
ट्रंप और पुतिन का मिलना तो तय है, लेकिन यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की इसे तीन-तरफा शिखर सम्मेलन बनाने पर जोर दे रहे हैं. उन्होंने पहले भी कई बार कहा है कि पुतिन से मिलना शांति की दिशा में प्रगति करने का एकमात्र तरीका है. ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकोफ ने इस सप्ताह की शुरुआत में जब पुतिन के साथ बातचीत की थी, तो उन्होंने त्रिपक्षीय बैठक का प्रस्ताव रखा था, लेकिन रूसी नेता ने अपने यूक्रेनी समकक्ष से मिलने से इनकार कर दिया है.
जून में इस्तांबुल में हुई बातचीत में रूसी वार्ताकारों ने कहा था कि पुतिन-जेलेंस्की बैठक केवल तभी हो सकती है जब बातचीत के 'अंतिम चरण' में दोनों पक्ष, शांति की शर्तों पर सहमत हो जाएं. ये पूछे जाने पर कि क्या पुतिन को उनके शिखर सम्मेलन के लिए जेलेंस्की से मिलना एक शर्त है, ट्रंप ने शुक्रवार को कहा, 'नहीं, ऐसा नहीं है.'

ट्रंप और पुतिन पिछली बार कब मिले थे?
ट्रंप और पुतिन पिछली बार ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान 2019 में जापान में G20 शिखर सम्मेलन में एक साथ बैठे थे. उन्होंने जनवरी से कई बार टेलीफोन पर बात की है. पुतिन ने पहले 2018 में हेलसिंकी में ट्रंप के साथ एक शिखर सम्मेलन किया था. ट्रंप ने उस समय अमेरिका के खुफिया समुदाय की इस खोज पर कि रूस ने न्यूयॉर्क के टाइकून का समर्थन करने के लिए अमेरिकी चुनाव में हस्तक्षेप किया था, पुतिन का पक्ष लेते हुए भौहें चढ़ा दी थीं. पुतिन ने आखिरी बार किसी अमेरिकी राष्ट्रपति से संयुक्त राज्य अमेरिका में 2015 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में बराक ओबामा के साथ बातचीत के दौरान मुलाकात की थी.
बातचीत फिट बैठने की कितनी संभावना?
कूटनीति और शांति वार्ता के कई दौर के बावजूद, रूस और यूक्रेन युद्ध समाप्त करने पर सहमत होने के करीब नहीं लगते. पुतिन ने तत्काल युद्धविराम के लिए अमेरिका, यूक्रेन और यूरोप के आह्वान को खारिज कर दिया है. जून में हुई बातचीत में, रूस ने मांग की थी कि यूक्रेन उन चार क्षेत्रों से अपनी सेना वापस ले ले जिन पर मॉस्को ने कब्जा करने का दावा किया है. साथ ही यूक्रेन को एक तटस्थ राज्य बनने के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए, पश्चिमी सैन्य समर्थन से बचना चाहिए और नाटो में शामिल होने से बाहर रखा जाना चाहिए.
कीव तत्काल युद्धविराम चाहता है और उसने कहा है कि वो कभी भी अपने प्रभुत्व वाले क्षेत्र पर रूसी नियंत्रण को मान्यता नहीं देगा. हालांकि उसने स्वीकार किया कि रूस द्वारा कब्जा किए गए इलाके की वापसी कूटनीति के माध्यम से होनी चाहिए, न कि युद्ध के मैदान पर. कीव पश्चिमी समर्थकों से सुरक्षा गारंटी भी मांग रहा है, जिसमें किसी भी युद्धविराम को लागू करने के लिए शांतिसेना के तौर पर विदेशी सैनिकों की तैनाती शामिल है.
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