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मैं हूं पीस प्रेसिडेंट… शांति के नोबेल की उम्मीदों से भरे ट्रंप कैसे माहौल बनाने लगे

Nobel Peace Prize 2025: यह बात किसी से छिपी नहीं है कि खुद को बार बार शांतिदूत दिखाने वाले ट्रंप की दिली-ख्वाहिश है कि उन्हें किसी तरह शांति का नोबेल मिल जाए. कई बार वो इसके लिए झूठे दावे करते हैं जैसे उन्होंने भारत और पाकिस्तान सीजफायर को लेकर.

मैं हूं पीस प्रेसिडेंट… शांति के नोबेल की उम्मीदों से भरे ट्रंप कैसे माहौल बनाने लगे
  • अमेरिकी राष्ट्रपति गाजा पीस प्लान के पहले चरण के लागू होने के बाद शांति के नोबेल के लिए माहौल बनाने में जुटे
  • हमास बंधकों को जल्द रिहा करेगा और इजरायल अपनी सेना को एक निश्चित सीमा तक पीछे बुलाएगा
  • नोबेल पुरस्कार समिति अक्टूबर की शुरुआत में विजेता का फैसला कर चुकी होगी और ट्रंप के जीतने की संभावना कम
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हर भाषा में शांति का नोबेल पुरस्कार पाने की अपनी इच्छा जाहिर कर चुके अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के ऐलान के एक दिन पहले माहौल बनाना शुरू कर दिया है. उनकी उम्मीदों को गाजा में हुए एक बड़े डवलपमेंट से बल मिल रहा है. गाजा में शांति के लिए ट्रंप के 20 सूत्रीय प्लान का पहला चरण लागू हो गया है. ट्रंप ने ऐलान किया है कि इजरायल और हमास, दोनों दो साल से जारी जंग को रोकने के लिए उनके शांत प्लान के पहले चरण पर राजी हो गए हैं. जल्द ही हमास अपने कब्जे में मौजूद बंधकों को रिहा कर देगा जबकि इजरायल अपनी सेना को एक खास लाइन तक पीछे बुला लेगा. ट्रंप के इस ऐलान के बाद से अमेरिका राष्ट्रपति के कंट्रोल वाले ऑफिसियल हैंडल- जैसे व्हाइट हाउस और रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से ट्रंप को पीस मेकर (शांतिदूत) और पीस प्रेसिडेंट (शांति का राष्ट्रपति) बताते हुए पोस्ट किए जा रहे हैं.

माहौल बनाने में जुटे ट्रंप

पहले नजर डालिए अमेरिकी राष्ट्रपति के ऑफिस व्हाइट हाउस के ट्विटर हैंडल पर. इसकी तरफ से एक पोस्ट किया गया है जिसमें डोनाल्ड ट्रंप की व्हाइट हाउस के कॉरिडोर से गुजरते एक तस्वीर है और उसपर लिखा है- द पीस प्रेसिडेंट.

इसी तरफ ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी, जिसे ग्रैड ओल्ड पार्टी भी कहते हैं, ने अपने हैंडल से एक पोस्ट किया है जिसमें ट्रंप ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन' की टोपी लगाए एक कुर्सी पर बैठे हैं और तस्वीर के उपर बड़े अक्षरों में लिखा है- द पीस मेकर.

ट्रंप का नोबेल जीतना मुश्किल क्यों माना जा रहा?

अब पासा पलटना बहुत मुश्किल है. यह साफ साफ समझना जरूरी है कि अभी गाजा में शांति आई नहीं है. ट्रंप के गाजा शांति प्लान के पहले फेज पर सहमति भर बनी है. अब देखना होगा कि हमास बंधकों को रिहा करने में और इजरायल अपनी सेना को पीछे हटाने में कितना वक्त लेता है. माना जा रहा है कि इसमें 48 से 72 घंटे तक का समय लग सकता है. आपको यहां यह भी बता दें कि शांति के नोबेल पुरस्कार के विजेता का चुनाव करने वाली नॉर्वेजियन नोबेल समिति अक्टूबर की शुरूआत में ही अपना निर्णय लेती है. उसका निर्णय अंतिम है और उसके खिलाफ अपील नहीं की जा सकती. यानी अबतक तो उसने अपना विजेता चुन भी लिया होगा. यानी ट्रंप के जीतने की जितनी संभावना कल थी, वो आज भी उतनी ही है- जो कि बहुत कम है.

दरअसल एक्सपर्ट्स का अनुमान है कि वह ट्रंप पुरस्कार के लिए समिति की पसंद नहीं होंगे - कम से कम इस साल तो नहीं. एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार ओस्लो के पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट की प्रमुख नीना ग्रेगर ने कहा, "गाजा के लिए शांति स्थापित करने की कोशिश के अलावा, हमने ऐसी नीतियां देखी हैं जो वास्तव में (अल्फ्रेड) नोबेल के इरादों और वसीयत में लिखी गई बातों के खिलाफ जाती हैं, विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय सहयोग, देशों के बीच भाईचारा और हथियारों को कम करने को बढ़ावा देने के लिए."

खैर फाइनल रिजल्ट के लिए आपको शुक्रवार तक का इंतजार करना होगा. कई बार चौंकाने वाले नामों का ऐलान हो जाता है जिसकी उम्मीद किसी ने नहीं की होती है. अगर आप यह जानना चाहते हैं कि शांति के नोबेल की रेस में किन नामों को आगे माना जा रहा है तो आप नीचे दिए आर्टिकल पर क्लिक कीजिए और एक्सप्लेनर पढ़िए.

यह भी पढ़ें: ट्रंप का चांस कम! तो फिर किसे मिलेगा शांति का नोबेल पुरस्कार?

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