भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश (Bangladesh Unrest) में इन दिनों बवाल मचा हुआ है. वहां कुछ दिनों से चल रहा आरक्षण विरोधी प्रदर्शन हिंसक आंदोलन में तब्दील हो गया. हिंसा के बीच शेख हसीना (Sheikh Hasina) को पीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा. जिसके बाद उन्होंने देश छोड़ दिया है. शेख हसीना के साथ उनकी बहन शेख रेहाना भी हैं. दोनों आर्मी के प्लेन से भारत पहुंचे हैं. कहा जा रहा है कि शेख हसीना अपनी बहन के साथ गाजियबाद के हिंडन एयरबेस से लंदन रवाना हो जाएंगी. शेख हसीना के जाने के बाद बांग्लादेश आर्मी सरकार चलाएगी. जल्द ही सेना अंतरिम सरकार का गठन करेगी.
1975 में जब शेख हसीना के पिता शेख मुजीर्बुरहमान समेत उनके परिवार और स्टाफ की हत्या कर दी गई थी. तब भी शेख हसीना ने अपनी बहन के साथ भारत में शरण ली थी. दोनों बहनें तब 6 साल तक भारत में रहे थे. आइए जानते हैं शेख हसीना और उनकी बहन शेख रेहाना के बारे में..
हसीना की छोटी बहन हैं शेख रेहाना
शेख रेहाना, शेख हसीना की छोटी बहन हैं. रेहाना दिल से एक सच्ची बंगाली और मानवीय मूल्यों वाली एक दयालु शख्सियत हैं. वो बांग्लादेश के राष्ट्रपति बंग बंधु शेख मुजीर्बुरहमान की पांच संतानों में सबसे छोटी हैं. BBC की रिपोर्ट के मुताबिक, शेख रेहाना की शादी 1976 में शफीक सिद्दीकी से हुई थी. उनके पति ने शिक्षा के क्षेत्र में अहम योगदान दिया है. रेहाना के दो बच्चे हैं. एक बेटा और एक बेटी. शेख रेहाना के बेटे रादवान सिद्दीकी राजनीति और सोशल वर्क में एक्टिव हैं. जबकि बेटी टुली सिद्दीकी भी कई सोशल सर्विसेज के साथ जुड़ी हुई हैं. शेख रेहाना बांग्लादेश अवामी लीग की नेता हैं. वो भी सामाजिक और परोपकार के कामों में शामिल रहती हैं.
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शेख हसीना के परिवार में कौन-कौन?
शेख हसीना की शादी 1967 में वाजिद मिया से हुई थी, जो बंगाली न्यूक्लियर साइंटिस्ट थे. सिंगापुर में बाईपास ऑपरेशन के बाद 2009 में उनकी मौत हो गई. शेख हसीना के परिवार में बहन और उनके दो बच्चे हैं. हसीना के बेटे का नाम साजिब अहमद वाजेद है. 53 साल के साजिब अमेरिका में रहते हैं. वो इंफॉर्मेशन और टेक्नोलॉजी के मामलों में पीएम के सलाहकार के में भी काम करते हैं. शेख हसीना की बेची साइमा वाजेद विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के लिए दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्रों में एक डायरेक्टर के रूप में काम कर रही हैं.
शेख हसीना और शेख रेहाना ने भारत में गुजारे थे 6 साल
15 अगस्त 1975 को बांग्लादेश में तख्तापलट के दौरान उनके पिता शेख मुजीर्बुरहमान, उनकी पत्नी और तीन बेटों समेत परिवार के 18 लोगों को सेना ने मौत के घाट उतार दिया गया था. उस वक्त शेख हसीना अपनी बहन शेख रेहाना, पति और बच्चों के साथ यूरोप ट्रिप पर थीं. जिस दिन तख्तापलट हुआ, उस दिन ये सभी जर्मनी में थे. इसलिए इनकी जान बच गई.
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तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने दी थी शरण
परिवार के कत्लेआम के बाद काफी समय तक शेख हसीना, पति, बच्चों और छोटी बहन के साथ जर्मनी में ही रहीं. फिर भारत में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें शरण दी. शेख हसीना अपनी बहन के साथ दिल्ली में करीब 6 साल तक रहीं. दोनों 181 तक लाजपत नगर में रहीं. हालात सामान्य होने पर शेख हसीना ने अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाने का फैसला लिया और बांग्लादेश की सत्ता में लौटीं.
शेख हसीना 20 साल तक रहीं पीएम
शेख हसीना बांग्लादेश में 20 साल तक सत्ता में रहीं. उन्होंने 5 बार पीएम का पदभार संभाला. 1986 में हसीना ने पहली बार अस्थायी तौर पर पीएम का पद संभाला था. इसके बाद 23 जून 1996 में वो पहली बार पीएम चुनी गईं. 2001 से 2009 तक वो विपक्ष में रहीं. 2009 में दूसरी बार पीएम पद की शपथ ली. 2014 में तीसरी बार प्रधानमंत्री बनीं. 2019 में चौथी बार पीएम बनीं. जनवरी 2024 में बांग्लादेश में आम चुनाव हुए और आवामी लीग सबसे बड़ी पार्टी बनी. फिर शेख हसीना पांचवीं बार प्रधानमंत्री बनी थीं.
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बांग्लादेश को राष्ट्र के तौर पर मान्यता देने वाला भारत पहला देश
बांग्लादेश को एक राष्ट्र के रूप में मान्यता देने वाला भारत पहला देश है. भारत ने पूर्वी पाकिस्तान को बांग्लादेश की रूप में पहचान दिलाने के लिए पाकिस्तान के साथ युद्ध भी किया था.
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