- ब्रिटिश महिला को 2013 में बाली में ड्रग्स तस्करी के मामले में फांसी की सजा सुनाई गई थी, वह 12 साल जेल में रहीं
- इंडोनेशिया और ब्रिटेन सरकारों के समझौते के बाद लिंडसे सैंडिफोर्ड को 7 नवंबर को ब्रिटेन वापस भेजा गया
- लिंडसे के सूटकेस में 2012 में 2.14 मिलियन डॉलर की कोकेन मिली थी, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया था
इंडोनेशिया की जेल में पिछले 12 सालों से फांसी का इंतजार करती ब्रिटेन की एक उम्रदराज महिला वापस ब्रिटेन लौट आई है. 69 साल की हो चुकीं लिंडसे सैंडिफोर्ड को ड्रग्स तस्करी करते पकड़ा गया था और उन्हें मामले में दोषी भी ठहराया गया था. अब यूनाइटेड किंगडम और इंडोनेशियाई सरकारों के बीच एक समझौते के बाद इस दादी ने शुक्रवार, 7 नवंबर को ब्रिटेन के लिए उड़ान भरी. उनके साथ 36 साल का एक और कैदी भी ब्रिटेन लौट रहा है जिसे 2014 में ड्रग्स मामले में ही इंडोनेशिया में पकड़ा गया था.
इंडोनेशिया में ड्रग्स को लेकर दुनिया के कुछ सबसे सख्त कानून हैं, लेकिन पिछले साल इसने आधा दर्जन से अधिक हाई-प्रोफाइल बंदियों को रिहा कर दिया है. न्यूज एजेंसी एएफफी की रिपोर्ट के अनुसार लिंडसे सैंडिफोर्ड को 2013 में बाली में ड्रग्स की तस्करी का दोषी ठहराए जाने के बाद मौत की सजा सुनाई गई थी. उन्हें 36 वर्षीय शहाब शहाबादी के साथ वापस लाया जा रहा है, जो 2014 में अपनी गिरफ्तारी के बाद से ड्रग्स अपराध के लिए आजीवन कारावास की सजा काट रहा था. रिपोर्ट के अनुसार दोनों कतर एयरवेज की फ्लाइट से बाली से दोहा होते हुए लंदन के लिए रवाना हुए.
ड्रग्स दादी ने क्या किया था?
लिंडसे सैंडिफोर्ड 2012 में जब बाली पहुंची तो इंडोनेशिया के कस्टम अधिकारियों को उसके सूटकेस के अंदर छिपी हुई 2.14 मिलियन डॉलर की कोकेन मिली. इसके बाद उन्हें गिरफ्तार करके सलाखों के पीछे भेज दिया गया. वैसे तो सैंडिफोर्ड ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया लेकिन उन्होंने कहा कि एक वो कोकेन की तस्करी नहीं करती तो एक ड्रग सिंडिकेट ने उसके बेटे को मारने की धमकी दी थी.
इंडोनेशिया के वरिष्ठ कानून और मानवाधिकार मंत्री युसरिल इहजा महेंद्र ने पिछले महीने सैंडीफोर्ड और शाहाबादी को ब्रिटेन भेजने के लिए ब्रिटिश विदेश मंत्री यवेटे कूपर के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किया था. दोनों कैदी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं.
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