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This Article is From Oct 12, 2016

पाकिस्‍तान : 'सेना और सरकार के बीच दरार' संबंधी खबर की सत्‍यता पर 'डॉन' अडिग

पाकिस्‍तान : 'सेना और सरकार के बीच दरार' संबंधी खबर की सत्‍यता पर 'डॉन' अडिग
इस्लामाबाद: पाकिस्तान के एक प्रमुख अखबार 'डॉन' ने 'निहित स्वार्थ और झूठी रिपोर्टिंग' की खबर के आरोपों को बुधवार को खारिज कर दिया. दरअसल, आतंकवादियों को परोक्ष समर्थन पर असैन्य और सैन्य नेतृत्व के बीच दरार होने की रिपोर्टिंग करने के चलते इसके पत्रकार पर सरकार ने विदेश जाने पर रोक लगा दी थी.

डॉन ने अपने संपादकीय में कहा है कि सरकार और सेना के बीच कहासुनी के बारे में सिरिल अलमीड़ा की रिपोर्ट का उचित सत्यापन किया गया था और यह सही रिपोर्टिंग थी. इस रिपोर्ट ने देश में माहौल काफी गरम कर दिया है.

'डॉन' के स्तंभकार सिरिल अलमीड़ा ने कल कहा था कि उनका नाम निकास नियंत्रण सूची में डाल दिया गया है. यह पाक सरकार की सीमा नियंत्रण प्रणाली है जो सरकार को इस सूची में शामिल लोगों को देश छोड़ने से रोकने की इजाजत देती है. उन्होंने खबर दी थी कि प्रमुख असैन्य अधिकारियों ने शक्तिशाली सेना को हक्कानी नेटवर्क, तालिबान और लश्कर ए तैयबा जैसे आतंकवादी संगठनों को अपना परोक्ष समर्थन छोड़ने की चेतावनी दी है.
 

अखबार ने 'रिएक्शन टू डॉन स्टोरी' शीर्षक से अपने संपादकीय में लिखा है कि इस अखबार ने हाल ही में शीर्ष सरकारी और खुफिया अधिकारियों की असाधारण बंद कमरे की बैठक की रिपोर्टिंग की. इसमें विदेश सचिव ने पाकिस्तान के अलग-थलग पड़ते जाने को देखे जाने की बात कही. इसके बाद देश में आतंकवाद की समस्या से निपटने में बाधाओं पर चर्चा हुई.

इसने कहा कि सूचना का गेटकीपर होने के नाते उसका सत्यापन और पड़ताल की गई तथा तथ्य की जांच की गई. इस सिलसिले में इस अखबार के संपादक की पूरी जिम्मेदारी है.

इसने कहा कि निष्पक्ष और संतुलित पत्रकारिता के मुताबिक डॉन ने पीएमओ द्वारा जारी खंडन को दो बार छापा जो एक बैठक के दौरान हुई झड़प के बारे में था जब आईएसआई से असैन्य नेतृत्व ने कहा कि आतंकवादियों को इसके परोक्ष समर्थन ने पाकिस्तान को वैश्विक रूप से अलग-थलग किया है.

हालांकि, अखबार ने स्वीकार किया कि कोई भी मीडिया संगठन गलत फैसले ले सकता है और यह अखबार कोई अपवाद नहीं है.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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