
- मिग-21 लड़ाकू विमान ने बीकानेर के नाल एयरबेस से अपनी अंतिम उड़ान भरी और चंडीगढ़ में सेवानिवृत्ति समारोह होगा.
- एयर चीफ मार्शल ए.पी. सिंह ने 1985 में पहली बार मिग-21 उड़ाया था और विदाई से पहले उसे अकेले उड़ाया.
- मिग-21 भारतीय वायुसेना का इतिहास रहा, जिसमें कभी 1200 से अधिक विमान और 19 स्क्वॉड्रन शामिल थे.
भारतीय वायुसेना के लड़ाकू बेड़े की रीढ़ रहे मिग-21 लड़ाकू विमानों ने बीकानेर के नाल स्थित वायुसैनिक अड्डे पर अपनी अंतिम उड़ान भरी. इन विमानों को 26 सितंबर को चंडीगढ़ में आयोजित औपचारिक सेवानिवृत्ति समारोह में अंतिम विदाई दी जाएगी. मौजूदा वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए.पी. सिंह ने 1985 में पहली बार मिग-21 उड़ाया था. अब, चार दशक बाद, इसके विदाई से पहले उन्होंने फिर उसी फाइटर को राजस्थान के नाल एयरबेस से अकेले उड़ाया. इसके लिए उन्हें बाकायदा रिफ्रेशर ट्रेनिंग लेनी पड़ी.

आखिरी उड़ान से पहले एयर चीफ ने ट्विन-सीटर मिग-21 पर ट्रेनिंग ली और अगले ही दिन सोलो फ्लाइट की. हर उड़ान करीब 40 मिनट लंबी रही. रेगुलर फॉर्मेशन सॉर्टी में स्क्वॉड्रन लीडर प्रिया (महिला फाइटर पायलट) लीड कर रही थीं. एयर चीफ ने कुल 3-4 सोलो सॉर्टी उड़ाई और कहा, '1985 में तेजपुर से मैंने पहली बार मिग-21 टाइप-77 उड़ाया था. यह विमान हमेशा पायलटों के दिल में रहेगा, लेकिन अब हमें आगे बढ़ना होगा. तकनीक पुरानी हो चुकी है, इसलिए इसे रिटायर करने का फैसला लिया गया है. भविष्य में तेजस, तेजस MK-2, राफेल और Su-30 हमारी मुख्य ताकत होंगे.'
मिग-21 और वायुसेना का रिश्ता
भारतीय वायुसेना का मिग-21 से रिश्ता गहरा और ऐतिहासिक रहा है. एक समय वायुसेना के पास 1200 से अधिक मिग एयरक्राफ्ट थे और 19 स्क्वॉड्रन इन्हीं पर आधारित थे. लगभग हर फाइटर पायलट ने अपने करियर की शुरुआत मिग से की और कई चीफ बनने से पहले इसके कॉकपिट में बैठे.

पूर्व वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बी.एस. धनोआ ने रिटायरमेंट से पहले (सितंबर 2019) विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान के साथ मिग-21 उड़ाया था. इसी तरह एयर चीफ मार्शल आर.के.एस. भदौरिया ने भी अपने रिटायरमेंट से 15 दिन पहले (13 सितंबर 2021) मिग-21 उड़ाया. आज भी दो स्क्वॉड्रन में 31 मिग-21 बाइसन सेवा में हैं. हालांकि, समय के साथ 400 से अधिक दुर्घटनाओं और सैकड़ों पायलटों की शहादत ने इसे “फ्लाइंग कॉफिन” का नाम दिला दिया. बावजूद इसके, इसकी मारक क्षमता और युद्ध कौशल कभी संदिग्ध नहीं रहे.
युद्धों में निर्णायक भूमिका
- 1965 युद्ध : सीमित भूमिका निभाई.
- 1971 युद्ध : ईस्ट पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में ढाका के गवर्नर हाउस पर मिग-21 के हमले ने युद्ध की दिशा बदल दी.
- कारगिल युद्ध : पाकिस्तानी घुसपैठियों को चोटियों से खदेड़ने में अहम भूमिका निभाई, हालांकि इसी दौरान भारत ने एक मिग-21 खोया.
- बालाकोट एयर स्ट्राइक (2019) : जवाबी कार्रवाई में विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान ने मिग-21 बाइसन से पाकिस्तानी F-16 को मार गिराया, जिसने इसकी ताकत को फिर साबित किया.
एक युग का अंत
1964 में भारतीय वायुसेना में शामिल हुआ मिग-21, देश का पहला सुपरसोनिक फाइटर जेट था. 60 साल बाद अब इसके रिटायर होने के साथ वायुसेना के इतिहास का एक गौरवशाली अध्याय बंद होगा. भारत, दुनिया का सबसे बड़ा मिग ऑपरेटर रहा है. इसकी विदाई के साथ अब आकाश *तेजस, राफेल और सुखोई जैसे आधुनिक विमानों* से और ज्यादा सुरक्षित और सशक्त होगा.
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