- खालिदा जिया, BNP की प्रमुख और पूर्व PM, लंबे समय से गंभीर बीमारी से जूझ रही थीं. आज उनका निधन हो गया.
- 1991 में बांग्लादेश में लोकतंत्र बहाल होने के बाद वे पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं और तीन बार इस पद पर रहीं.
- उनकी राजनीति की शुरुआत पति जिया-उर-रहमान की हत्या के बाद BNP की कमान संभालने के साथ हुई थी.
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) की प्रमुख नेता खालिदा जिया का निधन हो गया है. वे लंबे समय से गंभीर बीमारी से जूझ रही थीं और इलाज चल रहा था. उनके निधन के साथ ही बांग्लादेश की राजनीति के एक लंबे, संघर्षपूर्ण और निर्णायक अध्याय का अंत हो गया है. देश और विदेश से उनके समर्थकों, नेताओं और शुभचिंतकों की ओर से शोक संदेश आने लगे हैं.

खालिदा जिया का जन्म 15 अगस्त 1945 को तत्कालीन ब्रिटिश भारत के दिनाजपुर जिले (अब बांग्लादेश में) में हुआ था. उनका बचपन अपेक्षाकृत सामान्य रहा और शुरुआती जीवन में उनका राजनीति से कोई सीधा संबंध नहीं था. उनकी पहचान और जीवन की दिशा तब बदली, जब उनकी शादी बांग्लादेश के सैन्य अधिकारी जिया-उर-रहमान से हुआ, जो आगे चलकर बांग्लादेश के राष्ट्रपति बने.
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ऐसे हुई राजनीति में एंट्री
खालिदा जिया की राजनीति में एंट्री सीधे चुनावी मैदान से नहीं, बल्कि अपने पति की विरासत से हुई. 1981 में राष्ट्रपति जिया-उर-रहमान की हत्या के बाद बांग्लादेश की राजनीति में बड़ा शून्य पैदा हुआ. इसी दौर में खालिदा जिया को बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) की कमान सौंपी गई. एक गृहिणी से पार्टी प्रमुख बनने तक का उनका सफर अचानक था, लेकिन जल्द ही उन्होंने खुद को एक मजबूत राजनीतिक चेहरा साबित किया.

बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री
1991 में बांग्लादेश में लोकतंत्र की बहाली के बाद हुए चुनावों में खालिदा जिया देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं. इसके बाद वे 1996 और 2001 में भी प्रधानमंत्री रहीं. उनके कार्यकाल के दौरान राष्ट्रवाद, सेना और प्रशासन की भूमिका, और भारत-बांग्लादेश संबंधों को लेकर कई बड़े फैसले हुए. समर्थक उन्हें सशक्त नेता मानते रहे, जबकि आलोचक उनके शासन को टकराव और ध्रुवीकरण वाला बताते हैं.
विवादों से रह नाता
खालिदा जिया का राजनीतिक जीवन विवादों से भी अछूता नहीं रहा. सत्ता से बाहर होने के बाद उन्हें भ्रष्टाचार के मामलों में सजा, जेल और नजरबंदी का सामना करना पड़ा. BNP ने इन मामलों को राजनीतिक बदले की कार्रवाई बताया, जबकि सरकार ने इन्हें कानून का पालन बताया. लंबे समय तक बीमारी, जेल और इलाज के बीच उनका राजनीतिक प्रभाव धीरे-धीरे सीमित होता गया.
शेख हसीना से अदावत
खालिदा जिया और अवामी लीग की नेता शेख हसीना के बीच चली दशकों पुरानी राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता ने बांग्लादेश की राजनीति को दो ध्रुवों में बांट दिया. इन दोनों नेताओं के टकराव ने न सिर्फ सत्ता परिवर्तन तय किया, बल्कि लोकतंत्र, संस्थाओं और सड़क की राजनीति को भी प्रभावित किया.
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