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This Article is From Feb 03, 2016

पाकिस्तान की बाचा खान यूनिवर्सिटी पर हुए आतंकी हमले का मुख्य मददगार गिरफ्तार

पाकिस्तान की बाचा खान यूनिवर्सिटी पर हुए आतंकी हमले का मुख्य मददगार गिरफ्तार
इस्‍लामाबाद: पाकिस्तान के बाचा खान यूनिवर्सिटी पर किए गए आतंकवादी हमले का मुख्य मददगार गिरफ्तार कर लिया गया है। 'डॉन ऑनलाइन' में छपी रपट के मुताबिक, ए श्रेणी के आतंकी वहीद अली उर्फ अरशद को पिछले हफ्ते खैबर पख्तूनवा प्रांत के नौशेरा इलाके से गिरफ्तार किया गया। इसी प्रांत में यह बाचा खान यूनिवर्सिटी है, जहां आतंकवादी हमले में 20 लोग मारे गए थे और कई लोग घायल हो गए थे।

एक सूत्र ने बताया, 'इसी ने आतंकवादियों को अफगानिस्तान जाने में मदद की। वहां उसने एक टैक्सी किराए पर ली और उससे उन्हें पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर स्थित तोरखम पहुंचाया था। अगर इसे पकड़ने में थोड़ी और देर हुई होती तो यह हाथ से निकल जाता।पहचान छुपाने के लिए उसने अपनी दाढ़ी साफ कर ली थी और सामान बांधकर टैक्सी में फरार होने जा रहा था। लेकिन पीछा कर उसे गिरफ्तार कर लिया गया।'

अफगानिस्‍तान के अचिन जिले में रची गई थी साजिश
लगभग 30-32 साल के वहीद ने पूछताछ में बताया कि हमले की साजिश अफगानिस्तान के अचिन जिले में छह महीने पहले रची गई थी। तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्‍तान यहीं से अपनी आतंकवादी गतिविधियां चलाता है, जिसका प्रमुख खलीफा उमर मंसूर उर्फ उमर नारय है।

वली खान यूनिवर्सिटी पर हमले की योजना रद्द करनी पड़ी थी
वहीद ने बताया कि उसने चोरी-छिपे पंजाब रेजीमेंट सेंटर और खैबर पख्तूनवा के मरदान क्षेत्र के एक पुलिस थाने का वीडियो बनाकर उसे एक मेमोरी कार्ड में डालकर खलीफा मंसूर को भेजा था। लेकिन इन स्थानों की सुरक्षा-व्यवस्था काफी मजबूत होने के कारण यह योजना रद्द करनी पड़ी। बाद में मरदान के अब्दुल वली खान यूनिवर्सिटी विश्वविद्यालय में हमले की साजिश रची गई और इसके लिए चार आतंकवादियों का एक समूह तैयार किया गया। खलीफा मंसूर ने इस हमले के लिए उन्हें 10 लाख रुपये मुहैया कराए थे, ताकि वे हथियार और गोला-बारूद खरीद सकें। लेकिन इस योजना को भी वहां तगड़े सुरक्षा इंतजाम होने के कारण रद्द करनी पड़ी।

आतंकियों से बात करने कई बार अफगानिस्‍तान जा चुका है
वहीद ने बताया कि वह सिर्फ दो हमलावरों को लेकर आया था जबकि बाकी के दो हमलावरों की मदद रियाज ने की थी। उसने चारों हमलावरों की पहचान बताई और कहा कि उनमें से एक अफरीदी ओरकजई का था, एक स्वात से था और एक दक्षिणी वजीरिस्तान से था। वहीद टीटीपी के सरगना बैतुल्ला महसूद से 2008 में मिला था और उसके बाद से वह उसके साथ है। वहीद उसके बाद कराची चला गया और वसूली में जुट गया। उसने वहीं से मैट्रिक की परीक्षा पास की। सूत्र के मुताबिक, वहीद अभी नौ महीने पहले ही अपने गृहनगर नौशेरा के अमनकोट लौटा था। यहीं से उसने खलीफा मंसूर से संपर्क स्थापित किया। इससे पहले वह आतंकवादियों का समन्वय करने कई बार अफगानिस्तान जा चुका है। वहीद ने पूछताछ में उन लोगों के बारे में भी जानकारी दी, जिससे वह हथियार और गोला-बारूद खरीदता है।

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